हकीकत दावों के उल्ट : ESI अस्पताल में मरीजों को नहीं मिल रहा फ्री में उपचार
punjabkesari.in Monday, Aug 07, 2023 - 12:21 PM (IST)

जालंधर : प्राइवेट संस्थान में काम करने वाले कर्मचारी अपने वेतन की कुछ पूंजी इस आस से कटवाते है कि उनका ई.एस.आई. अस्पताल में फ्री उपचार हो सके। उक्त राशि ई.एस.आई.सी के पास जमा होती है, जिसमें कर्मचारी जिस कम्पनी में काम करता है उसका व व कम्पनी इसमें योगदान देती है। इससे भविष्य में यदि कर्मचारी या उनके परिवार का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो ई.एस.आई. अस्पताल में उनका फ्री में उपचार होता है, लेकिन इन दिनों जालंधर के ई.एस.आई. अस्पताल में हालात ही कुछ और देखने को मिल रहे हैं जहां इलाज मरीजों को फ्री नहीं मिल रहा है। अस्पताल में आने वाले कुछ मरीजों को जेब से पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं, ताकि उनके मरीज का सही समय पर उपचार हो सके। ऐसा ही एक मामला आज प्रकाश में आया है जब ई.एस.आई. अस्पताल में एक बेटे को अपनी मां के आप्रेशन करवाने के लिए जेब से 17 हजार खर्च करने पड़े।
बेटे का आरोप है कि आप्रेशन करने वाले हड्डियों के डाक्टर ने उसे अपने जानकार का मोबाइल नंबर दिया और उसके पास से हड्डियों के आप्रेशन में प्रयोग होने वाला सामान लाने के लिए कहा गया। जब उसने उस नंबर पर काल की तो दुकानदार ने उसे ई.एस.आई. अस्पताल में सामान की डिलवरी करवाई और सामान उसे नहीं दिया। उसे कहा गया कि सामान डाक्टर के पास आप्रेशन थियेटर में पहुंच चुका है। हालांकि उसे उक्त सामान का बिल भी नहीं दिया गया।
पीड़ित राज नारायण पुत्र मोती लाल निवासी लम्मा पिंड ने बताया कि उसकी बुजुर्ग मां बडकी देवी गिर गई। इस दौरान उसके पैर की हड्डी टूट गई और वह ई.एस.आई. अस्पताल मां को लेकर पहुंचा कि बिना पैसे खर्च मां का आप्रेशन जहां हो जाएगा। हड्डियों के डाक्टर ने गत 24 जुलाई को मां को दाखिल किया और अभी तक मां का आप्रेशन नहीं किया गया। इसी बीच कई बार उसे कहा गया कि मां को खाना नहीं खाने देना क्योंकि आप्रेशन के समय मरीज खाली पेट होना चाहिए। मां कई बार तो भूखी भी रही पर फिर भी डाक्टर ने आप्रेशन नहीं किया और टाल मटौल करता रहा। पीड़ित राज नारायण ने बताया कि इसके बाद डाक्टर ने हड्डी के आप्रेशन के लिए कुछ सामान बाहर से अपने जानकार से मंगवाया और 17 हजार लेने के बाद भी सामान उसे नहीं दिया गया और न ही परचेज सामान का बिल उसे दिया गया।
पीड़ित ने कहा कि वह खैरात मशीन में लेबर का काम करता है और बड़ी मुश्किल से उसने पैसे जोडे़ थे ताकि मां का आप्रेशन हो सके। उसने अब पंजाब सरकार के सीनियर अधिकारियों से मांग की कि मां का आप्रेशन जल्दी करवाया जाए और जो उसने 17 हजार खर्च किए हैं, उसे बिल दिलाए जाए ताकि वह बिल क्लेम कर सके। उधर, जिस मेडिकल स्टोर वाले से सामान लिया है, वह उसका फोन नहीं उठा रहा है।
डाक्टर बोला-अपने जानकार का नंबर इसलिए दिया क्योंकि मरीज को सामान मिल सके
वहीं हड्डियों के डाक्टर का कहना था कि मरीज आप्रेशन के लिए फिट नहीं था। इसके लिए बाकी डाक्टरों की सलाह भी लेनी पड़ती है, ताकि आप्रेशन सफल हो सके। रही बात तो बाहर से सामान मंगवाने की तो मरीज के परिजनों का कहना था कि उन्हें नहीं पता सामान बाहर से कहा मिलता है। इसलिए मरीज को एक नंबर दिया था ताकि आप्रेशन में प्रयोग होने वाला सामान मिल सके। उक्त डाक्टर ने खुद पर लगे सभी आरोपों को गलत करार देते हुए कहा कि मरीज को कोई गलती लग रही है।
जानकार व्यक्ति से सामान मंगवाना बिल्कुल गलत : डायरेक्टर डा. सीमा
वहीं डायरेक्टर ई.एस.आई. अस्पताल की डा. सीमा ने कहा कि बाहर से सामान मंगवाना बिल्कुल गलत है। मरीज को डाक्टर अपने जानकार से सामान मंगवाने के लिए नहीं कह सकता। इसके लिए पहले से ही उन्होंनें सख्त आदेश जारी कर रखे हैं। पूरे मामले की सच्चाई जानने के लिए वह इसकी जांच करवाएगी और मैडीकल बोर्ड बैठाना पड़ा तो वह भी बैठाया जाएगा। पंजाब सरकार के आदेशों की पालना हर हाल में होगी और मरीजों को सरकारी अस्पतालों में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पडे़गा।
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