पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के तमाशे का लेखा-जोखा, सत्ता, संघर्ष और धोखा

punjabkesari.in Friday, Jan 06, 2023 - 12:39 PM (IST)

जालंधर: सामाजिक माहौल में यह चर्चा आम सुनने को मिल जाती है कि जिस सुखद माहौल में किसी राजनेता के कदम पड़ते हैं वहां किस तरह का बखेड़ा या तमाशा दिखाई देने लगता है इसके लिए पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन(पी.सी.ए.) से उपयुक्त उदाहरण और कहीं पर मिल भी नहीं सकता। 

सामाजिक वातावरण में यह धारणा हर किसी के मन में मजबूत होती जा रही है कि जिस जगह पर भी किसी राजनेता के चरण पड़ते हैं वहां का माहौल अपने आप घृणित और दूषित होना शुरू हो जाता है। यही कारण है कि अच्छी-भली चल रही पी.सी.ए. सत्ता, संघर्ष और धोखे के जाल में छटपटाने को मजबूर हो रही है। इस समय पी.सी.ए. जिन 3 व्यक्तियों की वजह से शर्मसार हो रही है उनमें से 2 का संबंध राजनीति से है और एक सट्टेबाजी के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना चुका है। दिलचस्प, हैरानी और परेशानी की बात यह है कि उसे तकनीकी तौर पर सट्टेबाजी की तो समझ है लेकिन क्रिकेट की ए.बी.सी. से वह बहुत दूर है।

पी.सी.ए. की समस्या की जड़ में पू्र्व अध्यक्ष इसलिए दिखाई दे रहा है क्योंकि पंजाब की सत्ता परिवर्तन में वह एकदम से कैप्टन का चहेता होने की बजाय केजरीवाल का चहेता कहलाया जाने लगा। इसी का ही परिणाम है कि अब वह उसी पद पर विराजमान है जिस पद पर वह कांग्रेस की सरकार में था। यह अवसरवादिता के कारण लोग राजनीति को सही निगाहों से नहीं देखते।

सत्ता के नजदीक रहने के लिए जब स्वार्थी लोग अवसर ढूंढते हैं तो उनको संघर्ष के साथ धोखे का भी सहारा लेना पड़ता है। पी.सी.ए. पर कब्जा करने के लिए जो संघर्ष चल रहा है उसमें कौन किसको धोखा दे रहा है और कौन किसका सहयोग कर रहा है सब कुछ पर्दे के पीछे है लेकिन जो सामने है वह यही है कि 3 लोगों की टोली जिसमें पी.सी.ए. का सलाहकार, पूर्व अध्यक्ष पी.सी.ए. और सट्टे बाजार का सट्टेबाज पंजाब की क्रिकेट और पी.सी.ए. की बर्बादी के कगार पर ले जा रहे हैं।

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Content Writer

Sunita sarangal

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