फगवाड़ा विस सीट पर होगा इस बार दिलचस्प चुनाव

punjabkesari.in Saturday, Oct 05, 2019 - 09:09 AM (IST)

फगवाड़ा(जलोटा): 21 अक्तूबर को फगवाड़ा विस सीट पर होने जा रहा उप-चुनाव अब की बार दिलचस्प होने वाला है। जहां इस बार प्रमुख राजसी दलों जिनमें कांग्रेस, भाजपा-शिअद (ब) गठबंधन, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी द्वारा पूरी तरह से नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा गया है, वहीं लोक इंसाफ पार्टी द्वारा वर्ष 2017 में विस चुनाव लड़ चुके अपने पुराने उम्मीदवार पर ही दाव खेला गया है।  

सभी राजसी दलों के राजनेताओं द्वारा उप-चुनाव जीतने के दावे किए जा रहे हैं, मगर हकीकत यह है कि उक्त उप-चुनाव को लेकर फगवाड़ा की जनता का रुझान उसी राजनेता की ओर होता दिखाई दे रहा है जो फगवाड़ावासियों की समस्याओं के समाधान करने को पहल देगा। जनता यही तर्क दे रही है कि वह उसी राजनेता को वोट देगी जो उसके इलाके की जनसमस्या का समाधान करवाएगा। फगवाड़ावासी मूलभूत सुविधाओं जैसे सीवरेज के गंदे पानी की निकासी, स्व‘छ पेयजल, खराब सड़कों व जनता के प्रति जवाबदेही न देने वाली अफसरशाही से परेशान हैं। इसका ’वलंत उदाहरण फगवाड़ा का दशमेश नगर सहित अन्य इलाके बने हुए हैं। आलम यह है कि फगवाड़ा में कुछ एक जगहों पर तो लोगों ने अपने इलाके में विकास न होने के कारण साफ तौर पर पोस्टर आदि लगा लिखा हुआ है कि जब तक उनके इलाके  में विकास नहीं होगा वे वोट नहीं डालेंगे?   वहीं दूसरी ओर सच्चाई यह भी है कि कभी कांग्रेस पार्टी के लिए पूरे रा’य में सबसे  सेफ  सीट स्वीकारी जाती फगवाड़ा विस सीट पिछले 12 वर्षों से सबसे अनसेफ सीट बन चुकी है।

इस संदर्भ में यदि चुनावी आंकड़ों पर नजर दौड़ाई की जाए तो फगवाड़ा विस सीट पर कांग्रेस पार्टी ने पिछला विस चुनाव आज से करीब 17 वर्ष पहले सन् 2002 में ही जाता था। इसके बाद वर्ष 2007 में फिर वर्ष 2012 व वर्ष 2017 में हुए विस चुनावों में भारतीय जनता पार्टी-शिअद (ब) गठबंधन ने हैट्रिक बना नया इतिहास लिखा है। यानी पिछले 12 वर्षों से फगवाड़ा विस सीट पर भाजपा-अकाली दल (ब) का कब्जा है। फगवाड़ा विस सीट को लेकर अब की बार रोचक तथ्य यह भी है कि उक्त उप-चुनाव एक ओर जहां पंजाब में कैप्टन सरकार का राज होने के कारण कांग्रेस पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है, वहीं उक्त सीट केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय रा’य मंत्री सोमप्रकाश कैंथ जो पहले इसी सीट पर भाजपा विधायक थे, के लिए अहम का सवाल बन चुकी है। 


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