थाना नं. 3 की गारंटी! चाहे मारो, हाथ तोड़ो या हड्डी, जहां केस नहीं सेटिंग..."
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 12:27 PM (IST)

जालंधर : सेंट्रल हलके में एक बार फिर कानून और इंसाफ की खुलेआम धज्जियां उड़ती नजर आईं, जब दो प्रवासियों के बीच मामूली विवाद ने हिंसक रूप ले लिया और एक युवक का हाथ बेरहमी से तोड़ दिया गया। मगर हैरानी की बात यह है कि इतनी गंभीर वारदात के बावजूद थाना नंबर 3 की पुलिस ने मामला दर्ज करने की बजाय "सेटिंग" के जरिए राजीनामा करवा दिया।
मामला प्रताप बाग इलाके के पास का है, जहां एक प्रवासी युवक—जो कि एक कबाड़ी के यहां काम करता है—को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसका हाथ बाजू से अलग हो गया। घटना के बाद पीड़ित को सरकारी सिविल अस्पताल ले जाने की बजाय, उसे प्रताप बाग में एक कथित "प्राइवेट हॉस्पिटल" में भर्ती करवा दिया गया, जो एक सरकारी गली पर अवैध कब्जे के बाद बनाया गया है। वहाँ पर पीड़ित का इलाज इस कदर लापरवाही से किया गया कि उसका हाथ हमेशा के लिए बेकार हो गया।
सूत्रों के अनुसार, थाना प्रभारी उस वक्त छुट्टी पर था और मौके का फायदा उठाकर एक उच्च पुलिस अधिकारी का ड्राइवर, जो कथित तौर पर नेताओं का नाम लेकर दबाव बना रहा था, उसने दोनों पक्षों के बीच "सेटिंग" करवा दी। नतीजतन, पीड़ित को इंसाफ नहीं मिला और दोषी खुलेआम घूमते रहे। पुलिस का तर्क है कि जब किसी ने शिकायत दर्ज नहीं करवाई, तो मामला कैसे दर्ज किया जाए। परंतु सवाल यह उठता है कि क्या किसी का हाथ तोड़े जाने जैसी गंभीर घटना पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी?
स्थानीय लोगों में इस मामले को लेकर भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि पुलिस ने न तो सही ढंग से जांच की और न ही पीड़ित को सुरक्षा दी। जब मीडिया में यह मामला उजागर हुआ, तो पुलिस और अस्पताल दोनों के अधिकारियों के "हाथ-पांव फूल गए" और मामले को दबाने के लिए दबाव बनाया जाने लगा। इस पूरे प्रकरण में सेंट्रल हलके के कुछ नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं, जो मामले को रफा-दफा कराने में लगे हुए हैं। इससे पहले भी बस्ती बावा खेल में धर्मेंद्र मिश्रा के खिलाफ गोलीकांड का मामला सामने आया था, लेकिन आज तक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है। यह पुलिस की निष्क्रियता और राजनीतिक दबाव का साफ संकेत देता है।
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