सैंट्रल जेल में कैदी/हवालातियों की वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग से पेशी के लिए इस प्रस्ताव को मिली मंजूरी

punjabkesari.in Monday, Feb 27, 2023 - 12:15 PM (IST)

लुधियाना: आज से लगभग 12-13 वर्ष पूर्व ताजपुर रोड की सैंट्रल जेल में वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग प्रणाली की प्रक्रिया आरंभ की गई थी ताकि इसके माध्यम से कई कैदियों/हवालातियों की अदालत से ऑनलाइन पेशी हो सके लेकिन कई बार बंदियों की पेशियां नहीं हो पाती थी क्योंकि जेल में कैदी-हवलातियों की पेशी की गिनती ज्यादा होती है। इसके चलते कुछ वर्ष पहले जेल में अलग-अलग कैबिन स्थापित करने का एक प्रस्ताव जेल विभाग को भेजा गया था। उस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाने से जेल प्रशासन को कुछ राहत जरूर मिल जाएगी और जेल के अंदर 20 के लगभग कैबिन तैयार हो जाएंगे। इसके निर्माण कार्य की जिम्मेदारी पंजाब पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन को सौंपी गई है।

मोबाईल व वर्जित सामान की आमद पर भी लगेगी रोक

बताया जाता है कि इन कैबिनों में अधिकतर हवालातियों की पेशियां हो सकती हैं क्योंकि कैदी तो अपनी सजा भुगतते हैं। इस प्रक्रिया के शुरू होने से जेल के अंदर धड़ल्ले से मिल रहे मोबाइलों व वर्जित सामान की आमद पर भी अंकुश लगेगा, क्योंकि कई बार पेशी से वापस आने वाले बंदियों से तलाशी के दौरान छुपाए मोबाइल व अन्य प्रकार का वर्जित सामान बरामद होता रहता है। इससे फरारी जैसी घटनाओं में भी रोक लगेगी। बताया जाता है कि जेल के अंदर नशा छुड़ाओ केन्द्र के समीप पेशी वाले कैबिनों का निर्माण कार्य किया जाएगा।

जेल में पहले भी बना है कोर्ट रूम

लुधियाना की सैंट्रल जेल में ड्योढ़ी के साथ लगते एक बड़े कमरे को तैयार कर कोर्ट रूम बनाया गया था। जिलाधीश प्रदीप अग्रवाल की अध्यक्षता में कोर्ट रूम का उद्घाटन 10 जुलाई 2019 को पंजाब जेलों के प्रमुख सचिव कृपा शंकर सरोज ने किया था। उस समय जेल के सुपरिंटैंडैंड शमशेर सिंह बोपाराय थे ।

लॉकडाऊन में वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग से होती थी अधिकारियों की मीटिंग

सूत्र बताते हैं कि जेल में इस समय वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग वाला रूम है। उसके माध्यम से पंजाब जेल विभाग के उच्चाधिकारी जेल के सुपरिंटैंडैंड के अतिरिक्त अन्य अधिकारियों से भी कई बार मीटिंग करके आदेश जारी करते रहे हैं। बताया जाता है कि अधिकतर मीटिंग कोरोना कॉल के समय में हुई, क्योंकि उस समय देश में लॉकडाऊन लगा हुआ था।

पूर्व जेल मंत्री ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए शुरू की थी ई-पर्स योजना

जेल ड्योढ़ी में नकद राशि के बदले में जेल कूपन (जेल करंसी) दी जाती थी। इस करंसी के अतिरिक्त कई बंदी लेन-देन करने में विश्वास रखते और उनको चोरी-छुपे अपनी बैरकों तक ले जाने में सफल हो जाते थे, क्योंकि उस नकद राशि के बदले में उनको प्रतिबंधित वस्तुएं अधिक मूल्यों पर उपलब्ध हो जाती थी। भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए पूर्व जेल मंत्री सुखजिन्द्र सिंह रंधावा ने सैंट्रल जेल, महिला जेल, ब्रोस्टल जेल में ई-पर्स योजना आरंभ की ताकि जेल आने वाले बंदियों को पी.आई.डी. नंबर दिया जाए और उस पी.आई.डी नंबर में बंदियों के परिजन 2000 से लेकर 2500 रुपए की राशि डलवा सकते हैं।

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News Editor

Urmila

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