पंजाब व हरियाणा के बार काउंसिल के वेबिनार में विशेषज्ञों द्वारा न्यायपालिका पर कोविड-19 के प्रभावों संबंधी चर्चा

punjabkesari.in Monday, May 11, 2020 - 11:24 PM (IST)

चंडीगढ़ः एक ओर जहां वर्तमान महामारी से प्रभावित दुनिया भर के देश और सरकारें एक बार फिर से सामान्य स्थिति बनाने संबंधी विधियां तलाश रही हैं वहीं दूसरी ओर वेबिनार की हुई एक श्रृंखला के दौरान विशेषज्ञों ने इस कोविड दौर के बाद न्यायपालिका को न्याय प्रदान करने में पेश आने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। इस वेबिनार सेशन का आयोजन बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा किया गया था जिसके पीछे भारत के बार काउंसिल के सबसे युवा एडवोकेट सुवीर सिद्धू की सोच थी। इस दौरान चर्चा का संचालन एडवोकेट सन्नीदीप जोनेजा, सवी नागपाल, आदित्य दासौर और सार्थक मेहता एडवोकेट ने किया।

इस समय पर उठाए गए और अति आवश्यक कदम की सराहना करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव सुरेश कुमार ने लाॅ इन द डिजिटल ईरा एंड इंडियन लीगल इंडस्ट्री ट्रांसफोर्मेशन के साथ-साथ फंक्शनिंग आॅफ कोर्ट्स ड्यूरिंग कोविड-19ः द बैंच, बार एंड गवर्नमेंट पर्सपेक्टिव’ संबंधी अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कामकाज के नियमों में बदलाव करने की वकालत की तांकि सरकारी गतिविधियां जारी रहें और इनमें कोई बाधा न आए। उन्होंने कहा कि हमें शासन को आगे बढ़ना है और साथ ही कहा कि पिछले 20 महीनों के दौरान दुनिया भर में विकास दर में काफी बदलाव आया है और इसके अनुरूप ही हमें सार्वजनिक नीति का निर्माण करना होगा। उन्होंने अपने शुरूआती संबोधन में कहा कि हमें जो भी वैधानिक या कार्यविधि बदलाव करने की जरूरत है वह कर लेने चाहिए।

सचेत करते हुए केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नांबियार ने कहा कि सिस्टम में परिवर्तन की काफी संभावनाएं हैं जो नीतिपरक, नैतिक और व्यावहारिक मुद्दे हैं और जो मुख्य रूप से न्यायिक गतिविधि के डिजिटलीकरण से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि हम नई तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार हैं जिसके लिए हमें सतर्क रहने की आवश्यकता भी है। उन्होंने इस प्रक्रिया में संभावित गड़बड़ियों का मुकाबला करने के लिए एक डोमेन-विशिष्ट विशेषज्ञता के निर्माण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस निर्विघ्न परिवर्तन के लिए हमें बिजली आपूर्ति, बैंडविड्थ और सिग्नल स्ट्रेंथ जैसे उचित सहायक ढांचागत सुविधाओं को सुनिश्चित करने की जरूरत है।

इसे सही दिशा में एक अच्छा कदम करार देते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस मोंगा ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सभी पक्षों को विशेष रूप से मुकदमेबाजों को अनावश्यक रूप से कोर्ट के चक्कर लगाने से राहत मिलेगी। 1991 में हमारी अर्थव्यवस्था के आरंभ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय भी कुछ लोगों ने संदेह जताया था लेकिन खुलकर बोलना हमेशा अच्छा होता है।  द लीगल एजुकेशन फाउंडेशन, सिविल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव जस्टिस रिफॉर्म यूके और बीबीसी एक्सपर्ट वुमन में शोध निदेशक डॉ. नाटली बायरोम ने अपने महामहिम न्यायालयों और न्यायिक सेवा यूके को उनके विशेषज्ञ सलाहकार के तौर पर उनके द्वारा प्रस्तुत न्यायालयों के डिजिटलीकरण संबंधी उनकी 29 सूत्रीय योजना के बारे में पैनल और उपस्थित लोगों को जानकारी भी दी।

इससे पहले अपने स्वागती भाषण में बार काउंसिल पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चेयरमैन करणजीत सिंह ने सभी पैनलिस्टों का महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपने विचार पेश करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु आयोजन टीम को भी धन्यवाद दिया। आयोजकों ने सभी माननीय पैनलिस्टों को उनके कीमती समय के लिए धन्यवाद दिया। सुवीर सिद्धू ने कहा कि पैनलिस्टों की जानकारियां और विचार इन महत्वपूर्ण मुद्दों संबंधी बहस के स्तर को और मजबूत करेंगे।


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Mohit

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