चुनावी साल में प्रधान बदला तो कांग्रेस की बढ़ सकती है मुश्किल

punjabkesari.in Saturday, Jun 19, 2021 - 11:13 AM (IST)

चंडीगढ़(हरिश्चंद्र): पंजाब कांग्रेस में चल रही उठापटक के बीच एक बार फिर सुनील जाखड़ की प्रधानगी पर तलवार लटकने की सुगबुगाहट चाहे शुरू हो गई है, लेकिन उनका विकल्प ढूंढना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। दरअसल, अपनी प्रधानगी के कार्यकाल में पार्टी के प्रति उनकी वफादारी पर कभी सवाल नहीं उठा है।

अब भी मुद्दा केवल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को एडजस्ट करने का है और उनके लिए जगह बनाने की कोशिश में जाखड़ को निशाने पर लेने की चर्चाएं गर्म हैं। कैप्टन-सिद्धू विवाद हाईकमान के पास पहुंच चुका है जिस पर किसी भी समय वह फैसला सुना सकती है। चर्चा यह भी है कि कैप्टन का ओहदा तो सलामत रहेगा, मगर संगठन में बदलाव किया जा सकता है। पंजाब चाहे सिख बहुल राज्य हो, मगर यहां हिंदू आबादी भी 38.5 फीसदी के करीब है। ऐसे में हिंदू मतदाताओं को नजरअंदाज करने का जोखिम पार्टी नहीं उठा सकती।

जाखड़ की जगह किसी अन्य हिंदू नेता को कमान सौंपने की अटकलें जारी हैं, लेकिन जाखड़ के नेतृत्व में कमी क्या है, इस बारे कोई बोलने को तैयार नहीं। जाखड़ की छवि निर्विवाद तो रही है, वह पार्टी के पुराने नेता भी हैं। उनकी जैसी स्वीकार्यता वाला हिंदू नेता चुनाव के समय ढूंढना मुश्किल है। जमीनी हकीकत यह है कि चुनाव से महज 8-9 माह पहले यदि नेतृत्व में बदलाव हुआ तो पार्टी को बड़ा खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, जाखड़ 4 साल से प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते संगठन में हर चीज से भलीभांति वाकिफ हैं, जबकि नए प्रधान को नए सिरे से शुरूआत करनी होगी।


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Vatika

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