माइनिंग पर पंजाब सरकार सख्त, अब इस तरह डिजिटल टैक्नोलॉजी के जरिए रखेगी नजर

punjabkesari.in Monday, Jul 25, 2022 - 02:54 PM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी): पंजाब सरकार ने माइनिंग पर पहली वार्षिक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है। यह रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भी भेज दी गई है। रिपोर्ट में अवैध तरीके से होने वाली माइनिंग पर नकेल कसने व सरकारी स्तर पर होने वाली माइनिंग पर सभी नियम-कानून को अनिवार्य तौर पर लागू करने का हवाला दिया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब सरकार अवैध खनन पर नजर रखने व इस पर अंकुश लगाने के लिए रिमोट सैंसिंग डाटा का इस्तेमाल करेगी तो सरकारी स्तर पर होने वाला खनन जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर होगा। इन जिला सर्वेक्षण रिपोटर्स को तैयार करने के लिए 30 सितम्बर 2022 की डैडलाइन फिक्स की गई है। इस निर्धारित तारीख तक सभी डिप्टी कमिश्नर्स को जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करनी होगी और इसे राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (स्टेट एन्वायरनमैंट इम्पैक्ट असैसमैंट अथॉरिटी) के पास मंजूरी के लिए भेजना होगा। जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने में कोई कमी न रहे, इसके लिए खनन विभाग ने प्राइवेट एजैंसी के साथ मिलकर एक आदर्श जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की है ताकि इस रिपोर्ट के आधार पर सभी जिलों के स्तर पर सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की जा सके।

माइनिंग साइट्स पर 360 डिग्री वाले सी.सी.टी.वी. कैमरे, ड्रोन से मॉनीटरिंग

पंजाब सरकार ने रिपोर्ट में अवैध खनन को रोकने के लिए कई तरह के डिजिटल टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल की बात कही है। इसके तहत रिमोट सैंसिंग डाटा का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि वैज्ञानिक और प्रामाणिक रूप से कानूनी खनन और अवैध रेत खनन को निर्धारित किया जा सके। इसी कड़ी में माइनिंग साइट्स पर 360 डिग्री वाले सी.सी.टी.वी. कैमरा, ड्रोन मॉनीटरिंग, ट्रांसपोर्ट परमिट्स, जी.पी.एस. ट्रैकिंग सिस्टम, बार-कोड स्कैनर और माइनिंग वाली जगह पर व्हीकल के लिए केवल एक प्रवेश व निकास द्वार रखने की बात कही गई है।

जिला स्तरीय टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर राज्य की स्थिति पर होगा मंथन

वैध व अवैध खनन पर नजर रखने के लिए पूरे पंजाब में जिला स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह टास्क फोर्स जिला स्तर पर खनन वाली जगहों का मौका-मुआयना कर रही है, जिसकी एक विस्तृत रिपोर्ट जल्द ही तैयार की जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। 

इसी कड़ी में जिला स्तरीय टास्क फोर्स को एक निर्धारित क्षेत्र में तैनात किया जाएगा ताकि वह आसानी से उस इलाके का निरीक्षण कर सके। माइनिंग को सहज बनाने के लिए पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को भी आसान करने की पहल होगी। वहीं, माइनिंग कांट्रैक्टर के स्तर पर लीज पर दी जाने वाली माइनिंग साइट की हदबंदी भी निर्धारित होगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि खनन संबंधी गतिविधियों को लेकर शिकायत दर्ज करवाने के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन भी बनाई गई है।

जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट पर निर्भर करता है पर्यावरण हितैषी रेत खनन

खनन विभाग के अधिकारियों की मानें तो खनन से पहले पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने के लिए जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट का होना सबसे आवश्यक है। डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट मुख्य तौर पर यह निर्धारित करती है कि खनन की अनुमति कहां दी जाती है और किन क्षेत्रों में खनन को प्रतिबंधित रखने की आवश्यकता है। सर्वे रिपोर्ट में खनन की जाने वाली रेत-बजरी की कुल क्षमता का आकलन भी होता है। यूं भी कहा जा सकता है कि टिकाऊ व पर्यावरण हितैषी रेत खनन जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट पर ही निर्भर करता है। 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फरवरी, 2021 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों को भारत सरकार की तरफ से जारी किए गए सतत् रेत प्रबंधन निर्देश, 2016 और रेत खनन के लिए प्रवर्तन और निगरानी संबंधी दिशा-निर्देश, 2020 के तहत जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे। कई राज्यों ने रिपोर्ट तैयार की लेकिन पंजाब में बिना सर्वेक्षण रिपोर्ट के ही खनन हो रहा है। इसी के चलते अवैध रेत खनन में काफी इजाफा हुआ है। 

हालांकि अब पंजाब सरकार ने सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की तरफ कदम बढ़ाए हैं। साथ ही नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश मुताबिक वार्षिक रिपोर्ट भी तैयार की है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सभी राज्यों को 30 अप्रैल तक खनन से संबंधित रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के साथ सांझा करने के आदेश दिए थे। पंजाब सरकार ने चुनाव के चलते रिपोर्ट तैयार करने में देरी की बात कही है लेकिन साफ है कि सरकार को प्रत्येक वर्ष खनन पर विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय मंत्रालय को भेजनी होगी। 

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News Editor

Urmila

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