पंजाब के इंडस्ट्रियलिस्ट परेशान, कहा- ‘लॉकडाऊन कोई समाधान नहीं, इससे डूब जाएगी इंडस्ट्री’

punjabkesari.in Sunday, Apr 25, 2021 - 11:13 AM (IST)

लुधियाना(गौतम): कोरोना वायरस की दूसरी लहर में संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों और लॉकडाऊन को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में जी.डी.पी. ग्रोथ को बढ़ाना मुश्किल हो सकता है। इंडस्ट्रियलिस्टों का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर की लड़ी को तोड़ने के लिए पूरे देश को मिलकर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। इसके लिए केन्द्र व राज्य सरकारें इंडस्ट्रियलिस्टों के साथ मिलकर लोगों को बेहतर मैडीकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने, टीकाकरण को रफ्तार देकर व लेबर का पलायन रोक कर आर्थिक गतिविधियों को भी आगे बढ़ाएं। इसके साथ ही देश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत रखने के लिए सरकारों को उचित कदम उठाने होंगे। लॉकडाऊन कोई समाधान नहीं, इससे इंडस्ट्री डूब जाएगी। केन्द्र व राज्यों सरकारों को चाहिए कि फैक्टरियों को बंद न कर कोरोना के खिलाफ जंग लड़े। इस समय सरकार को चाहिए कि वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाए, उनके दामों पर काबू रखें।

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यूनाइटिड साइकिल एंड पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रधान डी.एस. चावला ने कहा कि'इंडस्ट्री को हर हालत में फिक्स खर्चे करने ही पड़ते हैं। केन्द्रीय वित्तमंत्री की तरफ से भी इंडस्ट्री के हक में कोई पॉलिसी नहीं बनाई गई और न ही बैंकों की तरफ से कोई रियायत दी गई थी। वित्तमंत्री इंडस्ट्री को लोन उपलब्ध करवाने की बात कर रही है, जिसका कोई लाभ नहीं है। बैंकों के रेट ऑफ इंटरस्ट को कम करना चाहिए। लॉकडाऊन के खौफ के चलते ट्रासपोर्टरों ने भी माल ढोना बंद कर दिया है, जिस कारण कच्चा माल व तैयार माल की सप्लाई बाधित हो रही है जिसका असर कुछ क्षेत्रों पर सीधे तौर पर पड़ेगा।'

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सी.आई.सी.यू. के सैक्रेटरी हरसिमरजीत सिंह ने कहा कि 'लोगों की सुरक्षा करना सरकारों की जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को निभाते हुए देश की अर्थ व्यवस्था को भी नहीं हिलने देना चाहिए। लेबर का पलायन रोकना होगा। पिछली बार लेबर जाने के बाद वापस आ गई और इंडस्ट्री को कुछ राहत मिली थी लेकिन अगर इस बार लेबर वापस चली जाती है तो दोबारा उसको वापस लाना बहुत मुश्किल होगा। अगर ऐसी स्थिति बनती है तो सरकार को लेबर के पी.एफ. से उन्हें वेतन देना चाहिए। एम.एस.एम.ई. इंडस्ट्री पहले ही मंदी की मार झेल रही है।'

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प्रधान चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीयल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग उपकार सिंह आहूजा का कहना है कि 'लॉकडाऊन होता है तो जी.डी.पी. पर इसका गहरा असर पड़ेगा। इंडस्ट्री को फिक्स खर्चे जैसे बिजली के बिल, बैंकों के ब्याज इत्यादि देने ही पड़ेंगे। लोगों के पास एक्सपोर्ट के काफी ऑर्डर हैं, अगर इंडस्ट्री बंद होती है तो इससे इंटरनैशनल चेन भी टूटेगी और स्थानीय उद्योगों पर भी इसका बुरा असर होगा। इंडस्ट्री बंद होने पर श्रमिक ग्रुप बनाकर बैठ जाते हैं, जिससे कोरोना अधिक फैल सकता है। अगर कामकाज चलता है तो लेबर काम में व्यस्त रहेगी। लॉकडाऊन से अच्छा है सुरक्षा उपायों को मजबूत किया जाए।'

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वहीं एक्सपोर्टर राजेश ढांडा का कहना है कि 'इस समय देश में ही नहीं विश्व भर में कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव है। सरकार को सोच-समझ कर कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि अगर इंडस्ट्री बंद होती है तो अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी। इंडस्ट्री सरकार का सहयोग करने के लिए तैयार है लेकिन सरकार को जन-जीवन की सुरक्षा के साथ-साथ इंडस्ट्री को जीवित रखने के लिए भी कदम उठाने होंगे। पार्ट्स तैयार करने वाली एक छोटी सी फैक्टरी बंद होने का प्रभाव बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों पर भी पड़ता है। देश की इकॉनोमी पर नैगेटिव प्रभाव न पड़े और आर्थिक गतिविधियां चलती रहें तथा लोगों के जन-जीवन की सुरक्षा हो इस तरह की पॉलिसी सरकार को बनानी चाहिए।'

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Content Writer

Sunita sarangal

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