पंजाब में बिजली संकट पर सिद्धू ने साधे कैप्टन पर निशाने, Tweet कर फैसलों पर उठाए सवाल

punjabkesari.in Friday, Jul 02, 2021 - 04:51 PM (IST)

चंडीगढ़ः  पंजाब में भीषण गर्मी के दौरान बिजली की किल्लत के बीच सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को कहा कि पूर्ववर्ती शिरोमणि अकाली दल (शिअद)-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के कार्यकाल में किए गए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) राज्य की जनता के हित में नहीं हैं।

 

सिद्धू ने इन समझौतों को रद्द करने के लिए एक कानून लाने का आग्रह किया। सिद्धू ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि अगर राज्य ‘‘ सही दिशा में '' काम करता है, तो पंजाब में बिजली कटौती या मुख्यमंत्री को कार्यालय के समय का नियमन करने की कोई आवश्यकता नहीं है।''



पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ जारी गतिरोध के बीच सिद्धू ने कहा, ‘‘ बिजली की लागत, कटौती, बिजली खरीद समझौतों की सच्चाई और पंजाब के लोगों को मुफ्त तथा 24 घंटे बिजली कैसे दें..... अगर हम सही दिशा में कार्य करते हैं तो पंजाब में बिजली कटौती की कोई आवश्यकता नहीं है या मुख्यमंत्री को कार्यालय के समय या आम लोगों के ‘एसी' के उपयोग का नियमन करने की आवश्यकता नहीं है। ।''



भीषण गर्मी के बीच पंजाब में प्रति दिन बिजली की मांग 14,000 मेगावाट से अधिक हो गई है, जिसके कारण सरकारी बिजली आपूर्तिकर्ता ‘पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (पीएसपीसीएल) को मजबूरन बिजली कटौती और उद्योगों पर पाबंदियां लगानी पड़ रही हैं। राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार के कार्यालयों के समय में शुक्रवार से कटौती करने और उच्च ऊर्जा खपत करने वाले उद्योगों को बिजली आपूर्ति में कटौती करने का आदेश दिया था।
 

सिद्धू ने ट्वीट किया, ‘‘ पंजाब, ‘नेशनल ग्रिड' से बहुत सस्ती दरों पर बिजली खरीदी जा सकती है, लेकिन शिरोमणि अकाली दल और भाजपा की सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा हस्ताक्षरित पीपीए पंजाब के हित के खिलाफ काम कर रहे हैं। माननीय अदालतों से कानूनी संरक्षण प्राप्त होने के कारण पंजाब इन पीपीए पर फिर से बातचीत करने में सक्षम नहीं हो सकता है, लेकिन आगे एक रास्ता है।''



उन्होंने कहा कि पंजाब विधानसभा किसी भी समय ‘नेशनल पावर एक्सचेंज' पर उपलब्ध कीमतों पर बिजली खरीद लागत को सीमित करने के लिए पूर्वव्यापी प्रभाव से नया कानून ला सकती है। सिद्धू ने कहा, ‘‘ इस प्रकार, कानून में संशोधन करके ये समझौते खत्म हो जाएंगे और पंजाब के लोगों के पैसे भी बचेंगे।''

 

 

 

 

 


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Vatika

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