पंजाब के इस SSP पर लगा 50 हजार रुपये का जुर्माना, मामला जान होंगे हैरान, फंस सकते हैं अन्य अधिकारी

punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 04:27 PM (IST)

कपूरथला/चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 6 साल से ज्यादा समय से फरार एक अपराधी को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रभावी कदम उठाने में कपूरथला पुलिस की घोर लापरवाही पर कड़ा संज्ञान लिया है। इस दौरान कपूरथला सिटी थाने में तैनात अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

ssp kapurthala

जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने कपूरथला के एस.एस.पी. गौरव तुरा को फरार आरोपी को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर  50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही स्पष्ट किया है कि यह राशि गलत अधिकारियों से वसूल की जाएगी। यह राशि पंजाब के मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का आदेश दिया गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में एस.एस.पी. को सेवा में लापरवाही का दोषी पाया। अदालत ने 2019 से उस थाने के सभी जांच अधिकारियों और उस थाने एस.एच.ओ. विरुद्ध 3 महीनों के अंदर विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं जहां एफ.आई.आर. दर्ज की गई थी।  

जानें क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि 31 अगस्त, 2017 को कपूरथला थाने में राजेश महाजन के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। उनकी अग्रिम जमानत तीन बार रद्द की गई और 2019 में निचली अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था। इसके बावजूद, पुलिस ने 6 साल तक उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश तक नहीं की। अब आरोपी ने हाईकोर्ट में नई जमानत याचिका दायर की है, जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। एस.एस.पी. ने माना कि मामले में जांच अधिकारियों से गंभीर गलतियां हुई हैं। इसके बाद, हाईकोर्ट ने आरोपी को आत्मसमर्पण करने और जमानत लेने का आदेश दिया, लेकिन एस.एस.पी. पर जुर्माना लगाया और पुलिस की लापरवाही के लिए सभी जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि अब दोनों पक्षों के बीच मामला सुलझ गया है, जिसकी पुष्टि शिकायतकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष की। समझौते और लंबी पुलिस कार्यवाही को ध्यान में रखते हुए, जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता को उस समय भगोड़ा घोषित किए जाने के बावजूद लगभग 6 वर्षों की अवधि तक पुलिस अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे पता चलता है कि जवाबदेह को हिरासत में उससे कभी पूछताछ करने की जरूरत नहीं पड़ी, इस स्तर पर याचिका का विरोध करने का स्पष्ट रूप से कोई वैध कारण नहीं है।

मामले की सुनवाई 9 दिसंबर तक स्थगित करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। पीठ ने आदेश दिया कि ऐसा करने की स्थिति में, उसे निचली अदालत द्वारा अंतरिम जमानत दी जाएगी, बशर्ते वह अदालत की संतुष्टि के लिए जमानत/जमानत बांड प्रस्तुत करे और 'पंजाब मुख्यमंत्री राहत कोष' में 10,000 रुपये का भुगतान करे। पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता को बी.एन.एस. अधिनियम 2023 की धारा 482 के तहत निर्धारित शर्तों का भी पालन करना होगा।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Urmila

Related News