Punjab : आयुष्मान योजना को लेकर चिंताजनक खबर, आने वाले दिनों में बढ़ेंगी मरीजों की मुश्किलें

punjabkesari.in Thursday, Sep 26, 2024 - 12:29 AM (IST)

लुधियाना  (सहगल) : आयुष्मान भारत योजना को लेकर चल रहा गतिरोध अभी और लंबा चल सकता है। आज आईएमए पंजाब के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयुष्मान भारत योजना से संबंधित महत्वपूर्ण चिंताओं पर चर्चा करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की। बैठक सकारात्मक बताई जा रही है परंतु आने वाले दिनों में इसका कोई हल निकलता दिखाई नहीं दे रहा, जिससे मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।  

आई एम ए पंजाब के प्रधान डॉक्टर सुनील कत्याल ने बताया ने बताया  सरकारी आंकड़ों के अनुसार भुगतान का बकाया 190 करोड़ है। इसके अतिरिक्त, लगभग 89,000 मामले अभी भी पाइपलाइन में हैं, जिनमें से अनुमानित कुल 200 करोड़ का भुगतान अभी भी किया जाना है। यह फाइलें प्रक्रिया होनी बाकी हैं, यह देरी अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की वित्तीय सेहत को काफी प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को आयुष्मान भारत योजना के तहत सभी पैकेजों को आरक्षण मुक्त करना चाहिए। चुनिंदा अस्पतालों के लिए कुछ पैकेजों को आरक्षित करने की वर्तमान प्रणाली गलत है और कई रोगियों के लिए उपचार की पहुंच को प्रभावित करती है।

स्वास्थ्य मंत्री के साथ बातचीत के दौरान संगठन द्वारा संशोधित 2.2 पैकेज दरों का मुद्दा जोर-जोर से उठाया गया। उन्होंने कहा कि पैकेज की दरों में दो बार रिवीजन हो चुका है परंतु पंजाब में अभी भी पुरानी दरों पर अस्पतालों को काम करने को कहा जा रहा है और तो और पुरानी दरों पर भी अस्पतालों की पेमेंट लंबित हो गई है। उन्होंने कहा कि पैकेज मूल्य निर्धारण के संस्करण 2.2 के तहत संशोधित दरों को बिना किसी देरी के लागू किया जाना चाहिए। ये दरें लंबे समय से लंबित हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं कि अस्पताल बिना नुकसान उठाए सेवाएं प्रदान करना जारी रख सकें।  

वहीं मांग उठी की आयुष्मान योजना के तहत लाभों के लिए पिछली तिथि से आवेदन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। पिछली अवधि के दावों को अनुमति देने से सिस्टम पर अनुचित बोझ पड़ता है और अस्पतालों के लिए अपने वित्त का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करना मुश्किल हो जाता है। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पंजाब के वित्त सचिव डॉ रविंद्र सिंह बल ने कहा कि करोड़ों रुपए के लंबित भुगतान के चलते अस्पतालों की वित्तीय सेहत पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। कई अस्पतालों को अपने स्टाफ को वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा अस्पताल के अपने विभिन्न प्रकार के खर्च भी हैं, किसी ने लोन की पेमेंट देनी है, तो किसी ने नई मशीनरी इनस्टॉल करनी है, ऐसे में इन अस्पतालों का विस्तार भी रुक गया है, जबकि सरकार के साथ किए गए अनुबंध में 14 दिनों के भीतर बिलों के भुगतान की बात कही गई है।

पेंडिंग बैलों का भुगतान नहीं तो मरीजों को उपचार नहीं

डॉ सुनील कत्लयाल ने बताया कि जब तक सभी लंबित भुगतानों का निपटान नहीं हो जाता और भविष्य के भुगतानों के लिए टर्नअराउंड टाइम (टीएटी) का लगातार पालन नहीं किया जाता, तब तक आयुष्मान भारत योजना के तहत काम का निलंबन जारी रहेगा और मजबूरी वश आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पताल मरीज को सेवाएं प्रदान नहीं करेंगे क्योंकि वह स्थिति में नहीं है कि लंबी उधारी के तहत बिना वित्तीय संकट के वह सुचारू रूप से काम कर सकें. इसलिए जब तक हमें दी गई सेवाओं के लिए पूरा भुगतान नहीं मिल जाता और समय पर भुगतान की गारंटी नहीं मिल जाती निजी अस्पताल फिर से इस योजना को शुरू करने में असमर्थ है। 

सरकार के पास 100 करोड़, पेमेंट 600 करोड़ की
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि उनके शिष्टमंडल से बातचीत के दौरान सरकार की ओर से उन्हें बताया गया कि सरकार के पास 100 करोड रुपए पड़े हैं। 225 करोड़ की पेमेंट केंद्र सरकार की ओर से आनी बाकी है, परंतु निजी अस्पतालों का बकाया इससे कहीं अधिक है। 200 करोड़ रुपए की फाइलों को फाइनल सेटलमेंट की प्रक्रिया में नहीं डाला गया, इसमें अभी कितनी देर लगेगी कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर केंद्र सरकार द्वारा नीले कार्ड धारकों जिनकी संख्या 13 लाख के आसपास बताई जाती है, के लिए योजना शुरू की गई थी, पर पंजाब सरकार द्वारा उसमें 29 लाख लोग और जोड़ दिए गए। अब जो  गाड़ी से आता है उसके पास भी आयुष्मान भारत का कार्ड निकल रहा है, परंतु उसके पैसे अस्पतालों को नहीं मिल रहे। ऐसे में अस्पताल जाए तो कहां जाए।


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Content Editor

Subhash Kapoor

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