जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ पैदा हुआ विवाद सुलझा, जल्द शुरू होगा शाहपुरकंडी डैम का निर्माण
punjabkesari.in Friday, Nov 24, 2017 - 10:44 AM (IST)

गुरदासपुर (विनोद): जिला गुरदासपुर में बनने वाले शाहपुरकंडी डैम की योजना 1971 में बनाई गई थी। 1979 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तथा उस समय के जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच इस परियोजना संबंधी लिखित समझौता हुआ था। 1991 में इस परियोजना संबंधी प्रोजैक्ट रिपोर्ट तैयार कर केन्द्रीय योजना बोर्ड के पास मंजूरी के लिए भेजी गई व 1993 में मंजूरी मिलने के बाद 20 अप्रैल 1995 को उस समय के प्रधानमंत्री द्वारा इस परियोजना का नींव-पत्थर रखने के बावजूद यह परियोजना अब भी पंजाब व केन्द्र सरकार की उपेक्षा का शिकार होकर बीच में ही लटकी हुई है।
क्या इतिहास है शाहपुरकंडी डैम का
जानकारी अनुसार शाहपुरकंडी डैम वैसे तो रणजीत सागर डैम का दूसरा फेज है जिसे योजना अनुसार रणजीत सागर डैम के साथ ही शुरू किया जाना था परंतु रणजीत सागर डैम के निर्माण में काफी देरी होने के चलते पंजाब सरकार ने इस शाहपुरकंडी डैम का काम रोक कर पहले रणजीत सागर डैम को पूरा करने का निर्णय लेकर उसे अगस्त 2000 में चालू कर लिया तथा उसके बाद शाहपुरकंडी डैम का निर्माण कार्य पूरा करने की घोषणा की थी, परंतु पता नहीं इस शाहपुरकंडी डैम को किसी की नजर लग गई है कि इस डैम का निर्माण कार्य पूरा होना तो दूर की बात, निर्माण कार्य शुरू होने का ही नाम नहीं ले रहा।
जानकारी अनुसार शाहपुरकंडी डैम शुरू से ही किसी न किसी अड़चन का शिकार होता आ रहा है। जिस गति से इसका निर्माण कार्य चल रहा है उससे लगता है कि यह डैम आने वाले 20 साल में भी पूरा नहीं होगा। शाहपुरकंडी डैम माधोपुर हैडवक्र्स से 7 किलोमीटर ऊपर तथा रणजीत सागर डैम से लगभग 11 किलोमीटर नीचे रावी दरिया पर बनाया जाना है। रणजीत सागर डैम से निकास हुए पानी को पुन: रोक कर शाहपुरकंडी डैम से 160 मैगावॉट बिजली उत्पादन करने की योजना भी पंजाब सरकार ने साल 1971 में बनाई थी। सूत्रों के अनुसार जहां पर यह डैम बनाया जाना है, वहां पंजाब के साथ-साथ जम्मूृ-कश्मीर की भूमि भी आने के कारण 20 जनवरी 1979 को मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तथा जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच लिखित समझौता होने के बाद इस डैम संबंधी प्रक्रिया शुरू हुई थी परंतु देखा जाए तो यह डैम 46 साल बीत जाने के बाद भी विवादों के घेरे में है जबकि इसके लिए 3,176 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हो चुका है जिसमें से 1,528 एकड़ भूमि जम्मू-कश्मीर राज्य तथा 1,648 एकड़ भूमि पंजाब की है। सूत्रों के अनुसार इस डैम की विस्तार-योजना दिसम्बर 1991 में तैयार करके केन्द्रीय योजना बोर्ड के पास मंजूरी के लिए भेजी गई थी। इस पर आने वाली लागत 895.08 करोड़ रुपए आंकी गई थी परंतु इस संबंधी मंजूरी 5 जुलाई 1993 को मिली। तब दिसम्बर 1993 में इस परियोजना पर आने वाली लागत 995.45 करोड़ रुपए आंकी गई थी।
उसके बाद सिंचाई विभाग और बिजली बोर्ड के बीच इस डैम के निर्माण को लेकर विवाद पैदा हो गया। अभी यह विवाद सुलझ ही पाया था कि यह विवाद शुरू हो गया कि डैम का निर्माण कार्य विभागीय स्तर पर या किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी से ठेके पर करवाया जाए। इस डैम के कुछ हिस्से के निर्माण संबंधी सरकार ने टैंडर भी करवाए हैं।
बिना सोचे-समझे रखा गया था नींव-पत्थर
विभागीय तथा जम्मू-कश्मीर सरकार से विवाद निपटाए बिना ही पंजाब सरकार ने तब जल्दबाजी में 20 अप्रैल 1995 को उस समय के प्रधानमंत्री पी.बी.नरसिम्हा राव से शाहपुरकंडी डैम का नींव-पत्थर रखवा दिया था। तब स्वयं प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि इस डैम का निर्माण कार्य एक सप्ताह में शुरू कर 4 साल में इसे पूरा किया जाएगा। बेशक इस डैम पर अभी तक प्रोजैक्ट रिपोर्ट तैयार करने, भूमि संबंधी टैस्ट करवाने, भूमि अधिग्रहण सहित अन्य मामूली कार्यों पर लगभग 200 करोड़ रुपए पंजाब सरकार खर्च कर चुकी है, परंतु इस परियोजना संबंधी योजना बने आज 46 साल बीत जाने तथा इस परियोजना का नींव-पत्थर रखे जाने के लगभग 22 साल से अधिक समय बीत जाने बाद भी परियोजना का काम पूरी तरह से शुरू नहीं हो सका।
क्या कहते हैं इंटक नेता
पंजाब इंटक के महासचिव ज्ञान चंद लूम्बा ने आरोप लगाया कि शाहपुरकंडी डैम संबंधी न तो पंजाब सरकार तथा न ही केन्द्र सरकार गम्भीर है, जिस कारण यह डैम उपेक्षा का शिकार होकर रह गया है। सभी जानते हैं कि इस शाहपुरकंडी डैम का निर्माण कार्य पूरा किए बिना रणजीत सागर डैम से पूरी क्षमता में बिजली उत्पादन पूरा करना कठिन है। लूम्बा ने कहा कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार, विनोद खन्ना, उप मुख्यमंत्री पंजाब सुखबीर बादल सहित गुरदासपुर के वर्तमान सांसद प्रताप बाजवा इन शाहपुरकंडी डैम का निर्माण कार्य एक-दो सप्ताह में शुरू करने की समय-समय पर घोषणा करते आए हैं परंतु इन घोषणाओं पर अब लोगों ने विश्वास करना छोड़ दिया है।