2027 में सत्ता में आने के चाह्वान कांग्रेसी नेताओं के सपने चकनाचूर

punjabkesari.in Sunday, Jul 30, 2023 - 10:49 AM (IST)

पठानकोट: राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया (INDIA) नाम से बनने वाले अलाइंस का प्रभाव अब राज्यों में नजर आना शुरू हो रहा है। लोगों का नजरिया राजनीतिक दलों के प्रति तेजी से बदल रहा है। राजनीति के जानकार बदली हुई परिस्थितियों के चलते असमंजस की स्थिति में हैं कि ऐसी परिस्थितियां राजनीति में कैसे संभव हो सकती हैं कि 2 मुख्य विरोधी दल (सत्ता पक्ष और विपक्ष) इकट्ठे हो जाएं और राज्य की पूरी राजनीति बदल जाए। ऐसी परिस्थितियां बनने पर विपक्षी दल की भूमिका में कौन आएगा उस पर चिंतन शुरू हो चुका है।

पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को पानी पी-पीकर कोसा था तथा उसे बुरी तरह से चित्त करते हुए 92 विधानसभा सीटें जीतकर एक राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा रिकार्ड बनाया था। कांग्रेस अभी अपनी हार का चिंतन कर रही थी और पुन: पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रयत्नशील थी परंतु तीसरा नया दल आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने से कांग्रेस के कई पूर्व मंत्री और विधायक भ्रष्टाचार के मामले सरकार की राडार पर आ गए हैं। कोई माह ऐसा नहीं बीतता होगा जब उनका कोई न कोई नेता विजीलैंस द्वारा जांच के लिए बुलाया न गया हो या जांच के बाद उसे अरैस्ट न किया गया हो।

ऐसी परिस्थितियों में 2024 के लोकसभा चुनाव आए और राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा गठबंधन बना जिसमें आम आदमी पार्टी और कांग्रेस इकट्ठे हो गए जिससे आम आदमी पार्टी के दोनों हाथों में लड्डू तो आए ही वहीं दूसरी ओर एक विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस पार्टी बैकफुट पर आ गई। हैरानीजनक बात यह है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता यही घोषणाएं करते रहे कि हाईकमान हमारी बात सुनेगा और गठबंधन नहीं होगा परंतु ताकतवर मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी के हाईकमान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होना जरूरी था। इसलिए उन्होंने राज्य के नेताओं की एक न सुनी। उन्हें लोकसभा की सीटों से मतलब था और उनका मानना है कि इतनी तो अब भी आ जाएंगी। इसका सबसे बड़ा प्रभाव पंजाब के उन नेताओं पर पड़ा जो इस आयु वर्ग में हैं कि 2027 में वह पार्टी को सत्ता में लाकर एप्सूलूट पॉवर लेना चाह रहे थे जिस पर कम से कम आज की स्थिति में पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है।

कांग्रेस 2019 के लोकसभा और आम आदमी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनावों के आधार पर चाहती है टिकटों का आवंटन

लोगों की नजरों में पंजाब में ‘आप’ का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है और यह बात विशेषज्ञ राष्ट्रीय स्तर पर भी मान रहे हैं कि पंजाब की 13 की 13 सीटें यह गठबंधन जीतेगा। इसमें कितनी सीटें आम आदमी पार्टी की होंगी और कितनी सीटें कांग्रेस को मिलेंगी इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। कांग्रेस का यह तर्क है कि हमने लोकसभा चुनाव 2019 में 8 सीटें जीती थी इसलिए हमें अधिक सीटें मिलनी चाहिए और आम आदमी पार्टी को कम। आम आदमी पार्टी का तर्क यह है कि उस समय कांग्रेस पार्टी प्रदेश में सत्ता में थी इसलिए वह सीटें जीती। अब हम 92 विधायकों के साथ सत्ता में हैं इसलिए हमारा अधिक सीटें जीतने का दावा बरकरार है। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता आगामी 2-3 माह में पशोपेश की स्थिति में रहेंगे। उसके बाद कोई निर्णय लेंगे।

हारे हुए विधायक एवं बी और सी स्तर के कांग्रेसी नेता ले रहे हैं सुख की सांस

कांग्रेस में यह बात भी सामने आ रही है कि जिस प्रकार से सत्तापक्ष कांग्रेसियों की खिंचाई कर रहा था। यह गठबंधन बनने के बाद अब उन्हें कुछ हद तक राहत मिलेगी। कम से कम विजिलेंस और पुलिस प्रशासन से अकारण ही उन्हें कोई नुक्सान नहीं होगा और जीवन अच्छे ढंग से चलता रहेगा। जो लोग विधायक बनने की चाह रख रहे हैं वह जरूर चिंतित हैं कि अगर यह गठबंधन 2027 तक चला तो उनका क्या होगा। इस स्थिति में कांग्रेस का सक्रिय वर्कर भी अब ठंडा होकर बैठना शुरू हो गया है। जब तक लोकसभा के चुनाव होंगे तब तक एक वर्ष का समय निकल चुका होगा। आप आगे निकल चुकी होगी और अकाली एवं भाजपा के लिए विपक्ष की भूमिका में स्थान बनना शुरू हो जाएगा।

मजबूत विपक्ष की भूमिका में आ सकती है भाजपा?


प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के नेतृत्व में जिस प्रकार से भाजपा को मीडिया में कवरेज मिल रही है और अधिक से अधिक वर्कर जो खुद को आम आदमी पार्टी में एडजस्ट नहीं कर पा रहे वह इस पार्टी की ओर अग्रसर होते हुए नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा कद एवं उनके पुन: सत्तासीन होने की संभावनाओं का असर भी लोगों में देखा जा रहा है। ‘आप’ और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा के लिए वरदान तुल्य है। अगर वह ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी जड़ें गढ़ाने में सफल होती है तो स्थिति बदलेगी और विपक्षी दल की भूमिका में पार्टी आ सकती है जिसका लाभ उसे 2027 के चुनावों में होना संभावित है। अगर भाजपा की प्रसैप्शन यह बनना शुरू हो गई कि पंजाब में भी इसका भविष्य है फिर तो भारी संख्या में लोग अन्य दलों को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम लेंगे। पुराने नेता और वर्कर जिनका दशकों से पार्टी पर कब्जा था वो हाईकमान पर दबाव बनाने के मूड में हैं। इसका क्या परिणाम निकलेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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News Editor

Urmila

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