पूर्व मुख्य सचिव जंजुआ को झटका, हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को दिया आदेश
punjabkesari.in Sunday, Sep 17, 2023 - 09:36 AM (IST)

चंडीगढ़ : पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव वी.के. जंजुआ को बड़ा झटका देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वे वी.के. जंजुआ के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में अभियोजन की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को एक माह में प्रस्ताव भेजें। साथ ही केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि इस प्रस्ताव पर 3 माह के भीतर निर्णय लिया जाए।
याचिका दाखिल करते हुए मोहाली निवासी तुलसीदास मिश्रा ने हाईकोर्ट को बताया कि विजीलैंस ने ट्रैप लगाकर 2009 में तत्कालीन उद्योग निदेशक वी.के. जंजुआ को गवाहों की मौजूदगी में 2 लाख रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। साल 2010 में पंजाब सरकार ने उनके अभियोजन की मंजूरी दे दी थी और केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए पत्र लिखा था। ट्रायल कोर्ट ने जंजुआ को डिस्चार्ज करते हुए कहा था कि वह ऑल इंडिया सॢवस से जुड़े कर्मचारी हैं और केंद्र की मंजूरी के बिना ट्रायल को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
डिस्चार्ज के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि जंजुआ को डिस्चार्ज करने के फैसले में ट्रायल कोर्ट ने कोई गलती नहीं की है। हालांकि यह अदालत याचिकाकत्र्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर अपनी आंखें नहीं मूंद सकती है। कानून के शासन को कायम रखना इस न्यायालय का पवित्र कर्तव्य है और भ्रष्टाचार के मामलों में कोई भी नरमी कानून के शासन में आम आदमी के विश्वास को कम कर देगी।
2009 में जब जंजुआ इंडस्ट्री विभाग के डायरैक्टर थे तो किसी व्यक्ति से किसी काम के लिए 2 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए थे। 2009 में एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी और सरकार ने इनके खिलाफ विजीलैंस को जांच का जिम्मा सौंप दिया था। विजीलैंस ने जांच के बाद ट्रायल कोर्ट मोहाली में चालान पेश कर दिया था। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने इस पर एतजाज जताया और कहा कि यह आई.ए.एस. अफसर हैं। ए.जी. अपाइंटमैंट की अथारिटी केंद्र सराकर के पास है। इसलिए केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना इनके खिलाफ ट्रायल शुरू नहीं हो सकता।
इसके बाद पंजाब सरकार टाल-मटोल करती रही और गवर्नर से आदेश पारित करवाकर ट्रायल शुरू करवा दिया। लेकिन 2015 तक जब केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिली तो जिला कोर्ट ने इस मामले में जंजुआ को बाहर निकाल दिया। इसके बाद शिकायतकर्ता तुलसीराम हाईकोर्ट पहुंच गए जिन्होंने अपनी याचिका में कहा कि पंजाब सरकार नहीं चाहती कि जंजुआ पर कार्रवाई हो इसलिए वह केंद्र के पास इस केस के ट्रायल की अनुमति नहीं मांग रही। कोर्ट ने अपने आदेश में 32 केसों का जिक्र किया है जिसमें राज्य सरकार ने किसी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ ट्रायल चलाने के लिए केंद्र से अनुमति ली है।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए हैरानी जताई कि 14 साल गुजर गए और आज तक राज्य सरकार ने केंद्र से अनुमति नहीं मांगी। कोर्ट ने कहा कि यह न्याय प्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है इसलिए राज्य सराकर एक महीने के अंदर प्रस्ताव तैयार करे और 3 महीने के अंदर केंद्र से अनुमति लेकर ट्रालय कोर्ट को दे।
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