ESI अस्पताल पर छाए संकट के बादल, लंबे समय से दवाईयों की कमी

punjabkesari.in Saturday, Feb 11, 2023 - 04:40 PM (IST)

अमृतसर : आम आदमी पार्टी की सरकार के आने के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार क्या होना था, बल्कि सरकारी सेवाएं लड़खड़ा गई हैं। मजीठा रोड पर स्थित सरकारी ई.एस.आई. अस्पताल में मरीजों को महत्वपूर्ण दवाई न मिलने के कारण हाहाकार मची हुई है। दूरदराज से अस्पताल आने वाले मरीजों भारी परेशान हो रहे हैं, वहीं दोनों हाथ से सरकार को कोस रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले तकरीबन एक वर्ष से दवाओं की आपूर्ति नहीं हुई। चंडीगढ़ से दवाओं का स्टाक नहीं भेजा जा रहा।

जानकारी के अनुसार गैर सरकारी अदारो में काम करने वाले कर्मचारियों की सुविधा के लिए सरकार द्वारा सरकारी ई.एस.आई. खोला गया है। प्रतिदिन इस अस्पताल में सैंकड़ों की तादाद में मरीज उपचार करवाने के लिए आते हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार के समय अब जो अस्पताल पहले दवाओं से भरा रहता था, अब हालात है कि वह अस्पताल में महत्वपूर्ण दवाएं ही नहीं है तथा मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अमृतसर जोन के अंतर्गत आते पठानकोट, फाजिल्का, अबोहर, जालंधर, फगवाड़ा, होशियारपुर, मंडी गोबिंदगढ मोहाली में भी ई.एस.आई. अस्पताल से ही दवाएं सप्लाई की जाती हैं। इस जोन में डेढ़ लाख से अधिक ई.एस.आई. कार्ड धारक हैं, जो निशुल्क उपचार की सुविधा पाने के हकदार हैं।

ई.एस.आई. विभाग चंडीगढ़ द्वारा हर साल फरवरी व सितंबर माह में दवाओं का स्टाक ई.एस.आई. अस्पताल भेजा जाता है। फरवरी 2022 में दवाएं आई थीं, पर सितंबर माह में नहीं मिलीं। ई.एस.आई. अस्पताल प्रशासन ने विभाग से पत्राचार किया, पर जवाब नहीं मिला कि दवाएं कब तक आएंगी। सूत्रों के अनुसार चंडीगढ़ में ई.एस.आई. विभाग के सचिव स्तर पर दवाओं की खरीद की फाइल दबी रही। इसके बाद यह स्थिति है कि 500 प्रकार की दवाएं उपलब्ध करवाने वाला ई.एस.आई. अस्पताल में अब साधारण दर्द निवारक, कैल्शियम, चर्म रोग सहित तकरीबन सभी दवाएं खत्म हो चुकी हैं। मरीज आते हैं पर दवा केंद्र से उन्हें खाली हाथ लौटा दिया जाता है। हल्ला मचाने वाले मरीजों को दो चार गोलियां देकर शांत किया जाता है।

दवा व डाक्टर नहीं

उत्तर प्रदेश कल्याण परिषद के नेता राम भवन गोस्वामी के अनुसार वह पिछले माह ई.एस.आई. अस्पताल गए थे। मैडीसिन विभाग में न डाक्टर मिला और दवा तो यहां है ही नहीं। अस्पताल में आकर सिर मारने वाली बात है। यदि सरकार इस सप्ताह दवाएं भेज भी देती है तो पहले इनकी लैबोरेट्री में टेस्टिंग होगी, फिर मरीजों तक पहुंचाई जाएगी। इस प्रक्रिया में भी दस से पंद्रह दिन का समय लगेगा। अमृतसर की ई.एस.आई. डिस्पैंसरी वेरका, छहर्टा, तरनतारन, गोइंदवाल साहिब, बटाला, दीनानगर, पठानकोट व धारीवाल में भी दवाओं की कमी है। उन्होंने कहा कि अधिकतर कार्ड धारक प्रवासी है, उनको सेवाएं न मिलने के कारण भारी परेशनी का सामना करना पड़ रहा है।

ई.एस.आई. निगम ने मांगा था राज्य से ई.एस.आई. अस्पतालों का संरक्षण

ऑल इंडिया एंटी क्रप्शन मोर्चा के सरपरस्त महंत हमेशानंद सरस्वती ने कहा कि दवाएं सुचारू ढंग से मिलनी चाहिए। राज्य में ई.एस.आई. अस्पताल की हालत खस्ता हो चुकी है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि वह इन अस्पतालों के संचालन दें। असल में केंद्र सरकार के उपक्रम ई.एस.आई. निगम द्वारा पंजाब के ई.एस.आई. अस्पताल के संचालन में 88 फीसदी राशि खर्च की जाती है। 12 प्रतिशत पैसा पंजाब सरकार करती है। ई.एस.आई. कारपोरेशन को यदि ये अस्पताल मिल जाते हैं तो यहां उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी। हालांकि पंजाब सरकार ने इस संदर्भ में ई.एस.आई. निगम को जवाब नहीं दिया है। दुखद पहलू यह है कि पंजाब में छह आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां की हालत भी खस्ता है। नई सरकार ने डाक्टरों की डेपुटेशन रद्द कर दी। आयुर्वैदिक डिस्पैंसरियों के डाक्टर को उनके मूल स्टेशन पर भेज दिया गया। इसके बाद ये डिस्पैंसरियों स्टाफ की कमी से जूझ रही हैं।

जन औषधि भी बंद

मरीजों की पीड़ा की एक और वजह सिविल अस्पताल स्थित जन औषधि केंद्र है। तकरीबन दो सालों से यह केंद्र बंद है। ऐसे में मरीजों को जैनरिक दवाएं नहीं मिल पा रही। स्वास्थ्य विभाग ने इस केंद्र को खोलने के लिए अभी तक स्टाफ की नियुक्ति ही नहीं की।

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News Editor

Kalash

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