अमरनाथ यात्रा; श्रीनगर पुलिस का यात्रियों के प्रति व्यवहार शर्मनाक

punjabkesari.in Thursday, Jul 04, 2019 - 11:28 AM (IST)

लुधियाना(शारदा): हर साल की तरह 2 जुलाई को इस बार शुरू हुई श्री अमरनाथ यात्रा में पहले जत्थे में बालटाल रास्ते यात्रा करके वापस श्रीनगर पहुंचे यात्रियों के साथ श्रीनगर पुलिस का व्यवहार शर्मसार करने वाला रहा। घंटों यात्री निवास में रोकने के बाद कारवां शुरू किया जिसमें सैंकड़ों प्राइवेट गाडिय़ां शामिल थी। पम्पोर से कुछ किलोमीटर पहले एक बार फिर उसे न सिर्फ  हाईवे पर रोक दिया गया बल्कि घंटों सड़क पर खड़े परेशान यात्रियों ने जब पुलिस से रोकने का कारण जानना चाहा तो पुलिस ने यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया ।    
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ब्लैक में मिल रही चॉपर की टिकट 
पहले चॉपर बालटाल से गुफा तक लेकर जाता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हैलीपैड पंचतरणी में बन चुका है। यात्री चाहे पहलगाम से यात्रा करें या बालटाल से, उनको पंचतरणी में ही उतरा जाता है जहां से वे गुफा तक पैदल या घोड़े, पालकी पर जाते हैं जोकि 6 किलोमीटर का सफर है जिसे पूरा करने में 5 घंटे लगते हैं। दोपहर 2 बजे के बाद चॉपर पर जाने वाला यात्री वापस समय पर हैलीपैड पर नहीं पहुंच पाता, इस कारण जो यात्री पंचतरणी में रात नहीं रुक सकते, वे एक तरफ का किराया छोड़ किसी भी तरह रात वापस नीचे आ जाते हैं। इस तरह आने-जाने की चॉपर टिकट लेने वाले यात्री का एक तरफ का किराया बेकार चला जाता है व दूसरा चॉपर की टिकट मौके पर लेने वाले यात्रियों से प्राइवेट एजैंसी वाले दोगुना किराया वसूल रहे हैं। 
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खतरा आतंकियों से, तलाशी यात्रियों की
 श्रीनगर में यात्री कैंप में यात्रियों को एकत्रित करने के दौरान तलाशी के नाम पर कितना परेशान किया जा रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यात्रियों को न सिर्फ गाडिय़ों नीचे उतार कर गहन तलाशी ली जा रही है बल्कि महिलाओं और ब‘चों को भी नीचे उतरने के साथ-साथ सारा सामान भी वाहन से नीचे उतार, खोलकर चैक करवाने को मजबूर किया जाता है। इस तलाशी अभियान का शिकार यात्री इस बात को लेकर खासे गुस्से में दिखे कि खतरा आंतकियों से है या यात्रियों से। खासकर महिलाओं और ब‘चों को तक नहीं बख्शा जा रहा।    

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चॉपर से सर्वेक्षण की जगह जमीनी यात्रा करें अधिकारी व मंत्री
श्रीनगर में पुलिस के दुव्र्यवहार का शिकार हुए यात्रियों पवन कुमार, मोहित रामपाल, राज कुमार व सोनू शर्मा ने पंजाब केसरी को बताया की यात्रा शुरू होने से पहले हवाई मार्ग से गुफा तक यात्रा करने वाले केंद्रीय मंत्री व सरकारी अधिकारी जमीनी यात्रा करें तो उनको पता चलेगा कि सच्चाई क्या है। उनका कहना है कि जब एक बार यात्रियों को घंटों यात्री निवास पर रोकने के बाद काफिले में निकाला जाता है तो फिर उन्हें रास्ते में हाईवे पर क्यों रोका जाता है।  सैंकड़ों वाहनों में सवार हजारों यात्री जिनमें महिलाएं, बच्चे और बजुर्ग शामिल हैं, को हाईवे पर रोकना क्या सुरक्षित है। इससे अच्छा तो यात्री निवास से ही कारवां न निकाला जाए।

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हवाई सेवा उपलब्ध करवाने को नहीं कोई स्पष्ट हिदायत
चॉपर से यात्रा करने वाले यात्रियों की जिंदगी से किस तरह खेला जा रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बालटाल मार्ग से यात्रा करने वाले यात्रियों को सोनमर्ग से ऊपर पंचतरणी तक छोडऩे में तो चॉपर कम्पनियां पूरा जोर लगा देती हैं लेकिन यात्रियों को नीचे वापस सुरक्षित लाने की तरफ न तो उनका ध्यान है व न ही एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से हवाई सेवा उपलब्ध करवाने वाली कम्पनियों को इस तरह की कोई हिदायत है कि जितने यात्री वे ऊपर छोड़कर आते हैं, उनको वापस लाना उनकी जिम्मेदारी है।


जाली टिकट बनाने वाला माफिया बेनकाब
सोनमर्ग पर बने हैलीपैड से पंचतरणी तक यात्रा करने वाले कई यात्रियों को इस बार जाली टिकट बनाने वाले माफिया का भी शिकार होने के मामले सामने आने की खबर है जिसका खुलासा होने पर चॉपर सेवा चलने वाली कम्पनियों ने न सिर्फ इसकी पुलिस में शिकायत की बल्कि बाकायदा लोकल पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया जिसके बाद चॉपर कम्पनियों ने बारकोड वाली टिकट प्रचलन में लाना शुरू किया।


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