बढ़ रहा है कारोबारियों का जान देने का आंकड़ा, सरकार नहीं दे रही ध्यान

punjabkesari.in Thursday, Nov 17, 2022 - 11:03 AM (IST)

लुधियाना: भारत में आत्महत्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में कुल 139123 लोगों ने खुदकुशी की थी जो आंकड़ा 2021 में बढ़कर 164033 पर पहुंच गया है। आश्चर्यजनक रूप से भारत में किसान आत्महत्याओं में तो कमी आई है लेकिन कारोबारियों में आत्महत्या का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। इसके साथ ही भारत में बेरोजगारी और दिवालियापन के कारण होने वाली आत्महत्याओं में भी काफी बढ़ौतरी हुई है। भारत की सरकारी एजैंसी नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2020 में जहां 5213 लोगों ने दिवालियेपन के कारण खुदकुशी की थी। वहीं 2021 में ये आंकड़ा बढ़ कर 6361 पहुंच गया और इसी समय में बेरोजगारी से आत्महत्या करने वालों की संख्या भी 2851 से बढ़कर 3541 पर पहुंच चुकी है।

इस संबंध में आल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बदीश जिंदल ने बताया कि कोरोना काल के बाद देश में बेरोजगारी और दिवालियेपन के कारण आत्महत्याएं करने वालों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे ये साफ है कि भारत की अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर नहीं है। इसके साथ ही उद्योगपतियों और पेशेवर लोगो की आत्महत्याओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। सरकार ने अपना पूरा बजट और ध्यान कृषि क्षेत्र पर लगा रखा है इसलिए किसानों की आत्महत्याओं की संख्या में कमी आती जा रही है। सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा किसानों को मिल रहा है और उन्हें बिजली से लेकर खाद तक सस्ते दामों पर मिलती है और सरकार उनकी खरीद की भी जिम्मेदारी लेती है। इसके विपरीत कारोबारियों की समस्याएं लगातार बढ़ रही है जिससे उनमें आत्महत्याओं की प्रवृत्ति बढ़ रही है, लेकिन सरकार कारोबारियों के प्रति कभी भी संवेदनशील नजर नहीं आई।

जिंदल के अनुसार पिछले 3 वर्षों में जहां किसानों की आत्महत्याओं की संख्या 5957 से 5318 रह गई है, वहीं उद्योगपतियों की आत्महत्याओं में बढ़ौतरी हो रही है। पिछले 3 वर्षों में ये संख्या 16098 से बढ़कर 20231 हो गई है। इसी तरह प्रोफैशनल लोगों की आत्महत्याओं की संख्या भी 8730 से बढ़ कर 11431 हो गई है। इससे ये साफ साबित हो रहा है कि सरकार की कारोबारियों के प्रति को सहानुभूति नहीं है। उन्होंने मांग कि की सरकार जल्द से जल्द कृषि क्षेत्र की तर्ज पर उद्योगों को भी राहत दे। आज देश के सकल घरेलू उत्पादन और निर्यात में इस क्षेत्र का अहम योगदान है, लेकिन सरकार वोट बैंक के चलते कृषि को प्राथमिकता दे रही है। अगर सरकार ने इस ओर ध्यान न दिया तो कारोबारियों की आत्महत्याओं का सिलसिला भयंकर रूप ले सकता है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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