वरियाणा डम्प की मुख्य सड़क बननी शुरू, कोहिनूर रबर उद्योग के पीछे फैंका जाएगा सारा कूड़ा

punjabkesari.in Monday, Oct 18, 2021 - 06:01 PM (IST)

जालंधर (खुराना): कांग्रेस सरकार का कार्यकाल खत्म होने को है लेकिन जालंधर शहर की सोलिड वेस्ट सिस्टम मतलब कूड़े को टिकाने लगाने की जितनी भी कोशिशें की, सभी असफल साबित हुई। इस विफलता के कारण न केवल शहर के मुख्य डम्प वरियाणा में कूड़े के विशाल ढेर बन चुके हैं बल्कि अन्य इलाकों में भी कूड़ा फैंका जा रहा है। वरियाणा डम्ब की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर इन दिनों निर्माण कार्य शुरू हो गया है, जिससे जालंधर शहर का सारा कूड़ा अब कपूरथला रोड पर कोहिनूर रबर उद्योग के पीछे फैंका जा रहा है।

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कूड़े की दुर्गंध और बार-बार लगी आग से निकलने वाले जहरीले धुएं ने एक बड़े क्षेत्र को प्रभावित कर दिया है। निगम अधिकारियों ने बताया कि करीब 15 दिनों में सड़क बनकर तैयार हो जाएगी। जिससे 2-3 हफ्ते में सारा कूड़ा कोहिनूर रबर के पीछे नए डंप में फैंका जाएगा। गौरतलब है कि इस नए डंप से कई फैक्ट्रियां, व्यवसायिक प्रतिष्ठान और रिहायशी आबादी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

वरियाणा डम्प के आसपास घनी आवासीय आबादी थी, अब जहां निगम ने एक नया कूड़ा डम्प स्थापित किया है, चोपड़ा टाउनशिप, जालंधर कुंज और विहार जैसी आबादी बहुत करीब है। इलाके में कूड़े की बदबू फैलनी शुरू हो गई है और आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं। नई डम्प साइट के ठीक बगल में  काला संघिया ड्रेन भी गुजरती है, जिसमें डम्प का काफी कूड़ा गिरने लगा है। अब देखना यह होगा कि निगम इस स्थिति से कैसे निपटता है।

नगर निगम ने सड़क का निर्माण तो शुरू कर दिया है लेकिन आने वाले दिनों में नए डम्प साइट लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। वहीं चर्चा है कि शहर के वार्डों की सफाई में लगी 25 ट्रॉलियों के लिए अगर नगर निगम प्रशासन दोबारा टेंडर मांगता है तो पूरे शहर में साफ-सफाई की बड़ी समस्या हो सकती है।
ज्ञात हो कि निगम ने वर्तमान में लगभग 2 करोड़ रुपए की लागत से मजदूरों सहित 25 ट्रॉलियों को किराए पर लेकर उन्होंने सफाई का काम शुरू कर दिया है। 
शहर के 80 वार्डों और पार्षदों के लिए यह बड़ी राहत है। इस काम का पुराना ठेका खत्म हो चुका है और अब सरकार ने पुराने टेंडर को आगे बढ़ाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है।

निगम ने 2 महीने पूर्व 25 ट्रॉली किराए पर लेने के लिए 2.43 करोड़ रुपए जो टेंडर लिया था, उसके तहत निगम को टेंडर भी रिसीव हो चुके हैं तथा सरकार ने भी उन्हें खोले जाने की इजाजत दे दी है। जानकारी मिली है कि इस टेंडर को वापस बुलाने का प्रयास किया जा रहा है और तर्क दिया जा रहा है कि यह ट्रालियां विधानसभा हलके के हिसाल पर ली जानी चाहिए। दूसरे तरफ निगम अधिकारी यह मान कर चल रहे हैं कि अगर यदि अंतिम चरण में पहुंचने के बाद दोबारा निविदा बुलाई जाती है तो पूरी प्रक्रिया को फिर से अपनाना होगा, जिससे शहर की सफाई का काम प्रभावित हो सकता है। विधानसभा चुनाव करीब आने के साथ, कांग्रेस विधायक इस तरह का जोखिम उठाते हैं या नहीं, यह निकट भविष्य में विवाद पैदा हो सकता है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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