उद्योगों पर गहराता संकट : डॉलर के मुकाबले रुपए में भारी गिरावट, बढ़ी चिंता
punjabkesari.in Wednesday, Dec 17, 2025 - 11:30 AM (IST)
जालंधर (धवन) : अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में अमरीकी डालर के मुकाबले भारतीय रुपए के लगातार कमजोर होने से देश के उद्योग जगत में चिंता बढ़ती जा रही है। रुपए के निचले स्तर पर पहुंचने के कारण आयात आधारित कच्चा माल और मशीनरी महंगी हो गई है, जिसका सीधा असर उत्पादन लागत पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रुपए में यह कमजोरी लंबे समय तक बनी रही तो इसका व्यापक प्रभाव देश की औद्योगिक गतिविधियों, निर्यात प्रतिस्पर्धा और महंगाई पर भी पड़ सकता है।
आयात महंगा, उत्पादन लागत में तेज बढ़ौतरी होगी
लवली ग्रुप के चेयरमैन रमेश मित्तल ने कहा कि रुपए की गिरावट का सबसे बड़ा असर उन उद्योगों पर पड़ा है जो कच्चे माल, ऊर्जा संसाधनों, इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों और मशीनरी के लिए आयात पर निर्भर होते हैं। पैट्रोलियम उत्पाद, रसायन, इलैक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स आदि सैक्टरों में लागत तेजी से बढ़ रही है। उद्योग संगठनों का कहना है कि डालर के मुकाबले रुपए की कमजोरी से आयात बिल में भारी इजाफा हुआ है।
आयातकों और निर्यातकों दोनों की बढ़ी परेशानियां
विशाल टूल्स के प्रमुख उद्योगपति ज्योति प्रकाश ने कहा कि बढ़ती लागत को पूरी तरह उपभोक्ताओं पर डालना संभव नहीं है क्योंकि इससे मांग प्रभावित हो सकती है। वहीं निर्यातकों के लिए भी स्थिति पूरी तरह अनुकूल नहीं है। हालांकि कमजोर रुपया निर्यात को सैद्धांतिक रूप से बढ़ावा देता है, लेकिन आयातित कच्चे माल और लॉजिस्टिक लागत के महंगे होने से वास्तविक लाभ सीमित हो गया है। कई निर्यातक अनुबंधों की पुन: समीक्षा करने को मजबूर हैं। मैनुफैक्चरिंग लागत काफी ज्यादा बढ़ती जा रही है।
एम.एस.एम.ई. सैक्टर पर सबसे अधिक असर
यूनीक ग्रुप के चेयरमैन विनोद घई ने कहा है कि रुपया अत्यधिक कमजोर होने से छोटे और मझोले उद्योग (एम.एस.एम.ई.) इस स्थिति से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। सीमित पूंजी और कम मार्जिन के कारण वे बढ़ी हुई लागत को झेलने में असमर्थ हैं। उनका कहना है कि यदि जल्द राहत नहीं मिली तो कई इकाइयों को उत्पादन घटाने या अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लेना पड़ सकता है। इसलिए भारत सरकार व रिजर्व बैंक को रुपए में स्थिरता लाने की तरफ ध्यान देना चाहिए।
महंगाई बढ़ने की आशंका
लैदर इंडस्ट्री से संबंध रखते उद्यमी गुरसिमरदीप ङ्क्षसह रोमी ने कहा है कि रुपए की कमजोरी से आयातित वस्तुएं महंगी होने के कारण घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ सकती है। इसका असर आम उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति पर पड़ेगा और समग्र आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी हो सकती है। उन्होंने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक से मुद्रा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित करने, निर्यातकों को राहत पैकेज देने और आयात निर्भर उद्योगों के लिए विशेष सहायता उपायों की मांग की है।
सरकार और आर.बी.आई. को हस्तक्षेप करना चाहिए
इंजीनियरिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक से रुपए में स्थिरता लाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। निर्यात प्रोत्साहन, आयात शुल्क में अस्थायी राहत और तरलता बढ़ाने जैसे उपायों पर विचार करने की अपील की जा रही है। उद्योग संगठनों का कहना है कि समय रहते हस्तक्षेप नहीं हुआ तो इसका असर रोजगार और निवेश पर भी पड़ सकता है। डालर के मुकाबले रुपए की गिरावट ने उद्योग के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। आने वाले दिनों में सरकार, रिजर्व बैंक और वैश्विक बाजारों की दिशा यह तय करेगी कि यह संकट कितना गहरा होता है और इससे उबरने में कितना समय लगता है।
निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा
रबड़ इंडस्ट्री से जुड़े युवा उद्यमी माणिक गुलाटी ने कहा है कि मुद्रा में अस्थिरता से विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित होती है। रुपए में तेज उतार-चढ़ाव के कारण विदेशी पूंजी प्रवाह धीमा पड़ सकता है, जिसका असर शेयर बाजार और औद्योगिक विस्तार पर पड़ेगा। यदि लागत दबाव लंबे समय तक बना रहा तो उद्योगों को उत्पादन घटाने के साथ-साथ भर्ती रोकने या छंटनी जैसे कठिन निर्णय लेने पड़ सकते हैं, जिससे रोजगार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
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