पंजाब कांग्रेस पर पड़ रहा कांग्रेस हाईकमान के कमजोर होने का सबसे अधिक प्रभाव

punjabkesari.in Tuesday, Aug 25, 2020 - 09:11 AM (IST)

पठानकोट/चंडीगढ़(शारदा, अश्वनी): कांग्रेस हाईकमान के कमजोर होने का सबसे अधिक प्रभाव अगर किसी राज्य में पड़ रहा है तो वह पंजाब है। 2 दर्जन वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं द्वारा कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र के लीक होने से जो स्थिति आज सी.डब्ल्यू.सी. में बनी है, उससे कांग्रेस हाईकमान में अंदरूनी कलह स्पष्ट रूप से सामने आ रही है। मई 2019 में नरेन्द्र मोदी के हाथों कांग्रेस की हुई भारी हार अभी तक कांग्रेस पार्टी को पच नहीं पाई। उन्हें अभी उज्वल भविष्य की ओर जाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। परिणामस्वरूप राहुल गांधी पुन: अपनी ताजपोशी से डर रहे हैं। 
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वह पार्टी में सारी शक्तियां तो अपने हाथ में रखना चाहते हैं, परंतु जिम्मेवारी कोई नहीं लेना चाहते। सत्ता के समय मनमोहन सिंह के 10 वर्ष के कार्यकाल दौरान तो इस प्रकार की राजनीति चल जाती थी परंतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को एक फुलटाइम पार्टी प्रधान की अत्यंत आवश्यकता है, जो रात-दिन वर्करों से संपर्क करके  पार्टी को पैरों पर खड़ा करने का प्रयास करे।  लगभग डेढ़ वर्ष के समय में पंजाब का संगठन हाईकमान की ओर देख रहा है कि कब नेताओं और वर्करों को उनकी जिम्मेवारियां मिल पाएंगी। लोकसभा के चुनाव हारने के बाद नैतिकता के आधार पर प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का इस्तीफा हाईकमान द्वारा तुरंत अस्वीकार कर दिया जाता तो कहीं अ‘छा होता। लेकिन 4 माह बाद एक बार पुन: सुनील जाखड़ को प्रदेश पद पर कार्य को जारी रखने हेतु कहा गया, परंतु इस वर्ष के शुरू में ही कार्यकारिणी भंग कर दी गई। अब जबकि प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, मुख्यमंत्री अमरेन्द्र और प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी ने बड़ी मशक्कत के बाद एक प्रदेश कार्यकारिणी पर सहमति बनाकर भेजी तो आशा व्यक्त की जा रही थी कि एक-दो दिन में वह जारी हो जाएगी परंतु उस कार्यकारिणी को भेजे हुए एक माह से अधिक समय हो गया है लेकिन इस संबंध में वरिष्ठ नेता भी चुप्पी साधे हुए हैं।
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वर्ष 2017 में पंजाब में कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए अच्छी भूमिका निभाने वाली पंजाब प्रभारी आशा कुमारी भी अब पंजाब से धीरे-धीरे कन्नी काटने के मूड में हैं। उन्हें अभी भी अपना राजनीतिक भविष्य हिमाचल प्रदेश में नजर आ रहा है। वह नहीं चाहती कि कांग्रेस के दिग्गजों में चल रही लड़ाई में उनके ऊपर भी राजनीतिक हमले हों और उनकी छवि दागदार हो क्योंकि हिमाचल प्रदेश पंजाब से सटा है उसका प्रभाव वहां पर भी पड़ेगा। बिना कार्यकारिणी की लिस्ट जारी हुए अगर प्रभारी बदल दी जाती है तो नए वाला प्रभारी एक बार पुन: शून्य से कार्य शुरू करेगा और मामला लम्बा लटक जाएगा। पंजाब के 2 बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री रजिन्द्र कौर भट्ठल एवं आनंदपुर साहिब से सांसद मुनीष तिवाड़ी ने उन 23 नेताओं के साथ सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर करके एक नया विवाद छेड़ दिया है। मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने स्पष्ट रूप से सोनिया गांधी और राहुल गांधी का साथ दिया है, परंतु सुनील जाखड़ प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से पत्र लिखने वालों पर निशाना साधा है और इसे बी.जे.पी. के ट्रैप में फंसने तुल्य बताया है। 


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