केजरीवाल चले मायावती की राह, तभी मिली हार!

punjabkesari.in Sunday, Mar 12, 2017 - 01:09 PM (IST)

जालंधर/पटियालाःआम आदमी पार्टी को पंजाब में 100 से ज्यादा सीटें हासिल करने का जो शत-प्रतिशत विश्वास था वह चुनावी नतीजे आते ही टूट गया और साथ ही कई सवाल पैदा कर गया कि आखिर पंजाब में ‘आप’ की पूरी लहर के बावजूद ऐसा क्या हुआ कि वह 2 दर्जन के करीब सीटें ही हासिल कर पाई। ‘आप’ के बढिय़ा प्रदर्शन न कर पाने के कारणों के बारे चाहे आज दिन भर ‘आप’ नेताओं ने या तो चुप्पी धारे रखी या फिर गोल-मोल जवाब देते रहे कि कारण तलाशे जाएंगे।

एक बड़ा कारण यह सामने आया है कि ‘आप’ के राष्ट्रीय कन्वीनर अरविंद केजरीवाल बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के रास्ते पर चल पड़े थे, इसी कारण उनकी पार्टी पंजाब में अपना शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाई। राजनीतिक माहिरों की मानें तो ‘आप’ नेता केजरीवाल की पहले दिन से ही मायावती की तरह यही पॉलिसी रही कि पार्टी में उनके समान कद्दावर नेता पैदा ही न हो सके। इसी कारण जो कोई भी पार्टी में अपना कद बड़ा करने की कोशिश करता दिखा उसे ही उन्होंने या तो पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी ने पंजाब में अपने 4 सांसदों को इसी कारण जीरो कर दिया कि वे कहीं खुद को पंजाब का ‘केजरीवाल’ न बना लें। यही नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी में न लाने का कारण बना। 

सिद्धू फैक्टर को नहीं कर पाए कैश 
जानकार बताते हैं कि अगर सिद्धू ‘आप’ में आ जाते तो बिना शक माझा की 20 से अधिक सीटें प्रभावित करते लेकिन केजरीवाल को यही शंका थी कि अगर सिद्धू पार्टी में आए तो उनका कद उनसे बड़ा हो सकता था इसलिए उनको पार्टी में नहीं लाया गया।
‘आप’ का भविष्य पंजाब में कैसा होगा 
अब आने वाले दिनों में ‘आप’ का भविष्य पंजाब में कैसा होगा और पार्टी आने वाले दिल्ली निगम चुनाव और पंजाब में होने वाले निगम चुनावों में क्या प्रदर्शन कर पाएगी, इस पर निगाह रहेगी। पार्टी आगामी रणनीति क्या बनाने वाली है और कैसे अपनी दशा पंजाब व दिल्ली में सुधारेगी, कैसे निगम चुनावों के लिए अच्छे प्रदर्शन की योजनाबंदी करेगी इस बारे फिलहाल पार्टी नेताओं के पास कहने के लिए कुछ नहीं है।  


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