40 ट्रांसपोर्टरों के पेट पर लात मार रहे हैं 4 ट्रांसपोर्टर

punjabkesari.in Monday, Mar 19, 2018 - 10:00 AM (IST)

जालंधर(खुराना): आज से करीब 9 माह पहले जब देश में जी.एस.टी. प्रणाली लागू की गई थी तब सरकारों की ओर से जोर-शोर से दावे किए गए थे कि अब 2 नम्बर का काम करना आसान नहीं रहेगा। जी.एस.टी. प्रणाली में ट्रांसपोर्टरों पर भी कई तरह की बंदिशें लगाई गई थीं ताकि 2 नम्बर के माल के आने-जाने के रास्ते बंद हो सकें। परंतु सरकार की यह मंशा सफल होती नहीं दिख रही। सरकार के दावों के बावजूद जी.एस.टी. के बाद दो नम्बर के कारोबार का धंधा खूब फल फूल रहा है। चाहे जी.एस.टी. के तहत ट्रांसपोर्टरों पर कई तरह की प्रक्रियाएं लागू हैं। परंतु फिर भी जालंधर के 4 ट्रांसपोर्टर ऐसे हैं जो धड़ल्ले से 2 नम्बर का माल इधर-उधर करके न केवल लाखों-करोड़ों रुपए की अवैध कमाई कर रहे हैं बल्कि 40 के करीब अन्य ट्रांसपोर्टरों के पेट पर लात भी मार रहे हैं। ये वे ट्रांसपोर्टर हैं जो एक नम्बर में धंधा करते हैं परंतु खुलेआम चल रहे दो नम्बर के धंधे के कारण उनके पास ग्राहक अत्यंत कम हो गए हैं और कई ट्रांसपोर्टर तो काम धंधा समेटने के चक्कर में हैं। 

सैंट्रल जी.एस.टी. ने पकड़ी थी जाली बिल बुकें
कुछ दिन पहले सैंट्रल जी.एस.टी. विभाग ने जी.एस.टी. की चोरी को लेकर एक ड्राई फ्रूट के होलसेल व्यापारी और अन्य प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान भारी मात्रा में हो रही जी.एस.टी. की चोरी बारे पता चला। इस छापेमारी दौरान कथित रूप से दो नम्बर का काम करने वाली एक ट्रांसपोर्ट कम्पनी के यहां भी छापा मारा गया और अधिकारियों के मुताबिक वहां से जाली बिल बुकें तक जब्त की गईं। सैंट्रल जी.एस.टी. विभाग द्वारा इतना कुछ करने के बावजूद स्टेट जी.एस.टी. विभाग के अधिकारी जो शहर में ही आलीशान दफ्तरों में बैठे हैं, उन्होंने अपने स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की। हालांकि सरकार उन्हें लाखों रुपए वेतन देती है। स्टेट जी.एस.टी. की ऐसी चुप्पी कई संदेह पैदा करती है।

शिकायत हुई पर ठंडे बस्ते में गई 
शहर के ही एक ट्रांसपोर्टर रविंद्र पाल सिंह चड्ढा ने दो नम्बर का काम करने वाली ट्रांसपोर्ट कम्पनियों के विरुद्ध ऊपर तक शिकायतें कीं, जिसके बाद चंडीगढ़ और पटियाला में कुछ हलचल देखने को मिली परंतु जब वहां से मामला जालंधर रैफर किया गया तो यहां बैठे सैल्स टैक्स अधिकारियों ने न केवल मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया बल्कि अपना भाव भी बढ़वा लिया। सूत्रों की मानें तो शिकायतकत्र्ता से बात करते समय स्थानीय अधिकारियों ने खुद कुछ कम्पनियों बारे माना था कि ये दो नम्बर का काम कर रही हैं पर उन कम्पनियों पर आज तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।

स्टेट जी.एस.टी. अधिकारियों को है पूरी जानकारी 
दो नम्बर का काम करने वाले ट्रांसपोर्टरों बारे स्टेट जी.एस.टी. विभाग के अधिकारियों को पूरी जानकारी है क्योंकि यही ट्रांसपोर्टर उस समय भी खुलकर 2 नम्बर का काम करते थे, जब देश में वैट लागू था। तब ऐसे ट्रांसपोर्टरों की तूती बोलती थी और किसी भी बैरियर पर उनके माल को रोका या चैक तक नहीं किया जाता था। वैट के बाद जब जी.एस.टी. लागू हुआ तो कुछ समय के लिए दो नम्बर के काम पर अंकुश लगा। परंतु अब कहा जा रहा है कि दो नम्बर की ढुलाई का काम वैट के समय से भी ’यादा हो रहा है। शहर के यह चार ट्रांसपोर्टर दो नम्बर के माल में जितनी कमाई कर रहे हैं शायद किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा।

कई बार जानबूझ कर पकड़वाई जाती है गाड़ी 
दो नम्बर का काम करने वाले ट्रांसपोर्टर जहां अत्यंत शातिर तरीके से काम करते हैं वहीं वह कई बार जानबूझ कर अपनी दो नम्बर की गाड़ी को पकड़वा देते हैं। ऐसा अधिकारियों से मिलीभगत के चलते होता है ताकि विभाग के अधिकारी भी अपनी चुस्ती-फुर्ती दिखा सकें। इन मामलों में भी अधिकारी अत्यंत कम जुर्माना लगाकर गाड़ी छोड़ देते हैं। वहीं ऐसे मामलों में ट्रांसपोर्टर को भी ’यादा कमाई हो जाती है। जिन लोगों के नग पकड़े गए ट्रक में होते हैं उनसे कह दिया जाता है कि दो नम्बर का माल होने के कारण पकड़ा गया, अब अतिरिक्त किराया लगेगा जो उन्हें मिल जाता है और ऐसे में उनकी और कमाई हो जाती है। 

इनकी बिल्टी की भी होती है वैल्यू
दो नम्बर का काम करने वाले ट्रांसपोर्टरों की बिल्टी अत्यंत वैल्यू वाली होती है क्योंकि सैल्स टैक्स विभाग के ’यादातर अधिकारियों की नॉलेज में होती है। पता चला है कि कई ट्रांसपोर्टर जिनकी पहुंच नहीं होती परंतु वह भी दो नम्बर के लालच में आ जाते हैं, वह सामान के साथ अपनी बिल्टी लगाने की बजाय दूसरी ट्रांसपोर्ट कम्पनी (जो दो नम्बर का काम करती हो) की बिल्टी लगा देते हैं। ऐसे में सैटिंग के चलते उनका माल भी गंतव्य तक आसानी से पहुंच जाता है। सूत्रों की मानें तो लुधियाना में बिल्टी सप्लाई करने का धंधा खूब फल-फूल रहा है और अब जालंधर के चंद ट्रांसपोर्टर भी ऐसा करने लगे हैं। स्टेट जी.एस.टी. को चाहिए कि संदेह के दायरे में आई 4-6 ट्रांसपोर्ट कम्पनियों के गोदामों (जो नई दाना मंडी, इंडस्ट्रीयल एरिया, ट्रांसपोर्ट नगर इत्यादि में स्थित हैं) की चैकिंग करे या पंजाब सरकार इस मामले को विजीलैंस के हवाले करे तब जी.एस.टी. चोरी का बड़ा नैटवर्क सामने आ सकता है। 

6-7 गुना लेते हैं किराया 
दो नम्बर का काम करने वाले ट्रांसपोर्टर सरेआम 6-7 गुना ’यादा किराया वसूल रहे हैं। ऐसे में उन्हें व्यापारी से कोई बिल पर्चा नहीं चाहिए होता। रास्ते के लिए बिलों इत्यादि का इंतजाम वे खुद करते हैं। एक नम्बर का काम करने वाले ट्रांसपोर्टर की गाड़ी यदि किसी स्टेशन तक &0 हजार रुपए तक में जाती है तो वहीं दो नम्बर का काम करने वाले ट्रांसपोर्टर को उसी स्टेशन तक 1.50 से 2 लाख रुपए तक किराया भाड़ा मिल जाता है।


 


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