आधुनिकता के दौर ने ‘लालटेन’ की लाली तथा रोशनी लगभग खत्म

punjabkesari.in Sunday, Jun 25, 2017 - 10:34 AM (IST)

अमृतसर(कक्कड़): वो भी दिन थे जब मिट्टी के तेल से जलने वाली लालटेन रोशनी का बड़ा साधन मानी जाती थी, लेकिन आधुकिनता के दौर ने लालटेन की लाली तथा उसकी रोशनी को लगभग अलोप ही कर दिया है। इस समय लालटेन का प्रयोग कहीं भी देखने को नहीं आता है। लालटेन को हाथों से पकड़ कर उसकी रोशनी से लोग अंधेरे को दूर करते थे लेकिन अब लालटेन का स्थान ‘मोबाइल टॉर्च’ ने ले लिया है जो कि अंधेरे में लालटेन की रोशनी का काम करती है।

जानकारी के अनुसार लालटेन उस समय दहेज की वस्तुओं के हिस्से में भी शामिल थी। अन्य प्राचीन वस्तुएं की भांति लालटेन का दौर भी अब धुंधला गया है। लालटेन, प्रैशर कुकर, स्टोव, प्रैस आदि का काम करने वाले दुकानदार सुहेल सिंह ने बताया कि लगभग 35 से 40 वर्ष पहले लालटेन का मूल्य 40 से 50 रुपए था और अब लालटेन का मूल्य 180 से 200 रुपए है। इसकी बिक्री के प्रति बताते हुए उन्होंने बताया कि अब लालटेन की बिक्री 35-40 वर्ष पूर्व के मुकाबले मात्र 10 प्रतिशत ही रह गई है क्योंकि लालटेन पर आधुनिकता का दौर हावी हो चुकी है।

गांवों में बागों की रखवाली हेतु रोशनी के लिए वहां वृक्षों के साथ बांधी जाती है और वहीं कुछ लोग घरों में सजावट के तौर पर भी लालटेन की यादों को ताजा किए हुए हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि आज बच्चों को लालटेन दिखाकर यदि उनसे पूछा जाए कि यह क्या है और यह किस काम आती है तो अधिकांश बच्चों के लिए जवाब दे पाना कठिन होगा। वहीं दुखद पहलू यह भी है कि पंजाबी विरसे से जुड़ी अनेक वस्तुएं आधुनिकता की दौड़ में अलोप हो गई हैं।  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News