पंजाब के साथ सटे पाक बॉर्डर के संवेनदशील हिस्सों की निगरानी हाईटैक तरीके से होगी

punjabkesari.in Wednesday, Jan 03, 2018 - 09:22 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): पंजाब के साथ सटे पाकिस्तान बॉर्डर के संवेनदशील  हिस्सों की निगरानी अब हाईटैक तरीके से होगी। कॉम्प्रीहैन्सिव बॉर्डर मैनेजमैंट सिस्टम (सी.बी.एम.एस.) के जरिए बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बी.एस.एफ.) के जवान 24 घंटे बॉर्डर पर होने वाली हर हरकत पर पैनी नजर रख सकेंगे। यह सिस्टम लगाने का आगाज गुरदासपुर से किया जाएगा।

 


बी.एस.एफ. के आई.जी. कम्यूनिकेशन ने गुरदासपुर से सटे पाक बॉर्डर के संवेनदशील हिस्सों का सर्वे कर विस्तृत रिपोर्ट हैडक्वार्टर को भेज दी है। जालंधर के बी.एस.एफ. फ्रंटियर हैडक्वार्टर के अधिकारियों की मानें तो ऐसी आधा दर्जन संवेदनशील जगहों का चयन किया गया है जहां सिस्टम लगाया जा सकता है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर जम्मू सैक्टर में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर पायलट प्रोजैक्ट के तहत सिस्टम को लगाया गया था, जहां काफी बेहतर नतीजे सामने आए हैं। जम्मू सैक्टर में सिस्टम के लिए 2 संवेनदशील जगहों का चयन किया गया था। करीब 5 से 6 किलोमीटर तक 2 भागों में चयनित संवेदनशील जगहों पर चौबीस घंटे पैट्रोङ्क्षलग मुमकिन नहीं थी। उस पर पहाड़ी इलाकों और ऊंची घास का फायदा घुसपैठिए उठा जाते थे। सिस्टम को लगाने के बाद न केवल काफी संख्या में घुसपैठियों को काबू किया गया बल्कि काफी मात्रा में हैरोइन और जाली करंसी भी पकड़ी गई। इसी कड़ी में चयनित संवेनदशील जगह पर क्रॉस बॉर्डर सुरंग का भी पता लगा। इन मिली सफलताओं के आधार पर बी.एस.एफ. ने सिस्टम को बॉर्डर सिक्योरिटी के लिहाज से खरा करार दिया है। अब पंजाब के साथ सटे पाक बॉर्डर पर सिस्टम लगाने की पहल की जा रही है।


तीन हिस्सों में बंटा होता है सिस्टम
कॉम्प्रीहैन्सिव बॉर्डर मैनेजमैंट सिस्टम (सी.बी.एम.एस.) बॉर्डर के संवेदनशील इलाकों में गुप्त सूचनाएं देने वाली बेहद आधुनिक प्रणाली है। यह मुख्य तौर पर तीन हिस्सों में बंटा होता है। पहला सैंसर, डिटैक्टर, कैमरा, ग्राऊंड बेस्ड राडार सिस्टम,माइक्रो-एरोसटैट और लेजर,जो चौबीस घंटे बॉर्डर की निगरानी करते हैं। दूसरा, बेहतरीन कम्यूनिकेशन नैटवर्क सिस्टम, जो सैटेलाइट कम्यूनिकेशन के जरिए पल-पल की जानकारी एकत्र करता है और तीसरा, कमांड एंड कंट्रोल सैंटर, जो इकट्ठा की जानकारी को पलभर में अधिकारियों तक पहुंचाता है। इस जानकारी की बदौलत बॉर्डर पर होने वाली किसी भी हरकत के दौरान बी.एस.एफ. के जवान तुरंत हरकत में आ सकते हैं। बी.एस.एफ. के अधिकारियों के मुताबिक यह सिस्टम पुराने मैनुअल सर्विलैंस सिस्टम और पैट्रोङ्क्षलग की जगह एक ऐसे इलैक्ट्रॉनिक सर्विलैंस की सुविधा देता है जिससे क्विक रिएक्शन टीम किसी भी विकट स्थिति पर तुरंत काबू पा सकती है।


पठानकोट हमले ने रखी इस सिस्टम की नींव
बॉर्डर पर इलैक्ट्रॉनिक सर्विलैंस की जरूरत को सबसे ज्यादा मजबूत आधार पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले ने दिया। वैसे तो केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर पर वर्ष 2012 से चर्चा की जा रही थी,लेकिन वर्ष 2014 तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। वर्ष 2014 में बी.एस.एफ. ने भी सिस्टम पर डिटेल रिपोर्ट पेश की लेकिन जनवरी 2015 के अंत तक इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई। 2016 के दौरान पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला हो गया, तो आनन-फानन में केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर पर आधुनिक  बॉर्डर मैनेजमैंट सिस्टम की चर्चा ने जोर पकड़ा। उस पर न्यायपालिका ने भी सरकार के खिलाफ सख्त तेवर अख्तियार कर लिए। नतीजा, 29 जनवरी 2016 को होम सैक्रेटरी ने मीटिंग बुलाकर पायलट प्रोजैक्ट के तहत कॉम्प्रीहैन्सिव बॉर्डर मैनेजमैंट सिस्टम  लगाने के निर्देश जारी कर दिए।

पूर्व होम सैक्रेटरी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी का गठन
पठानकोट हमले के बाद ही पूर्व होम सैक्रेटरी मधुकर गुप्ता की अगुवाई में उच्चस्तरीय कमेटी का भी गठन किया गया। इस कमेटी को भारत-पाक बॉर्डर पर संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा के लिए उपाय सुझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस कमेटी ने पाकिस्तान बॉर्डर के साथ सटे राज्यों के सिक्योरिटी मैकेनिज्म की डिटेल स्टडी की जिसके आधार पर राज्यों के लिए अलग-अलग सुरक्षा उपाय सुझाए। कमेटी ने पाया कि बॉर्डर की सुरक्षा में कई जगह ऐसे छेद हैं जहां कॉम्प्रीहैन्सिव बॉर्डर मैनेजमैंट सिस्टम की जरूरत है। इन सुझावों के साथ कमेटी ने मार्च 2017 के दौरान विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी।


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