सांप के डसे लोगों को बचाने में सिविल अस्पताल सबसे आगे
punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 11:55 AM (IST)
जालंधर(शौरी): बारिशों का सीजन शुरू होते ही यह डर सताता है कि कहीं जहरीला सांप डस न जाए। दरअसल सांप के डसे व्यक्ति इस बात को लेकर ही डर जाते हैं कि उनका जीवन बच सकेगा या नहीं, क्योंकि आमतौर पर उन्हें नहीं पता होता कि सांप कितना जहरीला है। वहीं महानगर के कुछ प्राइवेट अस्पतालों में सांप की ओर से डसे लोग उपचार के लिए जाते हैं तो उनकी जेबें खाली हो जाती हैं, क्योंकि उक्त अस्पतालों में इसका उपचार महंगा होने के साथ मरीज को लगने वाले टीके भी महंगे होते हैं।सिविल अस्पताल के ट्रोमा वार्ड में सांप के डसे लोगों के उपचार के लिए बढिय़ा सुविधाएं उपलब्ध हैं, जहां के डाक्टरों व स्टाफ ने काफी ऐसे मरीजों को ठीक किया है, जोकि सांप के डसने के बाद बेहोशी की हालत में चले गए थे।
झाड़-फूंक के चक्कर में मरीज को न फंसाएं
सांप के डसे लोग तुरंत पास के सरकारी अस्पताल या फिर माहिर डाक्टर के पास जाएं। अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग सांप के डसने के बाद बाबाओं के चक्कर में पड़कर झाड़-फूंक या फिर फांडा करवाने चले जाते हैं। बाबा मणि निकाल कर सांप द्वारा काटे स्थान पर लगाकर जहर शरीर में से निकलने की बात करता है लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। बाबा बाद में उन्हें अस्पताल भेज देते हैं। ऐसे बाबाओं के पास जाकर मरीज सीरियस हालत में पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है।
सिविल अस्पताल में फ्री होता है उपचार
वैसे तो सांप के डस मरीज को एंटी स्नेक नामक टीका लगता है, जो मरीज के जीवन की रक्षा करने में काफी महत्वपूर्ण साबित होता है। एक मरीज को उपचार के दौरान करीब 20 से लेकर 30 तक टीके भी लग जाते हैं, क्योंकि सांप की ओर से डसने के बाद मरीज के शरीर में फैले विष के प्रभाव को कम करने के लिए उक्त टीके ही मरीज के लिए वरदान साबित होते हैं। बाजार में उक्त टीका करीब 700 से 800 रुपए तक मिलता है, जबकि सिविल अस्पताल में सरकारी आदेशों के मुताबिक उक्त टीके फ्री में मरीज को लगाए जाते हैं और साथ ही मरीज का उपचार भी नि:शुल्क होता है।