रिपेयर के लिए गई मेयर की सरकारी कार को कंपनी ने बना लिया ‘बंधक’

punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 11:11 AM (IST)

जालंधर(खुराना): चाहे पंजाब में मेयर्ज को ज्यादा अधिकार प्राप्त नहीं है परंतु फिर भी किसी भी शहर के मेयर को वहां का प्रथम नागरिक माना जाता है और प्रोटोकॉल के हिसाब से मेयर का दर्जा विधायक से भी ऊंचा माना जाता है। ऐसे में भी अगर कोई मेयर की पावर तथा उनके रुतबे को कम आंकने का प्रयास करें तो इसे बहुत बड़ी गलती माना जा सकता है।

जालंधर में आज एक ऐसा मामला प्रकाश में आया, जहां एक कार कंपनी ने मेयर जगदीश राजा की सरकारी कार को ही बंधक बना लिया और साफ  शब्दों में फरमान जारी किया कि जालंधर नगर निगम पहले कंपनी का पिछला भुगतान करे, तभी मेयर की कार को कंपनी की वर्कशॉप से जाने दिया जाएगा। गौरतलब है कि कुछ साल पहले जालंधर निगम ने मेयर तथा कमिश्नर के लिए नई इनोवा गाडिय़ों की खरीद की थी, जिन्हें रिपेयर व सॢवसिंग इत्यादि के लिए कंपनी की हाईवे पर स्थित डीलरशिप के पास भेजा जाता है। पिछले लंबे समय से यह दोनों सरकारी कारें उसी कंपनी की वर्कशॉप में रिपेयर व सॢवस होती आई हैं। 

किसी कारणवश उक्त कंपनी की काफी पेमैंट जो 1.62 लाख रुपए बताई जा रही है, निगम की ओर पैंङ्क्षडग पड़ी थी। दो-चार दिन पहले जब मेयर की कार बंपर की रिपेयर तथा अन्य कामों के लिए उसी कंपनी की वर्कशॉप में गई तो ठीक होने के बाद भी कार को वापस सौंपा नहीं गया।  जब मेयर के ड्राइवर ने कंपनी अधिकारियों से संपर्क किया तो उसे कोरा जवाब दे दिया गया कि निगम पहले कंपनी की 1.62 लाख रुपए की पेमैंट का चेक सौंपे, तभी गाड़ी को वर्कशॉप से बाहर भेजा जाएगा। शहर के प्रथम नागरिक तथा जालंधर नगर निगम की इज्जत तार-तार होती देख नगर निगम के बड़े अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए और उन्होंने कंपनी डीलरशिप के बड़े अधिकारियों से संपर्क साधा परंतु कंपनी वाले फिर भी कार देने को नहीं माने। पता चला है कि ऐसी स्थिति में नगर निगम की तहबाजारी शाखा के सुपरिंटैडैंट मनदीप सिंह, जिनके पास वर्कशॉप का चार्ज भी है, ने मौके की नजाकत को भांपते हुए कंपनी के बड़े अधिकारियों से संपर्क साधा और अपनी जिम्मेदारी पर मेयर की कार को वापस लेकर आए। 

डी.सी.एल.ए. ने चैक पर साइन करने से किया इंकार 
नगर निगम के अकाउंट विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक उक्त कंपनी की पेमैंट निगम की ओर कई महीनों से बकाया है, जिसके एक बिल के भुगतान के रूप में करीब 60 हजार का चैक इन दिनों तैयार पड़ा है। इस चैक पर ऑडिट विभाग के प्रमुख डी.सी.एफ.ए. के हस्ताक्षर होने हैं जिसके बाद अकाउंट विभाग के प्रमुख डी.सी.एल.ए. द्वारा चैक को रिलीज किया जाएगा। 

हालात यह हैं कि निगम में ऑडिट शाखा के प्रमुख डी.सी.एफ.ए. सप्ताह में एक-दो बार ही निगम आते हैं और पैङ्क्षडग पड़ा काम निपटा कर जाते हैं। कंपनी के इस चैक पर क्योंकि डी.सी.एल.ए. के हस्ताक्षर नहीं थे, इसलिए निगम के डी.सी.एफ .ए. ने चैक पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया जिस कारण चैक कंपनी को सौंपा नहीं जा सका। इसी विवाद के चलते कंपनी के अधिकारियों ने हिम्मत करके मेयर की कार को ही वर्कशॉप में लगभग बंधक बना लिया। पता चला है कि निगम के कुछ अधिकारियों ने डी.सी.एफ .ए. को तर्क भी दिया कि मेयर की कार की रिपेयर बारे चैक पर डी.सी.एल.ए. के हस्ताक्षर करवा लिए जाएंगे, तब तक आप चैक को क्लियर कर दो परंतु डी.सी.एफ.ए. नहीं माने और उन्होंने चैक जारी नहीं किया।


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Vaneet

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