हौंसले की उड़ान: 70 प्रतिशत पैरालाइज ग्रस्त प्रगतिशील किसान ने पैदा की नई मिसाल

punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2020 - 05:26 PM (IST)

होशियारपुर(जैन): मंजिल उसी को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां सच साबित की है 70 प्रतिशत पैरालाइज के शिकार प्रगतिशील किसान करनैल सिंह ने। अपनी कमजोरी की परवाह न करते हुए होशियारपुर के गांव बसी गुलाम हुसैन ने दृढ़ इरादे का प्रमाण देते हुए रसायन मुक्त व तंदुरुस्त खेती का राह अपनाया, जिस कारण करनैल सिंह एक सफल किसान के साथ-साथ एक मजबूत इंसान बन कर भी उभरे हैं।

रसायन मुक्त तंदुरु स्त खेती करने वाले किसान सिंह की प्रशंसा करते हुए डी.सी. अपनीत रियात ने कहा कि बहु-पक्षीय प्रतिभा के मालिक करनैल सिंह समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। उन्होंने कहा कि इस किसान ने साबित कर दिया है कि दृढ़ इच्छा शक्ति से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि बाकी किसानों को भी रसायन मुक्त खेती करने को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि समाज को तंदुरु स्त रखा जा सके। उन्होंने किसानों को फसली चक्र से निकल कर वैकिल्पक खेती करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से वैकल्पिक व रसायन मुक्त खेती करने वाले किसानों को सम्मानित कर उत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे आर्थिक तौर पर और मजबूत हो सकें। उन्होंने किसानों को सहायक धंधे अपनाने के लिए भी कहा, ताकि वे आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकें।

41 वर्षीय किसान करनैल सिंह ने जिला प्रशासन का धन्यवाद प्रकट करते हुए कहा कि प्रशासन की ओर से उनको गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया गया है, जो उसके लिए बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में उन्होंने अपने खेतों में रसायन मुक्त खेती शुरू कर दी थी। इसी बीच वर्ष 2018 में एक दुुर्घटना में उसके शरीर का छाती से नीचे का सारा हिस्सा पैरालाइज हो गया और वह एक साल तक बिस्तर पर रहा। उन्होंने बताया कि इस मुश्किल घड़ी में अपने साथ-साथ परिवार की जिम्मेदारी निभाना उनके लिए एक चैलेंज था लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति ने उसे मानसिक तौर पर और मजबूती प्रदान की। करनैल अक्सर कहते हैं कि बेशक वह शारीरिक तौर पर लाचार हो गया है लेकिन अपने दिमाग को उसने लाचार नहीं होने दिया और दोबारा से अपनी रसायन मुक्त खेती की ओर वह अग्रसर हो कर फिर से पैरों पर खड़ा हो गया है।

करनैल सिंह ने बताया कि वह खेतों का काम तो नहीं कर पाते लेकिन उन्होंने काम के लिए लेबर रखी है और सुबह 11 बजे खेतों में आ जाते हैं और सांय 6 बजे क अपनी देखरेख में खेतों का सारा काम देखते हैं। उन्होंने कहा कि रसायन मुक्त सब्जियों की लोगों में काफी डिमांड है और वे अपनी सब्जियां किसान हट व सेफ फूड मंडी में बेचते हैं। इसके अलावा कई लोग सीधे खेतों से भी सब्जियां खरीद लेते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास बैटरी पावर ट्राइसाइकिल हैं, जिसके माध्यम से वे अपने खेतों से लेकर मार्कीटिंग व बाहर का सारा काम खुद करते हैं और अपना परिवार संभालते हैं। उन्होंने बताया कि वे रसायन मुक्त खेती करने वाले होशियारपुर के इनोवेटिव फार्मर एसोसिएशन व पी.ए.यू किसान क्लब के सदस्य भी हैं और उनके एसोसिएशन के सदस्य उनकी हर संभव सहायता भी करते हैं।


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Vaneet

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