पंजाब में विदेशी जीवों का विवरण देने वाले 89 आवेदन, 15 दिसम्बर के बाद होगी सख्ती
punjabkesari.in Tuesday, Dec 08, 2020 - 04:51 PM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): विदेशी प्रजाति के जीव-जंतुओं का आधिकारिक ब्यौरा देने में पंजाब की रफ्तार काफी सुस्त है। केंद्र सरकार के स्तर पर सामने आए आंकड़ों में दक्षिण भारत के राज्यों से आवेदकों की संख्या सबसे ज्यादा है। पंजाब से अब तक केवल 89 आवेदन ही आए हैं। यह हालत तब है जब 15 दिसम्बर के बाद बिना मंजूरी के विदेशी प्रजाति के जीव-जंतु को पालना या खरीद-फरोख्त पूरी तरह गैर-कानूनी हो जाएगा।
पंजाब के लिहाज से यह मामला इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि विदेशी जीव-जंतुओं को पालने के शौकीन यहां काफी ज्यादा हैं। ज्यादातर राजनेता, अफसर और बड़े घरानों में विदेशी जीव-जंतुओं को पालने का खासा प्रचलन है। खासतौर पर इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया, अमरीका, पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों में पाए जाने वाले रंग-बिरंगे पक्षी आमतौर पर यहां घरों में दिखाई दे जाते हैं। कुछ सालों में विदेशी धरती पर पाए जाने वाले रंग-बिरंगे अजगर, छिपकलियां, कछुए, घोड़े, कुत्ते, बिल्लियां और चूहे पालने के शौक में भी काफी उछाल आया है। अभी तक इन विदेशी मेहमानों की कोई आधिकारिक रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नहीं था, जिस वजह से अवैध कारोबार भी काफी फल-फूल रहा था लेकिन अब केंद्र सरकार ने सख्ती की तैयारी कर ली है। इसका उद्देश्य यही है कि विश्व स्तर पर जीव-जंतुओं के हो रहे अवैध कारोबार पर अंकुश लगाया जा सके। साथ ही विदेशी मेहमानों की रजिस्ट्रेशन कर भारत में इनकी संख्या पता लगाई जा सके।
‘केंद्र सरकार ने 6 महीने का दिया है समय’
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने जून में विदेशी मेहमानों के संबंध में एडवाइजरी जारी की थी। वालंटियरी डिस्क्लोजर स्कीम के नाम से जारी एडवाइजरी में इग्जॉटिक लाइव स्पीशिज यानी विदेशी प्रजाति के जिंदा जीव-जंतुओं को 6 माह में इच्छा से वन विभाग के समक्ष घोषित करने का समय दिया गया है। इस दौरान घोषणा करने वाले को विदेशी मेहमान संबंधी कोई दस्तावेज पेश नहीं करना होगा लेकिन 15 दिसम्बर के बाद आवेदक को भारतीय कानून के मुताबिक खरीद-फरोख्त से जुड़े दस्तावेज पेश करने पड़ेंगे। 1 जनवरी-2020 तक की स्थिति के हिसाब से ऐसे जीवों के मालिक या स्टॉक रखने वालों का मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक की ओर से परिवेश पोर्टल के जरिए पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें स्टॉक और विदेश से आयात किए ऐसे जीवों की उत्पत्ति की जानकारी भी देनी होगी। पंजीकरण और फिजिकल वैरीफिकेशन के बाद ऐसे जीवों को रखने का ऑनलाइन सर्टीफिकेट जारी किया जाएगा। फिजिकल वैरीफिकेशन के लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एक अधिकारी नियुक्त करेगा, जो उस जगह का मुआयना भी करेगा, जहां जीवों को रखा जाता है। घोषणा के बाद जीव को किसी और को दिए जाने, मृत्यु या फिर व्यापार संबंधी जानकारी भी 30 दिन के भीतर देनी होगी। इसकी एक रसीद प्रतिपालक द्वारा जारी की जाएगी। इच्छुक व्यक्ति किसी भी चिडिय़ाघर में ऐसे जीवों को सरैंडर के लिए उनसे स्वीकृति के लिए अनुरोध कर सकते हैं। यहां परखा जाएगा कि विदेशी जीव मानदंडों के मुताबिक सभी तरह के संक्रमण से मुक्त है। विदेश से अब ऐसे नए जीव आयात करने से पहले भी सभी आयातकों को मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से एक बार अपना पंजीकरण कराना होगा। साथ ही इन जीवों के लिए आवास की सुविधाओं का विवरण भी देना होगा।
‘15 के बाद फॉरेन ट्रेड कानून के तहत मुकद्दमा’
15 दिसम्बर तक स्वेच्छा से घोषणा नहीं करने वालों के पास विदेशी जीव-जंतु पाए जाते हैं तो डायरैक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डी.जी.एफ.टी) के स्तर पर कानूनी कार्रवाई संभव है। विदेशी जीव-जंतु होने के कारण अभी तक वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कोई कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। यह भी कहा जा रहा है कि पर्यावरण मंत्रालय जल्द वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान कर सकता है। उधर, 6 महीने के बाद कोई विदेश से जीव-जंतु आयात करना चाहता है तो चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से नो ऑब्जैक्शन सर्टीफिकेट लेकर डी.जी.एफ.टी. के पोर्टल पर ऑनलाइन अप्लाई कर सकता है। आयात करने वाले को डायरैक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड द्वारा तय नियमों का पालन करना होगा।
‘प्रजनन पर 30 दिन में देनी होगी सूचना’
15 दिसम्बर के बाद विदेशी जीव-जंतु पालकों को ब्रीङ्क्षडग यानी प्रजनन की भी चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को 30 दिन के भीतर जानकारी देना अनिवार्य होगा। वार्डन की तरफ से मुहैया जानकारी के आधार पर ऑनरशिप सर्टीफिकेट जारी किया जाएगा। मंत्रालय ने आवेदन के लिए फॉर्मेट भी जारी किए हैं। नई योजना के जरिए विदेशी प्रजातियों के जीवित जीवों की एक लिस्ट बनेगी, जिसका समय-समय पर रिव्यू किया जाएगा।