पंजाब में एक बूंद फालतू पानी नहीं, इसलिए नॉन बेसिन इलाकों में न हो स्थानांतरित

punjabkesari.in Thursday, Jan 23, 2020 - 05:59 PM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व में सर्वदलीय बैठक दौरान राज्य में पानी की गंभीर स्थिति पर गहरी चिंता जताई गई।  समूह राजनीतिक पाॢटयों ने सर्वसम्मति से संकल्प लिया कि भारत सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि पंजाब के 3 दरियाओं का पानी किसी भी हालत में बेसिन से नॉन-बेसिन इलाकों में स्थानांतरित न किया जाए। सभी पार्टियों ने सर्वसम्मति से नए ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए प्रस्तावित अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद एक्ट में जरूरी संशोधन करने की मांग की। बैठक में पढ़े गए प्रस्ताव के मुताबिक, ‘‘पंजाब के पास फालतू पानी नहीं है और भूजल स्तर तेजी से घटने तथा दरियाई पानी की कमी कारण पंजाब के मरुस्थल बनने का अंदेशा है। 

भू-जल  जो  राज्य  की  73  प्रतिशत सिंचाई जरूरतों को पूरा करता है अब बहुत नीचे जा चुका है जिस कारण किसानों और गरीब लोगों की रोजी-रोटी को बड़ा खतरा बना हुआ है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जाए कि पानी को 3 दरियाओं (रावी, सतलुज और ब्यास) के बेसिन से नॉन-बेसिन इलाकों में दुनिया भर में अपनाए तटीय सिद्धांत (रिपेरियन प्रिंसीपल) मुताबिक किसी भी सूरत में स्थानांतरित न किया जाए। 

सुखबिंद्र सिंह सरकारिया ने पेश किया प्रस्ताव 

सर्वदलीय बैठक दौरान कैबिनेट मंत्री सुखङ्क्षबद्र सिंह सरकारिया ने प्रस्ताव पेश किया। हालांकि प्रस्ताव में सतलुज यमुना ङ्क्षलक नहर का जिक्र नहीं किया गया परंतु शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी सहित सभी राजनीतिक पाॢटयों ने एकसुर में कहा कि नहर के निर्माण की ओर उठाया कोई भी कदम राज्य के लिए घातक सिद्ध होगा। सभी पार्टियों ने नाजुक मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए मुख्यमंत्री के कदम की सराहना की। बैठक में निर्णय लिया गया कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा पंजाब का मामला रखने के लिए प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा जाएगा। बैठक में गिरते भू-जल स्तर पर भी ङ्क्षचता जाहिर की गई। 

एस.वाई.एल. मुद्दे पर कैप्टन का साथ देगा अकाली दल : भूंदड़

शिरोमणि अकाली दल के बलविंद्र सिंह भूंदड़ ने कहा कि पाॢटयों को एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप की बजाय जल संसाधनों की रक्षा के लिए एकता दिखानी चाहिए। एस.वाई.एल. को बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि कानूनी हल के साथ-साथ इस मुद्दे की राजनीतिक तौर पर भी पैरवी की जानी चाहिए।  उन्होंने अपनी पार्टी द्वारा कैप्टन अमरेंद्र को मसले के हल के लिए कोई कदम उठाए जाने पर पूरा साथ देने की बात कही। उन्होंने कहा कि पंजाब में नदियों के मौजूदा स्तर का पुन: मूल्यांकन अति आवश्यक है। एस.वाई.एल. को पंजाब के लिए आत्मघाती बताते हुए शिअद के महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल ने मुख्यमंत्री के चेतावनी भरे कथन की पुष्टि की जिसमें शंका अभिव्यक्त की थी कि मुद्दा राज्य में ङ्क्षहसा और आतंकवाद के पुनर्जीवित होने का कारण बन सकता है।

उन्होंने महसूस किया कि सुप्रीम कोर्ट को ताजी पटीशन सुननी चाहिए और एस.वाई.एल. निर्माण के फरमान पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा नया ट्रिब्यूनल बनाने का कानून पास हो गया तो पंजाब के लिए तबाही होगा। उन्होंने पंजाब के हितों की रक्षा के लिए अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) बिल, 2019 की धारा 12 बदलने के लिए कहा। उन्होंने मामले पर इकट्ठे होकर लड़ाई लडऩे की जरूरत पर जोर दिया। प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने भी जल आबंटन रिपेरियन कानूनों अनुसार करने की बात कही। भाजपा के मदन मोहन मित्तल ने इस नाजुक मुद्दे पर सभी पाॢटयों को एक मंच पर इक_ा करने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया। 

अन्य पार्टियों ने भी रखी अपनी राय 
सी.पी.आई. के बंत बराड़ और सी.पी.आई. (एम.) के सुखविंदर सिंह सेखों ने कहा कि पानी का आबंटन लौंगोवाल समझौते अनुसार होना चाहिए। सेखों ने कहा कि किसानों के हितों के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट हू-ब-हू लागू करनी चाहिए। बसपा के जसबीर सिंह गड़ी ने कहा कि पंजाब को बनता जल का हिस्सा न देकर केंद्र ने पहले ही भेदभाव किया है। तृणमूल कांग्रेस के मनजीत सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी फसलीय विभिन्नता द्वारा पानी बचाने के मुद्दे पर राज्य सरकार के साथ है। पानी की बर्बादी रोकने के लिए सरकार को ट्यूबवैलों को मुफ्त बिजली देनी बंद करनी चाहिए। साथ ही भूजल बचाने के लिए सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट के साथ-साथ बारिश वाले पानी के संरक्षण हेतु प्रयास करने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को पानी रिचार्ज के लिए गड्ढे बनाने के लिए 100 प्रतिशत सबसिडी देनी चाहिए। पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ ने सभी पार्टियों से अपील की कि पंजाब को बचाने के लिए साझा मत पेश करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को रहम की अपील के साथ प्रधानमंत्री को मिलना चाहिए।

 


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