मजीठिया से डेरा ब्यास प्रमुख की जेल में हुई मुलाकात ने छेड़ी नई चर्चा, पढ़ें अब तक की Report
punjabkesari.in Thursday, Sep 25, 2025 - 05:02 PM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब की राजनीति एक बार फिर नई गतिविधियों के साथ गरमाई हुई है। नाभा जेल में डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों की शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के साथ मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को जन्म दे दिया है। यह मुलाकात केवल पारिवारिक संबंधों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक असर और संभावनाओं पर भी अलग-अलग विश्लेषण हो रहे हैं।
जेल में 45 मिनट तक की बातचीत
नाभा जेल में बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो ने मजीठिया के साथ करीब 45 मिनट तक बातचीत की। जानकारी के अनुसार यह मुलाकात आम पारिवारिक हाल-चाल से आगे राजनीतिक माहौल में भी गहरे संकेत छोड़ गई है। दिलचस्प बात यह है कि जहां पारिवारिक सदस्यों को भी ज्यादा समय नहीं मिलता, वहां बाबा जी की यह लंबी मुलाकात कई सवालों को जन्म दे रही है।
4 दिन तक नहीं मिली थी हरसिमरत को अनुमति
इससे पहले अगस्त में राखी पर मजीठिया की बहन और अकाली दल की वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर बादल अपने भाई को राखी बांधने के लिए नाभा जेल गई थीं, लेकिन उन्होंने मीडिया के सामने दावा किया कि सरकार ने बार-बार अनुरोधों के बावजूद 4 दिन तक मिलने की अनुमति नहीं दी। हरसिमरत के अनुसार, वह दिल्ली से सीधे नाभा पहुंचीं, लेकिन जेल के गेट पर ही रोक दी गई। उन्हें केवल उस समय अंदर जाने की अनुमति मिली, जब वह डट कर जेल के गेट पर खड़ी रहकर विरोध करती रही।
डेरे ब्यास और अकाली दल के रिश्ते
डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास की पंजाब की राजनीति में हमेशा विशेष महत्व रहा है। चुनावों के दौरान डेरे का झुकाव कई बार राजनीतिक पार्टियों के लिए लाभ या नुकसान का कारण बनता रहा है। बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो की मजीठिया परिवार से रिश्तेदारी होने के कारण यह मुलाकात अकाली दल के भविष्य के राजनीतिक पैकेज में विशेष महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राजनीतिक गलियारों में असर
मजीठिया अकाली दल के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। जेल में कैद होने के बावजूद उनकी स्थिति, पारिवारिक हौंसला-अफजाई और राजनीतिक संकेत पार्टी वर्करों के लिए बहुत मायने रखते हैं। बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो की यह मुलाकात इस बात का सीधे संकेत है कि अकाली दल अभी भी डेरे के साथ अपनी नजदीकी बनाए रखने में सफल है। दूसरी ओर, जहां हरसिमरत कौर बादल सरकार पर राजनीतिक पक्षपात के आरोप लगा रही हैं, वहीं बाबा जी की खास मुलाकात अकाली वर्करों का मनोबल बढ़ा सकती है।
राष्ट्रपति का आगामी दौरा
सूत्रों के अनुसार इस मामले को और भी महत्वपूर्ण बना रहा है भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का 27 सितंबर को डेरे ब्यास का दौरा। वे 2 दिन के लिए वहां रहेंगे और बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो के साथ विशेष मुलाकात करेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि जब देश की सबसे बड़ी संवैधानिक हस्ती किसी धार्मिक संस्था का दौरा करती है, तो इसका दूरगामी राजनीतिक प्रभाव भी पड़ता है।
मजीठिया की भावनात्मक पोस्ट
बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो से मुलाकात के बाद बिक्रम सिंह मजीठिया ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं सांझा कीं। उन्होंने लिखा कि "दास की ना तो इतनी हैसियत है, ना औकात। मैं एक मामूली भूलने वाला जीव हूं और मेरे पास योग्य शब्द भी नहीं, जिनसे मैं बाबा जी का शुक्राना अदा कर सकूं। मुश्किल समय में बाबा जी हमेशा सहारा बने हैं।" मजीठिया ने संगत, लोगों और संत-महापुरुषों का भी धन्यवाद किया और कहा कि "गुरु साहिब की मेहर से मैं चढ़दी कला में हूं और मेरा हौसला हमेशा बुलंद रहेगा।"