नवजोत सिद्धू पर चर्चा करने को लेकर कै. अमरेन्द्र ने अहमद पटेल को दिया दो-टूक जवाब

punjabkesari.in Tuesday, Jul 02, 2019 - 09:18 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): करतारपुर कॉरीडोर की मंजूरी के दौरान पाकिस्तान में सेना प्रमुख के गले मिलने के बाद से पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के सितारे ऐसे गर्शिद में आए कि उनकी दिक्कतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सिद्धू का पिछले महीनों से कै. अमरेन्द्र के साथ चोली-दामन का विवाद चल रहा है और हाईकमान के दखल के बावजूद यह विवाद थमता नहीं दिख रहा है। इसी कड़ी में विगत दिन पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अहमद पटेल के साथ एक संक्षिप्त मुलाकात के दौरान उन्हें दो-टूक लहजे में जवाब दे दिया कि वह यहां सिद्धू के मामले में कोई बात करने नहीं आए हैं। 
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कांग्रेस के उच्च सूत्रों की मानें तो शनिवार को अहमद पटेल ने अपने दिल्ली आवास में मुलाकात के दौरान कै. अमरेन्द्र संग इस बारे में बात करने की कोशिश की परंतु मुख्यमंत्री ने सिद्धू एपीसोड पर किसी भी प्रकार की चर्चा करने से स्पष्ट इंकार कर दिया। दोनों नेताओं के मध्य कुछ अन्य मुद्दों पर बातचीत हुई परंतु सिद्धू पर कोई बात नहीं हुई। उक्त घटनाक्रम से जाहिर होता है कि सिद्धू के पास विकल्प अब काफी कम हो गए हैं। जिक्रयोग है कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नवजोत सिद्धू ने इशारों ही इशारों पर अकाली दल के साथ गुप्त गठजोड़ को लेकर कै. अमरेन्द्र पर निशाना साधा था। कांग्रेस का मिशन-13 विफल हुआ और पार्टी को 13 में से 8 सीटों पर जीत हासिल हुई। कै. अमरेन्द्र ने हार का ठीकरा सिद्धू पर फोड़ते हुए उनसे निकाय विभाग वापस लेकर उन्हें बिजली विभाग सौंपा था। विभाग बदलने से गुस्साए सिद्धू ने दिल्ली दरबार का रुख करके राहुल गांधी व प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी, जिसके बाद राहुल ने पटेल को कै. अमरेन्द्र के साथ बातचीत करके सिद्धू मामले को सम्मानजनक तरीके से निपटारा करने के निर्देश दिए थे। 
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इस प्रकरण के बाद सिद्धू के पास एकमात्र विकल्प राहुल गांधी ही बचे हैं, उन्हें एक बार फिर से राहुल से मिलकर अपनी फरियाद रखनी होगी। इससे स्पष्ट है कि राहुल को इस मसले के समाधान के लिए खुद कै. अमरेंद्र से बात करनी होगी, परंतु पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राहुल पहले ही प्रधान पद से अपना इस्तीफा दे चुके हैं और उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अब पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं। ऐसे हालातों में राहुल इस स्तर पर सिद्धू के लिए हस्तक्षेप करेंगे, इस बात की उम्मीद बेहद कम है। बिजली मंत्री का कार्यभार लेने से इंकार कर सिद्धू की निरंतर ही मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। कैप्टन अमरेन्द्र भी सिद्धू के खिलाफ सख्त स्टैंड बनाए रखने के मूड में हैं। ऐसे हालात में मुख्यमंत्री सिद्धू को दिया पोर्टफोलियो किसी और के सुपुर्द करने या मामले का हल निकालने तक अपने पास ही रखने का निर्णय बनाए रखेंगे, परंतु जो भी हो पूर्व क्रिकेटर सिद्धू गलत समय पर कैप्टन विरोधी शॉट खेलकर खुद हिट विकट हो गए हैं।
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प्रचार से 3 दिन पहले बयानबाजी करने से पहले वह पंजाब व देश में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति का सही आकलन नहीं कर पाए। सिद्धू की बदकिस्मती ही कहिए कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया और केवल 52 सीटों तक सिमट कर रह गई, वहीं दूसरी तरफ 13 में से 8 सीटें जीतवा कर कै. अमरेन्द्र सिंह देश की कांग्रेस के स्टार प्लेयर बन कर उभरे। इसके अलावा, सिद्धू ने पंजाब में पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया था। सिद्धू को जिस राहुल गांधी के सान्निध्य होने पर खासा गर्व था, आज वह खुद एक मुश्किल के दौर से गुजर रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने गांधी परिवार के गढ़ अमेठी को भी खो दिया है। राहुल अगर वायनाड़ से न जीतते तो शायद उनके लिए लोकसभा के दरवाजे भी बंद हो जाते। अब बड़ा सवाल है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में खुद भंवर में फंसे राहुल अपनी खुद की स्थिति को संभालेंगे या सिद्धू को क्लीन बोल्ड होने से बचाएंगे। इस बात पर कांग्रेसी गलियारों की नजरें राहुल के स्टैंड पर टिकी हुई हैं। 


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