कांग्रेस में गुटबाजी का विस्फोट, विधायक चौधरी व सांसद का बेटा आमने-सामने
punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 11:10 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): पंजाब कांग्रेस में चल रहे संगठन सृजन अभियान के बहाने आंतरिक कलह और धड़ेबंदी अब खुले मंच पर आ चुकी है। जालंधर देहाती जिला कांग्रेस प्रधान पद को लेकर शुरू हुई कवायद में फिल्लौर हलका सबसे बड़ा अखाड़ा बन गया, जहां विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी और पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद चरणजीत सिंह चन्नी के पुत्र नवजीत सिंह अपने-अपने खेमों के साथ आमने-सामने दिखे।
कांग्रेस भवन जालंधर में दोनों नेताओं ने ऑब्जर्वर भुवन कापड़ी के सामने अलग-अलग समय पर अपने समर्थकों की मीटिंग बुलाई। मगर ऑब्जर्वर ने साफ शब्दों में कहा कि “मैं इस गुटबाजी का हिस्सा नहीं बनूंगा।” नतीजा यह रहा कि दोनों खेमों को खासी मशक्कत करनी पड़ी और अपने समर्थकों के छोटे-छोटे जत्थे बनाकर ऑब्जर्वर के कमरे में भेजना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले करतारपुर हलके में पूर्व विधायक चौधरी सुरिंदर सिंह और हलका इंचार्ज राजिंद्र सिंह के बीच गुटबाजी ने माहौल गरमा दिया था। उसके अगले ही दिन फिल्लौर हलका में चौधरी–चन्नी खेमा भिड़ंत ने कांग्रेस नेतृत्व की नींदें उड़ा दीं। ऑब्जर्वर भुवन कापड़ी, जोकि करतारपुर की दोनों बैठकों में मौजूद रहे थे, ने आज साफ कर दिया कि फिल्लौर में वह किसी एक पक्ष की मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। उनका मकसद गुटों की लड़ाई में कूदना नहीं, बल्कि जिला प्रधानगी के लिए सशक्त चेहरों की पहचान करना है।
ऑब्जर्वर का मास्टर स्ट्रोक
करतारपुर और फिल्लौर विधानसभा हलकों में कांग्रेस की आंतरिक कलह को लेकर किए ‘पंजाब केसरी’ द्वारा किए खुलासे के बाद हालात बिगड़ते देख भुवन कापड़ी ने दोनों खेमों के नेताओं को सख्त शब्दों में कहा कि वे अपने-अपने समर्थकों का 5-5 लोगों का जत्था तैयार करें और अलग-अलग उनके कमरे में भेजें। वहीं वह व्यक्तिगत तौर पर उन कार्यकर्त्ताओं से रायशुमारी करेंगे।
इस फैसले के बाद, विक्रमजीत चौधरी जोकि दोपहर 12 बजे अपने समर्थकों को लेकर कांग्रेस भवन पहुंचे थे, ने सबसे पहले अपने समर्थकों की ऑब्जर्वर से मुलाकात कराई। इनमें फिल्लौर से जुड़े पंच–सरपंच, जिला परिषद सदस्य, मार्किट कमेटी के मेंबर और अन्य पदाधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद थे। दूसरी ओर सांसद चन्नी के पुत्र नवजीत सिंह दोपहर 2 बजे अपने समर्थकों के साथ भवन पहुंचे और छोटे-छोटे जत्थों के माध्यम से ऑब्जर्वर के कमरे में मुलाकात का सिलसिला शुरू हुआ।
फिल्लौर हलके की घटनाओं ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान जितना संगठन मजबूत करने का प्रयास है, उतना ही यह नेताओं की शक्ति–परीक्षण भी बन चुका है। चौधरी और चन्नी परिवार की इस अंदरूनी भिड़ंत ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस में जमीनी राजनीति अभी भी परिवारों और गुटों की पकड़ से बाहर नहीं निकल पाई है। अब देखना होगा कि भुवन कापड़ी इस गुटबाजी के बीच से किस तरह का पैनल बनाकर दिल्ली भेजते हैं और हाईकमान किस चेहरे पर भरोसा जताया है।
विधायक चौधरी ने दिखाई ताकत, नवजीत ने भी नहीं छोड़ी कोई कसर
फिल्लौर की राजनीति में चौधरी परिवार का वर्चस्व लंबे समय से रहा है। यही वजह रही कि विक्रमजीत चौधरी ने समर्थकों की लंबी लिस्ट ऑब्जर्वर के सामने रखी और साफ तौर पर जिला प्रधान पद पर भी अपना दावा ठोक दिया। विधायक चौधरी ने स्पष्ट कहा कि वे वर्षों से संगठन और कार्यकर्ताओं के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि उसकी ताकत उसके कार्यकर्ता हैं, और जिला प्रधान पद पर उसकी दावेदारी इसी मजबूती के साथ है। वहीं नवजीत सिंह, जोकि सांसद चन्नी के बेटे हैं, ने खुद को प्रधान पद की दौड़ से अलग बताते हुए कहा कि वह प्रधान पद नहीं चाहता, लेकिन कार्यकर्त्ताओं की राय ऑब्जर्वर तक पहुंचाना उसका फर्ज है।
गुटबाजी से कांग्रेस कार्यकर्त्ता परेशान
संगठन सृजन अभियान का मकसद था कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करना, मगर जालंधर देहाती में चल रही धड़ेबंदी ने कार्यकर्त्ताओं की नींद हराम कर दी हैं। कई पुराने कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओं ने दबी जुबान कहा कि अगर इसी तरह नेताओं की अहम की लड़ाई चलती रही, तो पार्टी आने वाले चुनावों में जनता के सामने एकजुट चेहरा पेश नहीं कर पाएगी।
देहाती के 5 विधानसभा हलकों में से 2 में पनपी गुटबाजी ने कांग्रेस हाईकमान की चिंता बढ़ाई
जिला कांग्रेस देहाती से संबंधित 5 विधानसभा हलकों नकोदर, शाहकोट, आदमपुर, करतारपुर और फिल्लौर की मीटिंगों के दौरान लगातार दो दिन से जालंधर देहाती में हो रही खींचतान ने कांग्रेस हाईकमान की चिंता बढ़ा दी है। संगठन सृजन अभियान का उद्देश्य जहां गुटबाजी को खत्म कर पार्टी को नया जोश देना था, वहीं यहां तो मामला उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। पार्टी सूत्रों का मानना है कि ऑब्जर्वर भुवन कापड़ी की जिम्मेदारी अब और भी कठिन हो गई है, क्योंकि उन्हें इस माहौल से 6 मजबूत उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर हाईकमान को भेजना है।
फिल्लौर में कांग्रेस की राजनीति का “दो पाटन”
फिल्लौर की तस्वीर किसी चक्की के दो पाटन जैसी रही, जहां एक तरफ चौधरी परिवार की परंपरागत पकड़, तो दूसरी तरफ चन्नी परिवार की नई ऊर्जा को लेकर कार्यकर्त्ता इन दोनों पाटों में पिसते नजर आए। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर गुटबाजी इसी तरह बढ़ती रही, तो जिला प्रधानगी की कुर्सी किसी “समझौते” से ही तय करनी पड़ेगी।
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