कोरोना का बैसाखी पर संकट, जलियांवालाबाग में सन्नाटे के बीच शहीदों को श्रद्धांजलि

punjabkesari.in Monday, Apr 13, 2020 - 11:31 AM (IST)

अमृतसर: कोरोना वायरस के चलते ऐसा पंजाब में पहली ऐसा हुआ कि जालियांवाला बाग में देश पर कुर्बान हुए शहीदों को सिर्फ सन्नाटे ही ने श्रद्धांजलि दी। हर साल जलियांवाला बाग में ब्रिटिश शासकाें की क्रूरता में शहीद हुए लोगों को नमन किया जाता है पर आज ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं होगा। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में किए गए नरसंहार को 100 साल हो गए हैं। ऐसा पहली बार है जब 13 अप्रैल को बैसाखी के पर्व पर यहां किसी भी तरह का कार्यक्रम नहीं हो रहा है। इस जानलेवा वायरस के चलते जलियांवाला बाग को फिलहाल 15 जून तक पूरी तरह से बंद कर दिया गया है

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आज भी नम हो उठती है आंखे 
जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन ही हुआ था। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए यहां एक सभा में अंग्रेज फौज के जनरल डायर ने फोर्स के साथ जालियांवाला बाग को घेर लिया था और सभा कर रहे लोगों पर गोलियां चलवानी शुरू कर दीं। इसमें सैकड़ाें निर्दोष लोग माैके पर ही मारे गए थे और चारों ओर कोहराम मच गया था। पूरा बाग रक्‍त से सराबोर हो गया। आज भी जालियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा की गयी गोलीबारी  के निशान दीवारों में मौजूद हैं।  नरसंहार के निशान देखकर आज भी लाेगों की आँखे रोने लगती है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते हैं। इनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग और छह सप्ताह का एक बच्‍चा था। इसी घटना के बाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम मजबूत हुआ था और पूरा देश ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी के लिए एक हो गया था।  


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Riya bawa

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