पंजाब में बढ़ रहे बाढ़ के खतरे को लेकर खुलासा! Advisory जारी

punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 12:24 PM (IST)

जालंधर : पंजाब में भारी बारिश ने भयंकर बाढ़ के संकेत तो 10 से 14 अगस्त के बीच ही दे दिए थे, जब ऊपरी ब्यास जलग्रहण क्षेत्र में पौंग बांध से पानी छोड़ा गया था, लेकिन हालात तब ज्यादा खराब हो गए जब अगस्त के अंतिम सप्ताह के दौरान उत्तरी पाकिस्तान से सटे पंजाब पर एक सक्रिय मानसून और एक पश्चिमी विक्षोभ के कारण बादल बेरहमी से बरसते रहे। हिमाचल से सटे 3 बांधों से पानी छोड़ा जाना लगा और पंजाब के 23 जिलों में सतलुज, ब्यास और रावी नदी ने करीब 1700 गांवों को अपने आगोश में ले लिया।

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रिपोर्टों में बताया गया है कि मौजूदा शहरी जल निकासी प्रणालियां और ग्रामीण बुनियादी ढांचा उच्च-तीव्रता वाली वर्षा को संभालने में सक्षम नहीं हैं। इससे शहरी बाढ़ और व्यापक ग्रामीण जलप्लावन, दोनों का खतरा बढ़ जाता है, जो प्राकृतिक बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण जैसे कारकों से और भी बदतर हो जाता है। जलवायु मॉडल और शोध संकेत देते हैं कि पंजाब में बाढ़ का खतरा जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रहा है, जो मुख्य रूप से अधिक तीव्र और अनियमित वर्षा की घटनाओं से प्रेरित है।

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4 बातों से समझें पंजाब में कैसे शुरू हुआ बाढ़ का सिलसिला

  • 10 से 14 अगस्त को ऊपरी ब्यास जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश के कारण पौंग बांध से एहतियातन पानी छोड़ना शुरू कर दिया गया। होशियारपुर-कपूरथला (टांडा क्षेत्र) में ब्यास नदी के किनारे बसे निचले गांवों में ऊपरी जलप्रवाह बढ़ने के कारण नदी के किनारों से पानी बहने और खेतों में पानी भरने की सूचना मिली है।
  • एडवाइजरी के अनुसार 20-22 अगस्त के बीच भाखड़ा ब्यास प्रबन्धन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) ने सुरक्षा बनाए रखने के लिए पौंग (75,000 क्यूसिक) और भाखड़ा (43,000 क्यूसिक) बांधों से नियंत्रित जल-निकासी बढ़ा दी। इससे कई जिलों में सतलुज और ब्यास नदियों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया।
  • पहली सबसे ज्यादा बारिश 22-28 अगस्त को उत्तरी पाकिस्तान से सटे पंजाब पर एक सक्रिय मानसून और एक पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुई, जिसमें कई स्थानों पर खासकर 25 से 27 अगस्त अत्यधिक भारी बारिश हुई।
  • 24 से 27 अगस्त की बाढ़ के कारण पंजाब की मौसमी स्थिति कुछ ही दिनों में बदल गई। 27 अगस्त तक तरनतारन, गुरदासपुर, लुधियाना, मोगा जैस जिले जरूरत से ज्यादा बारिश की चपेट में तेजी से आ गए।

बांधों के प्रबंधन पर उठे बड़े सवाल

पंजाब हर तरफ मटमैले पानी में तबाही का मंजर नजर आने लगा। इसी बीच लोग अब पंजाब में मची तबाही के लिए हिमालय की तलहटी में बने तीन बांधों रंजीत सागर, भाखड़ा डैम और पौंग डैम को सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पंजाब के बुद्धिजीवी बांधों के प्रबंधन पर बड़े सवाल उठा रहे हैं और राजनीतिक गलियारों में भी इसकी जोरों से चर्चा होने लगी है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से इस तरह की आपदाएं अब होती रहेंगी और सरकार को इस आपदा से सबक लेना चाहिए।

किसानों को भारी नुकसान का नहीं था जरा भी अंदाजा

हालांकि अगस्त की शुरूआत में पंजाब मौसमी वर्षा की कमी के साथ कमजोर मानसून का सामना कर रहा था, किसानों को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनकी फसलें और वे एक साथ बरबादी की कगार पर खड़ हो जाएंगे। जब हिमाचल से सटे रंजीत सागर, भाखड़ा और पौंग बांधों से पानी छोड़ा जाने लगा तो खेत पानी में डूब गए, नहरें उफान पर आ गईं और कई गांवों का संपर्क टूट गया। 21 से 31 अगस्त के बीच उत्तर-पश्चिम भारत में लगातार हुई भारी बारिश ने पंजाब के मानसून को कमजोर से भयंकर बारिश में बदल दिया, जिससे नदियां, जलाशय और बाढ़ के मैदान उफान पर आ गए। अचानक हुए इस बदलाव ने किसानों, अधिकारियों और नागरिकों को दशकों में राज्य में आई सबसे भीषण बाढ़ से निपटने के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया। राज्य में 24 अगस्त को 5 फीसदी से कम बारिश 27 अगस्त तक बढ़कर 25 फीसदी हो गई।

भाखड़ा बांध के गेट खुलते ही मची तबाही

रावी नदी में आई बाढ़ के कारण गुरदासपुर के 324, अमृतसर के 190 और पठानकोट जिले के 88 गांव प्रभावित हैं। रावी की तरह ही राज्य की सतलुज और ब्यास नदियों ने भी लाखों लोगों को प्रभावित किया है। रावी की तरह सतलुज नदी पर स्थित भाखड़ा बांध भी भारी दबाव में था। 25 अगस्त को इसका जलस्तर 1668.57 फुट तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान (1680 फुट) से केवल 11 फुट कम था। बांध के गेटों को दो-दो फुट खोलकर पानी छोड़ा गया, जिसने सतलुज के बहाव को 2.6 लाख क्यूसेक तक बढ़ा दिया। 26-27 अगस्त को बांध से छोड़ा गया पानी नीचे की ओर दौड़ा, जिसने फाजिल्का के 77, फिरोजपुर के 102 और रूपनगर के 44 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया।

पौंग बांध में क्षमता से ज्यादा पानी

ब्यास नदी पर भी पौंग बांध का जलस्तर 25-26 अगस्त को 1393 फुट तक पहुंच गया, जो इसकी क्षमता से अधिक था। बांध से छोड़े गए पानी के कारण कपूरथला के 123, होशियारपुर के 125, जालंधर के 64 और तरनतारण के 70 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। ब्यास का बहाव सामान्य क्षमता (80 हजार क्यूसिक) से कहीं अधिक हो गया, जिसने खेतों और बस्तियों को जलमग्न कर दिया। सतलुज और ब्यास नदियां तरनतारन जिले के हरिके कस्बे के पास जाकर मिलती हैं और एक बड़ा संगम बनाती हैं जिसे हरिके पत्तन कहा जाता है। इस साल दोनों नदियों में आया उफान जब हरिके पत्तन में आकर मिला तो उसने वहां के करीब तीस गांवों को प्रभावित किया।

पुराने ढांचे और रख-रखाव की कमी ने बढ़ाई मुसीबत

हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी मानसूनी बारिश ने रावी, सतलुज और ब्यास नदियों में आए उफान ने पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर, पठानकोट, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का, कपूरथला और अन्य जिलों में तबाही मचाई। रावी नदी पर बना रणजीत सागर बांध अगस्त के अंत तक अपनी अधिकतम क्षमता 527 मीटर के करीब पहुंच गया था। 26-27 अगस्त को बांध से 2 लाख क्यूसिक से अधिक पानी छोड़ा गया। यह प्रचंड जलप्रवाह माधोपुर बैराज तक पहुंचा, जहां पुराने ढांचे और रख-रखाव की कमी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। बैराज के गेट जाम हो गए और कई टूट गए, जिससे पानी ने गुरदासपुर, पठानकोट और अमृतसर के गांवों को डुबो दिया। रावी नदी ने अनेक जगहों पर नदी से करीब 2 किलोमीटर दूर धुस्सी बांधों को तोड़ दिया और पंजाब के सरहदी इलाकों में बाढ़ आ गई।

घग्गर नदी भी बनी आफत

शिवालिक की तलहटी से निकलने वाली घग्गर नदी भी अचानक रौद्र रूप धारण कर लेती है। पटियाला, संगरूर और मानसा जिलों से होकर बहने वाली नदी बारिश के बाद अति संवेदनशील हो जाती है। इसके तटबंधों के टूटने का इतिहास रहा है। रोपड़ और लुधियाना में सरहिंद नदी और दोआबा की विभिन्न घाटियां भी अगस्त के अंत में हुई वर्षा के दौरान सुरक्षित सीमा से अधिक बढ़ गईं, जिससे आसपास के निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं।

जिन ट्रैक्टरों से थी नफरत, वही काम आए

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि जिन ट्रैक्टरों से किसान आंदोलन के दौरान सरकार नफरत करती थी, आज वे ट्रैक्टर ही गांव-गांव मदद पहुंचा रहे हैं। किसान इन्हीं ट्रैक्टरों में मिट्टी ढोकर धुस्सी बांधों को दोबारा बांध रहे हैं। इस पूरी तबाही के बीच सरकार गायब है और उसकी हमदर्दी। पंजाब के शहरों की गलियों से लेकर बाढ़ग्रस्त गांवों तक, लोग अपने दुखों को भुलाकर एक-दूसरे के लिए जी रहे हैं। कोई ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में राहत सामग्री भरकर बाढ़ के बीच पहुंच रहा है, तो कोई मिट्टी से लदी ट्रॉलियां लेकर तटबंधों को बचाने की जद्दोजहद में जुटा है।

केंद्रीय मंत्री ने बी.बी.एम.बी. को ठहराया जिम्मेदार

पंजाब के बाढ़ प्रभावित जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले किसान व केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी राज्य की बाढ़ से होने वाले नुकसान की चेतावनियों को नजरअंदाज करने के लिए बी.बी.एम.बी. को जिम्मेदार ठहराया है। एक बयान में उन्होंने कहा कि यह पंजाब के लिए एक आपदा है। रणजीत सागर बांध की विफलता को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए, क्योंकि इससे ही कृषि को होने वाला नुकसान बहुत बड़ा है। पंजाब ने बाढ़ से हुए नुकसान और मुआवजे की अपनी मांगें केंद्र को सौंप दी हैं। अनुमान है कि पंजाब में 10.7 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और लगभग 4,000-5,000 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद हुई है, हालांकि, राज्य के अपने अधिकारियों का कहना है कि हर साल बयान बाढ़ के बाद ही आते हैं।

किन जिलों में फसलों को कितना नुकसान

  • जिला                     जनसंख्या                      फसल क्षेत्र (हैक्टेयर)
  • गुरदासपुर               1,45,000                      40,169
  • अमृतसर                 1,35,880                      26,701
  • कपूरथला                5,728                          17,807
  • फाजिल्का               24,212                        17,786
  • फिरोजपुर               38,594                        17,221
  • तरनतारन               60                               12,828
  • मानसा                   178                             11,042

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News Editor

Kamini

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