मरने के बाद 6 लोगों को नई जिंदगी दे गई ये मासूम, रूला देगी पूरी कहानी

punjabkesari.in Tuesday, Apr 05, 2022 - 12:48 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल): पी.जी.आई. में एक हफ्ते बाद फिर से एक ब्रेन डैड मरीज की बदौलत कई लोगों को एक नई जिंदगी मिल पाई है। 13 वर्ष की मासूम मुस्कान ग्रोवर के ऑर्गन पी.जी.आई. में डोनेट हुए हैं जिससे 6 लोगों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए। मुस्कान का हार्ट, लिवर, किडनी, पेंक्रियाज और कार्नियां डोनेट हुआ। हिमाचल के सोलन जिले के रबोन की रहने वाली मुस्कान 24 मार्च को साइकिल चलाते समय ऊंचाई से गिर गई थी जिससे उसके सिर में काफी गंभीर चोट आई थी। 

पी.जी.आई. न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. अपिंदरप्रीत सिंह ने बताया कि सिर की चोट की गंभीरता को देखते हुए मुस्कान के बचने की संभावना बेहद कम थी। परिवार को ट्रांसप्लांट को-ऑर्डीनेटरों ने ऑर्गन डोनेशन के बारे में काऊंसिल के बाद 2 अप्रैल को मुस्कान को सभी प्रोटोकॉल के बाद ब्रेन डैड घोषित कर दिया गया। पी.जी.आई. मैडीकल सुपरिंटैंडैंट प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि हार्ट का मैचिंग रिसीपियंट पी.जी.आई. में नहीं मिला जिसके बाद नोटो (राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन) से संपर्क किया गया। एम.जी.एम. हैल्थकेयर चेन्नई में एडमिट एक मरीज से हार्ट की मैचिंग हुई। 

पी.जी.आई. से दोपहर 2.30 बजे ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हार्ट भेजा गया जिसे चंडीगढ़ और मोहाली ट्रैफिक पुलिस विभागों और हवाई अड्डा अधिकारियों के सक्रिय सहयोग से बनाया गया था। दोपहर 3.25 बजे हार्ट को एयरलिफ्ट किया गया था और यह 3 अप्रैल को रात 8.27 बजे वहां पहुंचा। वहीं नेफ्रोलॉजी और हैपेटोलॉजी विभागों ने कई मरीजों की पहचान की, जिन्हें जल्द से जल्द रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। क्रॉस मैच से लिवर, किडनी और पेंक्रियाज और किडनी के लिए 3 रिसीपियंट की पहचान हुई और सभी ऑर्गन के ट्रांसप्लांट 4 अप्रैल के शुरूआती घंटों तक पूरे किए गए। कॉर्निया पी.जी.आई. में मरीजों को लगाए गए हैं।

हमें वास्तव में लगा कि मुस्कान कह रही थी, यह करो..
पिता राजीव ग्रोवर और मां स्मृति ग्रोवर ने इस दुख की घड़ी में भी साहस भरा फैसला लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है उनकी बेटी किसी मकसद के लिए दुनिया में आई थी। मुस्कान ही जीवन की तस्वीर थी। उसने जो कुछ भी किया, उसमें वह सबसे अच्छी थी। ऑर्गन डोनेशन के लिए हां कहना सबसे मुश्किल था, लेकिन किसी तरह, हमें लगा कि यह कुछ ऐसा है जो हमें करना चाहिए और हमें वास्तव में लगा कि यह मुस्कान कर रही थी, यह करो। 

 


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Vatika

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