Farmer Protest: 20 से भी अधिक किसान गंवा चुके हैं अपनी जान

punjabkesari.in Friday, Dec 18, 2020 - 04:14 PM (IST)

समाना(अनेजा): मोदी सरकार द्वारा थोपे गए काले कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए किसान पिछले तीन महीनों से संघर्ष के रास्ते पर चल रहे हैं जो अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के दरवाजे पर भी पिछले 23 दिनों से दिन रात बिना इस कड़कती ठंड की परवाह किए घर बार छोड़ कर धरने पर बैठे हैं। इस आंदोलन दौरान 20 से भी अधिक किसान बलिदान दे चुके हैं लेकिन मोदी सरकार पर इन बलिदानों का भी कोई प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा। मोदी सरकार द्वारा बनाए ये काले कृषि कानून अब किसानों के घर उजाड़ने लगे हैं। यह विचार हलका विधायक रजिन्दर सिंह ने किसानी आंदोलन दौरान बलिदान देने वाले दुखी परिवारों के साथ दुख सांझा करते समय व्यक्त किए।

विधायक रजिन्दर सिंह ने कहा कि मोदी सरकार को शर्म आनी चाहिए कि किसानी आंदोलन दौरान अब तक 20 से भी ज्यादा किसान बलिदान दे चुके हैं लेकिन मोदी सरकार पर इसका भी कोई प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं दे रहा। आज वह सफेड़ा गांव में युवक ग्ररप्रीत सिंह जिसकी आयु अभी 22 वर्ष ही थी, लाभ सिंह जिस की आयु 62 वर्ष है और गांव फतेहगढ़ छन्ना से भीम सिंह जो दो दिन पहले ही इस आंदोलन की भेंट चढ़े हैं व हादसे में 10 किसान और घायल हो गए हैं जो अभी अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। इनके पारिवारिक सदस्यों के साथ दुख सांझा करने के लिए वह गए हुए थे। 

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा बनाए काले कानून किसानों के घर उजाड़ने में लगे हुए हैं। इस किसानी आंदोलन दौरान हुई मौतों के जिम्मेदार सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इस मौके उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि घमंडी मोदी सरकार को किसानों के बलिदान भी दिखाई नहीं दे रहे। उन्होंने मोदी सरकार से मांग करते हुए कहा कि उनके द्वारा लाए गए काले कृषि कानून वह वापस ले लें ताकि इस कड़कती ठंड में घर बार छोड़ कर दिल्ली बार्डरों पर धरने पर बैठे किसान आंदोलन खत्म करके अपने घर लौट सकें ताकि और किसान इस आंदोलन की भेंट चढ़ने से बच जाएं।


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Sunita sarangal

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