शिक्षा जगत में छिड़ी नई चर्चा, केंद्रीय शिक्षा विभाग के फैसले ने मचाई हलचल
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 01:20 PM (IST)
लुधियाना (विक्की): प्राइवेट कोचिंग कल्चर पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार द्वारा स्कूलों में 'सैंटर फॉर एडवांस स्टडीज' खोलने की योजना ने शिक्षा जगत में एक नई चर्चा छेड़ दी है। शहर के प्रमुख शिक्षा विशेषज्ञों और अभिभावकों ने इस योजना का स्वागत किया है। उनका मानना है कि निजी कोचिंग सेंटर्स के अनियंत्रित फैलाव ने शिक्षा को व्यापार बना दिया है, जिससे अब राहत मिलने की उम्मीद है। योजना के मुताबिक अब स्कूलों में ही जे.ई.ई., नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाएगी। इस फैसले पर शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों के प्रिंसीपल्स और चेयरमैन ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे छात्रहित में बताया है।
शिक्षा विशेषज्ञों ने की पहल की सराहना
जे.के. सिद्धू, प्रिंसीपल डी.ए.वी. स्कूल बी.आर.एस. नगर ने कहा कि हम लंबे समय से ऐसे स्ट्रक्चर्ड प्रयास का इंतजार कर रहे थे। जब स्कूल में ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मिलेगी तो बच्चे दिन में 2-2 जगह भागने और मानसिक थकान से बचेंगे। यह छात्रों के समग्र विकास के लिए जरूरी था। डी.पी. गुलेरिया, सिटी कोऑर्डिनेटर सी.बी.एस.ई. ने कहा कि प्राइवेट कोचिंग सैंटर्स में फीस बहुत अधिक है और वहां क्वालिटी कंट्रोल की कमी है। अगर यह योजना आती है तो नियम भी जारी होंगे। स्कूलों में यह तैयारी नियमित मूल्यांकन और अनुशासन के साथ होगी, जिससे रिजल्ट बेहतर आएंगे और बच्चों में भटकाव कम होगा।
अनुजा कौशल, प्रि. बीसीएम आर्य स्कूल, शास्त्री नगर ने कहा कि यह योजना अभिभावकों को 'दोहरे खर्च' से बचाएगी। स्कूल के सिलेबस और कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी में तालमेल होने से बच्चों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। यह समय की मांग भी है इससे टयूशन कल्चर भी खत्म होगा जो स्कूलों के लिए सबसे बड़ी समस्या है।
अभिभावकों ने ली राहत की सांस
इस खबर ने माता पिता में खुशी की लहर ला दी है। इस फैसले पर अपने विचार देते हुए कहा कि अभिभावक नीतू बंसल ने कहा कि हम हर साल कोचिंग के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर रहे थे। अगर स्कूल में ही यह सुविधा मिलेगी, तो बच्चों को स्कूल से सीधे कोचिंग ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हमारा आर्थिक बोझ काफी कम होगा। एक अन्य बच्चे के अभिभावक रमेश कुमार ने कहा कि कोचिंग सैंटर्स में एक क्लास में 80-80 बच्चे होते हैं, वहां कोई पर्सनल अटैंशन नहीं मिलती। स्कूल में कम से कम टीचर्स हमारे बच्चों की क्षमता को तो अच्छे से पहचानते हैं।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

