Guru Nanak Dev Ji की दूसरी उदासी ने दुनिया को दिया नया आकार
punjabkesari.in Saturday, Nov 18, 2023 - 01:16 PM (IST)

पंजाब डेस्कः सिक्ख धर्म के संस्थापक व सिक्खों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने जीवनकाल में पांच यात्राएं की हैं, इन यात्राओं को 'उदासी' के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक देव जी की इन उदासियों का आध्यात्मिक व सामाजिक महत्व रहा हैं, जिसमें उन्होंने शांति व भाईचारे के संदेश को फैलाया है। इन पांचों उदासियों में से उनकी दूसरी उदासी का विशेष महत्व है। यह उदासी 7 वर्षों (1506 से 1513 तक) की थी। इसमें उन्होंने लगभग 10,500 किलोमीटर की दूरी तय की। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप सहित उत्तर भारत, मध्य भारत, दक्षिण भारत और श्रीलंका व विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया। इस उदासी ने लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
अपनी दूसरी उदासी के दौरान गुरु नानक देव जी विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ सार्थक बातचीत की। उन्होंने प्रत्येक मुठभेड़ को खुले दिमाग और करुणा से भरे दिल के साथ देखा उनकी मान्यताओं और प्रथाओं को समझने और उनकी सराहना करने की कोशिश की। वह अक्सर धार्मिक नेताओं और विद्वानों के साथ संवाद करते थे, धार्मिक अवधारणाओं पर चर्चा करते थे और सामान्य आधार तलाशते थे।
अपनी दूसरी उदासी के दौरान, गुरु नानक देव जी ने कई धर्मों के लोगों के साथ सार्थक बातचीत की। उनकी बोली से विनम्रता और सम्मान झलकता था।
हिंदुओं के साथ बातचीत में वह ईश्वर की एकता और धार्मिक जीवन जीने के महत्व पर जोर देते थे, जबकि मुसलमानों के साथ ईश्वर के प्रति समर्पण की अवधारणा और दान के महत्व की खोज की। बौद्धों के साथ, उन्होंने आत्मज्ञान के मार्ग और भौतिक इच्छाओं को त्यागने के महत्व पर बातचीत की। जैनियों के साथ, उन्होंने अहिंसा और सभी जीवित प्राणियों से संबंधित अपने विचार सांझा किए।
इस उदासी में गुरु नानक देव जी ने धार्मिक विभाजन की बाधाओं को तोड़ा और विविध समुदायों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा दिया। इस तरह गुरु नानक देव जी ने धार्मिक पक्ष से शक्तिशाली मॉडल के रूप में काम किया, उन्होंने जिन क्षेत्रों की यात्रा की, वहां के लोगों पर गहरे प्रभाव छोड़े।
अपनी दूसरी उदासी के दौरान, गुरु नानक देव जी ने प्रेम, करुणा और समझ का संदेश दिया। उन्होंने ईश्वर की एकता, सभी मनुष्यों की समानता और सदाचारपूर्ण जीवन जीने के महत्व पर जोर दिया। उनकी इन्ही शिक्षाओं ने कई लोगों पर गहराई से प्रभाव डाला, जहां-जहां वह गए वहां-वहां सिखों की संख्या में वृद्धि हुई।
गुरु नानक देव जी ने लोगों को शांति, दया और दूसरों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। एकता और भाईचारे का उनका संदेश आज भी सांझी मानवता व सामंजस्यपूर्ण और न्यायपूर्ण दुनिया बनाने के महत्व की याद दिलाता है।
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