पाकिस्तान में हिंदू और सिख डर के साए में जीने को मजबूर : प्रो. सरचंद सिंह ख्याला

punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2023 - 03:46 PM (IST)

अमृतसर : भारतीय जनता पार्टी के सिख नेता प्रो. सरचंद सिंह ख्याला ने पाकिस्तान के सूबा सिंध के जैकबाबाद में एक मौलवी द्वारा सिख समुदाय के नेता और गुरुद्वारा साहिब के सेवक हरीश सिंह की अनुचित पिटाई करने एवं जान से मारने की धमकी देने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान सरकार को आरोपी मौलवी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और वहां के हिंदुओं और सिखों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई बार हिंदुओं और सिखों पर हमले हो चुके हैं। 

उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान में इस्लामी चरमपंथियो ने अल्पसंख्यकों के लिए सामान्य जीवन जीना बेहद मुश्किल बना दिया है। देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों के अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और हत्या की कई घटनाएं जारी हैं। हिंदू और सिख महिलाओं और युवा लड़कियों को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तत्काल वाकिया शाह गाजी मोहल्ला में रहने वाले पाकिस्तानी सिख नागरिक हरीश सिंह द्वारा सोशल मीडिया पर एक वीडियो के माध्यम से सांझा की गई घटना से सिख चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि यह सिखों और विश्व समुदाय के लिए चिंता का विषय है कि पाकिस्तान में सिखों और हिंदुओं को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी बेटी को स्कूल से लेने गए हरीश सिंह को स्कूल के बाहर मुस्लिम समुदाय के मौलवी और उसके साथियों ने धमकाया व वहां से लौटने को कहा, फिर उसने उसकी बेटी के सामने उसे जान से मारने की धमकी दी और उसका अपमान करने के साथ ही उसे बेरहमी से पीटा। उन्होंने कहा कि अगर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार करने वालों को और शह मिलेगी।

प्रो. सरचंद सिंह ने स्थानीय समुदाय से हिंदू सिखों के साथ खड़े होने और उनका समर्थन करने की अपील करते हुए कहा कि पाकिस्तान में हिंदू सिख समुदाय भय में है। उनके बच्चे डर के मारे स्कूल जाने से मना कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि बीते दिनों अधिकारियों ने रावलपिंडी के छावनी क्षेत्र में पिछले 70 वर्षों से रह रहे हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यक समुदायों के 5 घरों को ध्वस्त कर दिया। उनका सामान सड़क पर फेंक दिया गया, जिससे उन्हें अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। पीड़ित हिंदू परिवारों ने पास के एक मंदिर में शरण ली है, जबकि ईसाई परिवारों को बिना किसी आश्रय के सड़कों पर छोड़ दिया गया था।

उन्होंने कहा कि 2017 में सिखों को पाकिस्तान में जनगणना से बाहर रखा गया था। इसे बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा था। उन्होंने कहा कि चरमपंथियों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के कारण केवल दो दशकों में सिखों की आबादी में लगभग 80 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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Content Writer

Subhash Kapoor

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