पिछले साल के मुकाबले 49% बढ़ी पराली जलाने की घटनाएं, ऐसे ही हालात रहे तो बिगड़ सकती है स्थिति !

punjabkesari.in Tuesday, Nov 03, 2020 - 06:12 PM (IST)

चंडीगढ़: हर साल की तरह इस बार भी पराली जलाने से प्रदूषण की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। ऐसा कोई पहली बार नहीं है जब इन घटनाओं के कारण मुश्किलें बढ़ रही हो। इससे पहले भी प्रशासन की तरफ से कड़े कदम उठाने के फैसले होते रहे है। लेकिन नतीजों में कोई बदलाव दिखाई नहीं देता । जमीनी हकीकत की बात करें तो इस प्रदूषण की वजह से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

एक मीडिया रिपोर्ट अनुसार 21 सितंबर से दो नवंबर तक पराली जलाने की घटनाओं में इस साल की तुलना में 49 प्रतिशत अधिक मामले सामने आए है। पंजाब के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, राज्य में इस मौसम में अबतक 33,165 आग जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं इसकी तुलना में 2019 में इसी अवधि में ऐसी घटनाओं की संख्या 24,726 थी। आंकड़ों में बढ़ रहे पराली जलाने के मामले प्रशासन के दावों की पोल खोलने के साथ-साथ हवा की गुणवत्ता को भी नुक्सान पहुंचा रहे है।  यह आंकड़े इस बार धान की कटाई के बाद रिकॉर्ड मामलों में सबसे ज्यादा हैं। खेतों में जल रही पराली ने दिल्ली के प्रदूषण में नया रिकॉर्ड कायम करते हुए रविवार को पराली जलाने से पैदा प्रदूषण की हिस्सेदारी 40 फीसदी रिकॉर्ड की गई।

इसी के कारण मौसम में स्मॉग की घनी चादर छाई हुई नजर आ रही है। इसका सीधा प्रभाव दिल्ली-एनसीआर और उत्तर पश्चिम भारत की वायु गुणवत्ता पर देखा जा रहा है। अगर ऐसे ही हालात रहे तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है। प्रशासन की तरफ से किए जाने वाले तमाम फैसले इन आंकड़ों को देखते हुए खोखले नजर आ रहे  है। पंजाब के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में भी पराली जलाने के मामले हवा प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे है जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।  


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Tania pathak

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