Jalandhar : सिविल अस्पताल में हुई घटना के बाद फिर दोहराई जा रही बड़ी गलती! आखिर... कौन होगा जिम्मेदार?
punjabkesari.in Saturday, Aug 02, 2025 - 11:10 AM (IST)

जालंधर (शौरी): यदि सरकारी अस्पतालों में तैनात डाक्टर या स्टाफ कोई गलती करे तो स्वास्थ्य मंत्री उन्हें सजा देते है लेकिन यही स्वास्थ्य मंत्री ही गलती करे तो उन्हें सजा कौन दे? यह बात हम नहीं बल्कि इन दिनों सिविल अस्पताल में सुनने को मिल रही है। गौर हो कि 27 जुलाई शाम को ऑक्सीजन प्लांट में खराबी आने के कारण सिविल अस्पताल में के ट्रॉमा वार्ड में 3 सीरियस मरीजों की मौत होने के बाद पूरे पंजाब भर में शोर मचा। हालांकि पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डा. बलवीर सिंह ने मामले की जांच करवाई और माना कि सेहत सेवाओं में कमी के कारण 3 मरीजों की मौत हुई है। इस मामले में उन्होंनें 3 सरकारी डाक्टरों तक को संस्पैंड किया था। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के दावे ही झूठे साबित हो रहे है। दरअसल जिस दिन 3 मरीजों की मौत हुई तो उस दिन ऑक्सीजन प्लांट में वार्ड अटैडैंट दीपक की डयूटी थी। आज भी दीपक ही ऑक्सीजन प्लांट में डयूटी करता देखा गया, हालांकि दीपक का भी कहना है कि वह टैक्नीशियन नहीं है। यदि कोई बड़ा फालट आ जाए तो दीपक कैसे मैनेज करेगा।
गौर हो कि बीते दिन स्वास्थ्य मंत्री खुद सिविल अस्पताल ऑक्सीजन प्लांट को चैक करने पहुंचे और कहा कि मरीजों को किसी प्रकार की समस्याए पेश नहीं आने दी जाएगी। परंतु उसी ऑक्सीजन प्लांट में स्वास्थ्य मंत्री डा. बलवीर टैक्नीशियन उपल्बध नहीं करवा सके। इतना बड़ी लापरवाही मौजूद सरकार के नेता करेगे तो कैसे सरकारी अस्पताल में गिरते सेहत ग्राफ को ऊंचा किया जा सकता है। अस्पताल के ही कुछ ईमानदार डाक्टरों की टीम का कहना है कि दरअसल टैक्नीशियन भर्ती करने की प्रक्रिया में उनका कोई लेना नहीं होता मेडिकल सुपरिटैडैंट आफिस से कई बार पत्र लिखकर सेहत मंत्री के नोटिस में लाया गया है कि नई भर्ती करने की जरूरत है लेकिन मंत्री जी पता नहीं क्यों खामौश बैठे है। टैक्नीशियन ही ऑक्सीजन प्लांट आप्रेट ठीक तरीके से कर सकता है, क्योंकि उसे पूरी जानकारी होती है। वार्ड अटैडैंट की डयूटी लगाना तो गलत है।
ठेके पर भर्ती एक टैक्नीशियन को किया नौकरी से बखास्त, अब रह गया 1 टैक्नीशियन तथा 2 वार्ड अटैडैंट
3 मरीजों की मौत के मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने ऑक्सीजन प्लांट के सुपरवाइजर नरिंदर कुमार को नौकरी से बखास्त कर दिया है। चंडीगढ से जारी पत्र में यह जानकारी मेडिकल सुपरिटैडैंट आफिस में भेजी गई। अब ऑक्सीजन प्लांट में 1 टैक्नीशियन तथा 2 वार्ड अटैडैंट डयूटी रोस्टर के मुताबिक दे रहे है। वहीं नौकरी से बर्खास्त हुए नरिंदर का कहना है कि वह ठेके पर भर्ती है और एक तरफ तो मुख्यमंत्री पंजाब भगंवत मान लोगों को नौकरियां दे रहे है लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने उसकी नौकरी छिन ली। कोरोनों के टाईम भी उसने सिविल अस्पताल में काम किया और लोगों की सेवा की। जिस दिन 3 मरीजों की मौत हुई उस दिन वह छूट्टी पर था और शहर से बाहर था, पता नही क्यों स्वास्थ्य मंत्री ने उसके साथ ऐसा किया।
सिविल अस्पताल सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि अस्पताल में लगे दोनों आक्सीजन प्लांट में किसी भी समय दोबारा से खराबी आ सकती है। क्योकि दोनों प्लांट की सरकार की तरफ से एएमसी (वार्षिक रखरखाव अनुबंध) नहीं करवाई गई है। एएमसी ने होने के कारण आक्सीजन प्लांट नंबर 2 का कंप्रेसर खराब हो चुका है। गौर हो कि कोरोना महामारी बीमारी के दौरान अस्पताल में प्रधानमंत्री फंड से एक प्लांट लगाया गया। इसके बाद पंजाब सरकार ने दूसरा प्लांट सन् 2021 में लगाया। अस्पताल सूत्रों की माने तो उसके कई सालों के बाद से दोनों प्लांट की एएमसी नहीं करवाई गई। अस्पताल अधिकारियों ने कई बार चंडीगढ सीनियर अधिकारियों को इस बाबत पत्र तक लिखे, लेकिन कोई असर नही। फंड न होने का रोना रोकर स्वास्थ्य मंत्री तथा सीनियर अधिकारी पल्ले झाड़ लेते थे। जिसका नजीता आज आप सब के सामने ही है कि 3 लोगों की मौत और भगवान न करे यदि समय रहते दोनों प्लांट की एएमसी न करवाई तो प्लांट बंद न हो जाए।
इतना बड़े हादसे के बाद भी नींद में स्वास्थ्य मंत्री....प्रताप सिंह बाजवा
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता (कांग्रेस) प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि 3 लोगों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य मंत्री नींद में सो रहे हैं। यदि ऑक्सीजन प्लांट पर टैक्नीशियन नहीं तैनात तो प्लांट ही बंद कर दो। 3 लोगों को ऑक्सीजन न मिलने से मौत हुई और स्वास्थ्य मंत्री इस्तीफा देने से डर रहे है। आप सरकार सेवा भावना से सत्ता में आई तो डा. बलवीर सिंह इस्तीफा देकर भी लोगों की सेवा नहीं कर सकते।
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