नारंग का जाना पंजाब भाजपा के हर कर्मठ वर्कर व नेता का नुक्सान

punjabkesari.in Thursday, Sep 21, 2023 - 12:40 PM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा) : पंजाब में भारतीय जनता पार्टी ने नई टीम का गठन किया है। राज्य के भाजपाध्यक्ष सुनील जाखड़ की नई टीम ने कई वर्गों को उत्साहित किया गया, जबकि कई वर्गों को पीछे कर दिया गया। इस सबके बीच पार्टी के पूर्व विधायक अरुण नारंग ने इस्तीफा दे दिया और आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली। वैसे तो भाजपा में नेता आते-जाते रहते हैं, लेकिन अरुण नारंग का जाना सबसे ज्यादा चिंता का विषय है क्योंकि अरुण नारंग उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पार्टी के लिए जमीनी काम भी किया था और लोगों से कपड़े भी फड़वाए थे। किसानों ने कपड़े फाड़ने से पहले सिर्फ मोदी मुर्दाबाद कहने को बोला था, लेकिन नारंग इस बात पर अड़ गए कि वह ऐसा कुछ नहीं बोलेंगे। अगर पार्टी के सच्चे सिपाही न होते और असलियत में सिर्फ राजनीतिज्ञ होते तो मौका संभालते हुए शायद 'मुर्दाबाद' बोल भी देते। 

नारंग का नहीं सोचा, तो आम भाजपाइयों की क्या बिसात

मार्च 2021 में जब किसानों का आंदोलन चल रहा था, उस समय पंजाब के मलोट जिले में भाजपा के विधायक अरुण नारंग के साथ किसानों ने जमकर बदसलूकी की थी। नारंग मलोट में एक सभा को संबोधित करने गए थे, लेकिन वहां पर पहले से ही मौजूद किसानों ने उनके साथ मारपीट की, उनके कपड़े फाड़ दिए और उनके चेहरे पर कालिख तक पोत दी। वैसे भाजपा नेताओं का यह विरोध पहला नहीं था, लेकिन अरुण नारंग के साथ जिस तरह का व्यवहार हुआ था, वह काफी असभ्य था। कोई और राजनीतिक दल होता तो शायद नारंग को सिर आंखों पर बिठा लेता, क्योंकि पार्टी की खातिर इस तरह का सलूक सहने वाले बहुत कम नेता हैं। लेकिन यह भाजपा है, यह सिर्फ उसे सलाम करती है, जिसकी इसे जरूरत होती है। यहां पर किसी खास व्यक्ति की उदाहरण देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सभी भाजपाइयों के जहन में इस तरह की नामोशी सह चुके नेताओं के बारे में अच्छी खासी जानकारी है, बोलें ना वो अलग बात है। 

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लगातार विधायक बन रहे जाखड़ को नारंग ने ही घेरा था

अबोहर के पूर्व विधायक अरुण नारंग की नाराजगी वैसे तो उसी समय बाहर आ गई थी, जब सुनील जाखड़ को पंजाब भाजपा का प्रधान बनाया गया। नारंग ने सुनील जाखड़ को वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में करारी टक्कर दी थी और जाखड़ हार गए। जाखड़ के पंजाब प्रधान बनते ही करीब तीन महीने पहले अरुण नारंग ने प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य तथा लोकसभा क्षेत्र फरीदकोट व मानसा के प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा था कि वह भाजपा से जुड़े रहेंगे और कार्यकर्ता के तौर पर काम करेंगे। जाखड़ के अध्यक्ष बनने से अरुण नारंग इसलिए भी परेशान थे क्योंकि जाखड़ लगातार अबोहर से विधानसभा चुनाव जीत रहे थे, लेकिन 2017 में जाखड़ जैसे नेता को अरुण नारंग ने करीब 3500 मतों से हरा दिया था। 2022 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर जाखड़ के भतीजे संदीप जाखड़ को टिकट दी गई और इस बार अरुण नारंग हार गए। 

जाखड़ की एंट्री से ही टूट गए थे नारंग

करीब एक महीना पहले जाखड़ और अरुण नारंग के बीच सामंजस्य बनाने के लिए पार्टी ने दोनों को इकट्ठे बिठाया था, करीब एक घंटे तक दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई, लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ, वो आज अरुण नारंग के पार्टी छोड़ने से साफ हो गया। अरुण नारंग का पार्टी छोड़ना बेशक भाजपा के आम नेताओं तथा वर्करों को महज एक सामान्य सी बात लगती होगी, लेकिन अगर बैठकर भाजपा का हर वर्कर इस पर मंथन करे तो उसे शायद समझ आ जाएगा कि यह एक सामान्य बात नहीं है। एक कर्मठ नेता जिसने पार्टी की खातिर विरोध भी सहा, किसानों के गुस्से का शिकार भी हुआ, अगर ऐसे नेता को पार्टी ने अहमियत नहीं दी और अपने साथ जोड़कर रखने की कोशिश नहीं की तो फिर आम वर्कर व आम नेता की भाजपा में बिसात ही क्या है। यह नहीं कि नारंग के जाने से पार्टी का बहुत बड़ा नुक्सान हो जाएगा, लेकिन पार्टी के अंदर बहुत से वर्कर और नेताओं का मनोबल जरूर टूट जाएगा।

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News Editor

Kalash

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