करतारपुर साहिब दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम, भारत-पाक सरकार परेशान

punjabkesari.in Friday, Nov 15, 2019 - 07:50 PM (IST)

गुरदासपुर(विनोद): पाकिस्तान स्थित गुरूद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन करने के लिए जाने वाले श्रद्वालुओं की संख्या जरूरत से कम होने के कारण यहां सरकार के द्वारा तैनात कर्मचारी, सीमा सुरक्षा बल के जवान, गुप्तचर एजेंसियां तथा डेरा बाबा नानक सहित अमृतसर, बटाला तथा गुरदासपुर में कॉरिडोर संबंधी श्रद्वालुओं के लिए निवेश करने वाले लोग बहुत हैरान तथा परेशान हैं। आज सात दिन बीत जाने के बावजूद श्री करतारपुर साहिब नतमस्तक होने के लिए जाने वाले श्रद्वालुओं की संख्या लगभग 2200 तक ही पंहुच पाई है। जबकि डेरा बाबा नानक से प्रतिदिन 5000 दर्शन करने वाले श्रद्वालुओं के लिए व्यवस्था तथा रात ठहरने के लिए 30 हजार यात्रियों की क्षमता वाला टैंट सिटी बनाया गया है। दूसरी और 20 डालर शुल्क को लेकर पंजाब सरकार तथा शिरोमणि अकाली दल में भी टकराव की स्थिति बनी हुई है।
                           
जानकारी के अनुसार इस यात्रा संबंधी कई तरह की अनश्चितता के चलते गुरूद्वारा श्री करतारपुर साहिब जाने वाले लोगों में उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। वहीं पर 20 डालर की फीस तथा पासपोर्ट का जरूरी होना इस कम संख्या के लिए सीधे रूप में जिम्मेदार है। क्योंकि आम गरीब व्यक्ति 20 डालर लगभग 1500 रूपए भारतीय करंसी खर्च नहीं कर सकता तथा गरीब व्यक्ति का पासपोर्ट भी न होने के कारण वह यात्रा के लिए अपना फार्म तक नहीं भर रहा है। जिस कारण सरकार तथा पाकिस्तान ने जो सोचा था वैसा नहीं हुआ है तथा श्री गुरूद्वारा करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्वालुओं की संख्या में भारी गिरावट के कारण भारत तथा पाकिस्तान की सरकारें हैरान है। नौजवान वर्ग में इस कॉरिडोर के रास्ते ननकाना साहिब जाने के लिए उत्साह नहीं है।

करतारपुर साहिब दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम के लिए इमेज परिणाम

पाकिस्तान स्थित श्री गुरूद्वारा करतारपुर साहिब को डेरा बाबा नानक कॉरिडोर के रास्ते दर्शन करने के लिए जाने के लिए युवा वर्ग में उत्साह बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि वह पंजाब का सिख नौजवान अब मन बना बैठा है कि वह 12वीं कक्षा पास करने या बी.ए. आदि की शिक्षा पास करने के बाद कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि शहरों में जाएगा। सिख नौजवान सोचता है कि यदि वह पाकिस्तान जाने के लिए फार्म भरता है तो उसका पासपोर्ट इमीग्रीऐशन विभाग में स्कैन हो जाएगा। जब भी वह कनाडा आदि जाने के लिए फार्म भरेगा तो इमीग्रीऐशन में उसके बारे में पता चल जाएगा कि वह पाकिस्तान होकर आया है। जिस कारण उससे कनाडा आदि जाने की इजाजत नहीं मिलेगी। इसी भय के कारण सिख नौजवान इस यात्रा के प्रति उत्साह नहीं रखता।

पंजाब सरकार तथा शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के बीच 20 डालर को लेकर विवाद बना

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कई बार बयान दिया है कि पाकिस्तान जाने के लिए जो पाकिस्तान सरकार द्वारा 20 डॉलर फीस निर्धारित की गई है वह शिरोमणि कमेटी अदा करे। कैप्टन अमरेंदर सिंह इसके लिए यह दलील देते हैं कि शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के पास बहुत पैसा है तथा धर्म प्रचार के लिए इतनी राशि खर्च करना कमेटी के लिए कोई मुश्किल नहीं है। दूसरी और शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान में जवाब दिया है कि यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह इतने ही श्रद्वालुओं के शुभचिंतक हैं तो वह पंजाब सरकार के खजाने से यह 20 डालर की राशि जमा क्यों नहीं करवाते। पंजाब सरकार का बजट भी बहुत अधिक होता है तथा पंजाब के लोगों के लिए यह राशि खर्च करना पंजाब सरकार की नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है। इसलिए इस 20 डालर की फीस को लेकर अब सरकार व कमेटी के बीच विवाद बना हुआ है।

करतारपुर साहिब दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम के लिए इमेज परिणाम

सुरक्षा कर्मचारी 5000 श्रद्वालुओं के हिसाब से तैनात 
जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने डेरा बाबा नानक टर्मीनल पर जरूरत अनुसार तथा 5000 प्रतिदिन श्रद्वालुओं के जाने की व्यवस्था करने के लिए स्टाफ तैनात कर रखा है। जबकि सीमा सुरक्षा बल ने भी इसी हिसाब से डेरा बाबा नानक पर अपने अधिकारी व जवान तैनात कर रखे हैं। भारत में डेरा बाबा नानक ही एकमात्र ऐसा टर्मीनल है जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल को सौंपी गई है क्योंकि यहां पर अंतर्राष्टीय सीमा बिल्कुल पास होने के कारण पहले ही सारा इलाका सीमा सुरक्षा बल की निगरानी में है।

कॉरिडोर के चलते होटल व अन्य कारोबार में निवेश करने वालों मे भी निराशा बनी
इस कॉरिडोर के शुरू होने पर डेरा बाबा नानक सहित अमृतसर, गुरदासपुर, बटाला आदि शहरों में होटल आदि का कारोबार करने तथा नए होटल बनाने के लिए निवेश करने वालों में निराशा बनी हुई है। यदि कॉरिडोर के रास्ते जाने वाले श्रद्वालुओं की संख्या बहुत कम रहती है तो निश्चित रूप में यह कारोबार किसी भी तरह से नहीं चल सकेगा। इसलिए यह लोग अब निवेश करने से अपना हाथ खींच रहे हैं। जिससे रोजगार के साधन भी कम पैदा होंगे।


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Vaneet

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