माझा पर नई सियासी बिसात, मंत्री बाजवा और रंधावा ने बटाला को जिला बनाने की चली चाल

punjabkesari.in Sunday, Sep 05, 2021 - 10:59 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): माझा की सियासी बिसात पर नई चाल चली जा रही है। कांग्रेस की माझा ब्रिगेड के नाम मशहूर मंत्री तृप्त राजिंद्र सिंह बाजवा और सुखजिंद्र सिंह रंधावा ने मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह से बटाला को नया जिला बनाने की मांग की है। बाकायदा दोनों मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय भी मांगा है। 

मंत्रियों की यह मांग ऐसे समय में आई है, जब मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को ही चंडीगढ़ के एक पांच सितारा होटल में माझा के कई वरिष्ठ नेताओं से लंबी बैठक की। करीब डेढ़ से दो घंटे तक चली इस बैठक में माझा के सांसद से लेकर राज्यसभा सांसद व विधायक तक मौजूद रहे। इस बैठक को लेकर चर्चा रही कि यह मुलाकात 2022 के चुनाव में माझा की सियासी हवा का रुख तय करेगी। इसी बैठक के बाद अब बाजवा और रंधावा ने विरासती शहर बटाला को राज्य का 24वां जिला बनाने की आवाज बुलंद की है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि माझा की सियासी बिसात पर इन मंत्रियों ने बटाला को जिला बनाने की चाल चली है। चर्चा यह भी है कि पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत द्वारा कैप्टन सरकार की प्रशंसा के बाद अब दोनों मंत्री मुख्यमंत्री के साथ सुलह का रास्ता तलाश रहे हैं इसलिए बटाला को जिला बनाने की मांग के जरिए मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मांगा गया है।

उधर, दोनों कैबिनेट मंत्रियों ने मांग की कि ऐतिहासिक कस्बों फतेहगढ़ चूड़ियां और श्री हरगोबिंदपुर या घुमाण को इस नए जिले की नई सब-डिवीजन बनाया जाए। मुख्यमंत्री को इस संबंध में लिखे एक पत्र में दोनों मंत्रियों ने कहा कि बटाला पंजाब का वह अहम शहर है, जिससे हमारी समृद्ध ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक विरासत जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि बठिंडा के बाद बटाला पंजाब का सबसे पुराना शहर है, जिसकी स्थापना 1465 में रखी गई थी। जनसंख्या के पक्ष से भी यह पंजाब का 8वां सबसे बड़ा शहर है, जहां पिछले साल नगर निगम भी बनाई गई है। बटाला शहर के ऐतिहासिक विरासत संबंधी उन्होंने कहा कि ‘पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी का विवाह इसी शहर में माता सुलक्खनी जी के साथ 8 जुलाई, 1487 में हुआ था। उनकी याद में यहां गुरुद्वारा डेरा साहिब और गुरुद्वारा कंध साहिब सुशोभित हैं। छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद जी अपने पुत्र बाबा गुरदित्ता जी का विवाह करने के लिए भी बटाला आए थे और उनकी याद में शहर के बीच गुरुद्वारा सत करतारिया सुशोभित है।’

कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के राज के दौरान लाहौर और अमृतसर के बाद बटाला सिख राज का एक अहम शहर था। इस राज के समय की विरासती इमारतें आज भी मौजूद हैं, जिनमें महाराजा शेर सिंह का महल और जल महल (बारादरी) विशेष हैं। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक काली मंदिर और सती लक्ष्मी देवी समाधि के अलावा इस शहर के नजदीक ही अचल साहिब का वह ऐतिहासिक स्थान है, जहां भगवान शिव के पुत्र कार्तिक की याद में अचलेश्वर धाम सुशोभित है। अचल साहिब जी के स्थान पर ही श्री गुरु नानक देव जी ने सिद्धों के साथ बातचीत की थी। कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि सांस्कृतिक और साहित्यिक पक्ष से देखा जाए तो दुनिया भर में रहने वाला कोई निवासी पंजाबी ऐसा नहीं होगा जिसने महान पंजाबी कवि शिव कुमार बटालवी का नाम न सुना हो। दुनिया भर में बटाले का नाम मशहूर करने वाले और अपने यौवन में ही दुनिया को अलविदा कहने वाले इस कवि को साहित्यिक क्षेत्र में बिरहा के कवि और पंजाबी के कीट्स के तौर पर जाना जाता है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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