विधायक के भाई द्वारा महिला डाक्टर से बतमीजी का मामला, भड़के डाक्टरों ने उठाया यह कदम

punjabkesari.in Thursday, Sep 29, 2022 - 01:00 PM (IST)

जालंधर : सिविल अस्पताल में महिला डा. हरवीन कौर के साथ आप पार्टी विधायक शीतल अंगुराल के भाई राजन अंगुराल द्वारा की गई बतमीजी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। गौर हो कि इस मामले में विधायक रमन अरोडा भी सिविल अस्पताल मैडीकल सुपरिंटैंडैंट के आफिस में आए थे, ताकि मामला सुलझ जाए, लेकिन डाक्टरों की पी.सी.एम.एस. यूनियन के नेताओं ने साफ कह दिया था कि महिला डाक्टर से बतमीजी राजन अंगुराल ने की है, इसलिए वह खुद सिविल अस्पताल आएं और माफी मांगे।

तय समझौते के तहत यह बात हुई थी कि 27 सितम्बर को राजन अस्पताल आकर माफी मागेगा, लेकिन चंडीगढ में विधानसभा सत्र होने के कारण 28 तारीख को मीटिंग होनी थी पर सुबह राजन नहीं आया तो डाक्टर भड़क उठे और डाक्टरों ने ओ.पी.डी. कुछ देर के लिए बंद कर रोष प्रदर्शन तक किया। बताया जा रहा है कि इसी बीच विधायक रमन अरोड़ा ने फोन कर डाक्टरों को बताया कि राजन अंगुराल की महिला परिजन की मौत हो गई है और आज संस्कार में शामिल होने के कारण वह नहीं आ सकता थोडे़ दिन उन्हें और दिए जाएं, जिसके बाद डाक्टर शांत हुए।

गौर हो कि एम.एल.आर. कटवाने को लेकर ऑन ड्यूटी महिला डाक्टर हरवीन कौर के साथ राजन अंगुराल ने जमकर बहसबाजी करने के साथ उनके साथ बतमीजी तक की। पूरे मामले की डा. हरवीन व अन्य स्टाफ ने मोबाइल फोन से वीडियो तक बनाई। रोष प्रदर्शन में इस मौके पी.सी.एम.एस. यूनियन के प्रैस सचिव डा. बलजिदर सिंह, डा. भूपिंदर सिंह, डा. अभिशेक सच्चर, डा. महिदरप्रताप सिंह, डा. गौरव सेठी, डा. सुरिंदर, डा. ईशू, डा. नवनीत कौर, डा. गिन्नी, डा. सचिन, डा. सिमरन कौर, डा. हरकवल, डा. मोईन मोहम्मद आदि मौजूद थे।

मामला न सुलझा तो बढे़गा विवाद, मरीज होंगे परेशान

अस्पताल सूत्रों से पता चला है कि पूरा मामला सेहत मंत्री के अलावा सीनियर उच्चाधिकारियों के नोटिस में पहुंच चुका है। इसके अलावा सोशल मीडिया व टी.वी. चैनलों पर इसका प्रसारण हो चुका है। यदि आने वाले दिनों में राजन ने माफी न मांगी तो माहौल खराब होने के आसार हैं क्योंकि सिविल अस्पताल का इतिहास गवाह है कि जब भी किसी डाक्टर से बतमीजी हुई हो तो चाहे वह मौजूदा पार्टी का नेता क्यों न हो। डाक्टरों की यूनियन ने बतमीजी करने वालों से माफी मंगवाई है।

यदि ऐसा नहीं होता तो डाक्टर सिर्फ एमरजैंसी मरीजों का उपचार करते हैं और अस्पताल में दाखिल मरीजों व ओ.पी.डी. मरीजों का उपचार बंद कर वह हड़ताल पर चले जाते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए यदि मामला न सुलझा तो विवाद और बढे़गा और मरीज बेचारे परेशान होंगे।

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News Editor

Kalash

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