फिर लोन के सहारे चलेगी विकास की गाड़ी
punjabkesari.in Saturday, May 27, 2017 - 05:06 PM (IST)
लुधियाना(हितेश): महानगर में अधर में लटके विकास कार्यों को पटरी पर लाने के लिए आमदन बढ़ाने या बकाया राजस्व जुटाने की जगह नगर निगम एक बार फिर लोन का सहारा लेने जा रहा है निगम का बजट भले ही 1200 करोड़ से ज्यादा है लेकिन उसमें बड़ा हिस्सा चुंगी की वसूली बंद होने के बदले सरकार द्वारा वैट की आमदनी में से दी जाती मदद का ही है एक तो यह रकम 10 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी सरकार द्वारा बढ़ाई नहीं गई।
दूसरा नगर निगम के अपने राजस्व के स्रोतों के रूप में पानी-सीवरेज के बिल, प्रापर्टी टैक्स, अवैध निर्माणों के जुर्माने, डिवैल्पमैंट चार्जिस, चेंज ऑफ लैंड यूज फीस की वसूली के हालात हर साल पहले से बदतर होते जा रहे हैं, यही हाल कई सौ करोड़ के बकाया राजस्व की रिकवरी का है। इसका नतीजा यह है कि मुलाजिमों को लंबे समय से हर महीने लेट तनख्वाह ही मिलती है जो पैसा सरकार से मिलता है, उसमें से काफी पैसा पैंशन, लोन की किस्तें, बिजली, तेल व कूड़े की लिङ्क्षफ्टग के बिल जैसे जरूरी खर्च भी पूरा नहीं होता। इस कारण मुलाजिमों को रिटायरमैंट पर बकाया नहीं मिलता और डी.ए., पी.एफ. व इंकम टैक्स का पैसा उनके खाते में समय पर जमा नहीं करवाया जा रहा। यही हाल विकास कार्यों का है जिसके तहत लंबे समय से ठेकेदारों को बिलों का भुगतान नहीं किया जा रहा जिससे अधिकतर विकास कार्य या तो शुरू ही नहीं हुए या बीच में लटके हुए हैं। इसी तरह प्रोजैक्ट भी सालों बाद कई गुणा ज्यादा की लागत के साथ पूरे हुए हैं जबकि नई योजनाएं फंड की कमी के चलते फाइलों में धूल फांक रही हैं।
जहां तक वार्ड वाइस विकास कार्यों का सवाल है, पहले तो हल्का वाइज विकास कार्यों के तहत कम लैस पर टैंडर तथा एडवांस पेमैंट मिलने के लालच में ठेकेदारों ने सारा ध्यान ही उस तरफ लगा रहा अब कांग्रेस सरकार द्वारा पी.आई.डी.बी. फंड वापस मंगवाने के कारण करोड़ों की अदायगी न होने के विरोध में ठेकेदारों ने सारे विकास कार्य ही बंद कर दिए हैं। यह मुद्दा जनरल हाऊस की बैठक में भी उठा था जिस पर कांग्रेसियों ने कहा कि हलका वाइज विकास कार्य तय करने, टैंडरों की अलॉटमैंट व क्वालिटी कंट्रोल की जांच के लिए पैसा मंगवाया गया है जिसे पहले एफ. एंड सी.सी. या जनरल हाऊस की मंजूरी के बिना खर्च करने के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई का प्रस्ताव भी पास किया गया लेकिन मार्च में हुई कैबिनेट की पहली मीटिंग के फैसले मुताबिक तय एक महीने की डैडलाइन बीतने के काफी देर बाद तक पैसा वापस नहीं आया और न ही आगे जल्दी उम्मीद नजर आ रही है।इस हालात पर ठेकेदारों द्वारा की गई हड़ताल भारी पड़ रही है जिससे कांग्रेस को जीत के दावे के साथ करवाए जाने वाले नगर निगम चुनाव में नुक्सान होने का डर सता रहा है, उसे लेकर दबाव बनने पर निगम को सौ करोड़ के पुराने पास की याद आई जिसमें से बकाया 70 करोड़ रिलीज करवाने के लिए सरकार से मंजूरी मिल गई है लेकिन यह साफ नहीं है कि इस पैसे से हलका वाइज विकास कार्य हो पाएंगे या नहीं।