अब दिल्ली में डेरे डाले जाएंगे’, तख्त गिराए जाएंगे, ताज उछाले जाएंगे: सिद्धू

punjabkesari.in Monday, Dec 07, 2020 - 09:04 AM (IST)

चंडीगढ़ (रमनजीत सिंह): कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब-हरियाणा के किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि किसानों की हुंकार पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आज देश का असली बहुसंख्यक अपनी ताकत दिखा रहा है और किसानों का आंदोलन देश में अनेकता में एकता की भावना पैदा कर रहा है। 

कांग्रेस नेता ने कहा कि ये असहमति की चिंगारी है जो पूरे देश को एक कर देती है, जिसमें सभी जाति, रंग और नस्ल के लोग एक साथ हो जाते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने ट्वीट के साथ एक वीडियो संदेश भी जारी किया। इसमें उन्होंने अपने शायराना अंदाज में कहा कि भट्ठी को दूध पर रखो तो उसका उबलना निश्चित है...और किसानों में रोष और आक्रोश जगा दो तो सरकारों का तख्त-ओ-ताज उलटना निश्चित है। सिद्धू ने कहा कि ऐ खाक नशीनो उठ बैठो, अब तख्त गिराए जाएंगे और ताज उछाले जाएंगे। किसानों से दिल्ली चलने का आह्वान करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘चलते ही चलो, चलते ही चलो कि अब डेरे दिल्ली में ही डाले जाएंगे, अब तख्त गिराए जाएंगे और ताज उछाले जाएंगे।’ वहीं इससे पहले पूर्व क्रिकेटर, कमैंटेटर, कॉमेडियन और राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू किसान आंदोलन के फील्ड में भी लगातार सक्रियता दिखा रहे हैं। अपनी ही सरकार से नाराज और कई महीनों तक राजनीतिक तौर पर मौन रहे सिद्धू न सिर्फ विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि कानूनों के खिलाफ जमकर बोले थे, बल्कि तब से लेकर अब तक इन्हीं कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में भी किसी न किसी मंच से योगदान दे रहे हैं। हालांकि सिद्धू ने कांग्रेस द्वारा किसान आंदोलन के शुरूआती दिनों में आयोजित राहुल गांधी की शिरकत वाली रैली में भी हिस्सा लिया था। तब उसे राजनीतिक मजबूरी माना जा रहा था, लेकिन किसानों के पक्ष में स्टैंड ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसानों के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में जुटे हुए हैं।  

ट्वीट किए और वीडियो भी शेयर
सिद्धू भले ही पंजाब सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल नहीं हैं, लेकिन किसानी मसले पर लगातार सरकार के पैरेलल अपनी धारा बनाए हुए हैं। जहां सरकार के स्तर पर मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र विपक्षी दलों के साथ-साथ केंद्र की बयानबाजी को टक्कर दे रहे हैं, वहीं सिद्धू अपने स्तर पर किसानों के हौसले बढ़ाने से लेकर, खेती उत्पादों की कीमतों में बिचौलियों की कमाई, मजदूरों के हालात और प्रधानमंत्री द्वारा कॉर्पोरेट घरानों को मुनाफाखोरी करवाने के लिए नीतियां बनाए जाने जैसे मामलों पर अपने ‘शब्द बाण’ छोड़ रहे हैं। 

सिद्धू रोचक शायरी से दे रहे हौसला
सिद्धू न सिर्फ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘जीतेगा पंजाब’ के जरिए किसानों की समस्याओं संबंधी वीडियो शेयर कर रहे हैं, बल्कि ‘रोचक’ शायरी से भी किसानों का हौसला बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। सिद्धू ने जहां ‘काले बिल पास, पूंजीपतियों की कमाई का रास्ता साफ। किसान की राह में कांटे और उद्योगपतियों की राह में फूल, भारी पड़ेगी भूल।।’ जैसे शेरों से केंद्र पर कॉर्पोरेट घरानों से सांठगांठ की तरफ इशारा किया वहीं, किसान आंदोलन में युवाओं को शामिल होने के लिए प्रेरित करने वाली ‘सख्तियां सहने के लिए पत्थर का जिगर पैदा करो, किसान की खातिर जो कट सके वो सिर पैदा करो।।’ जैसी शायरी भी शेयर की गई है। 

किसानों को राजनीति में सक्रिय होने की भी दी नसीहत
ऐसा भी नहीं है कि सिद्धू द्वारा सिर्फ किसान आंदोलन के लिए किसानों का मनोबल बढ़ाने का काम किया जा रहा है, बल्कि संगरूर जिले के एक कार्यक्रम के मंच पर ही सिद्धू ने किसानों को राजनीति में सक्रिय होने और अपने में से ही अपने जनप्रतिनिधि चुनकर विधानसभा व संसद में भेजने का आह्वान किया। सिद्धू ने कहा कि देश की 70 फीसदी आबादी जब खेतीबाड़ी से जुड़ी है तो उसे अपनी समस्याओं के हल के लिए अपने बीच में से ही लोगों को चुनकर संसद व विधानसभा भेजना होगा।

आंदोलन को खालिस्तानी बताने के अभियान के खिलाफ भी लिया स्टैंड
कुछेक मीडिया चैनलों द्वारा किसान आंदोलन के दिल्ली बॉर्डर पर दस्तक देने के बाद उसे खालिस्तानी रंगत देने के अभियान का भी सिद्धू ने डटकर विरोध किया। आंदोलन में शामिल किसानों के मार्मिक वीडियो शेयर कर किसान सत्याग्रही करार दिया। वहीं, सिद्धू ने दिल्ली चलो मार्च दौरान हरियाणा सरकार द्वारा बाधाएं खड़ी करने, बल प्रयोग और किसानों के खिलाफ मामले दर्ज करने पर भी सख्त स्टैंड लिया। 5 दिसम्बर को ही केंद्रीय एजैंसियों को कठघरे में खड़ा करते हुए लिखा कि यह चलन चल गया था कि जो कोई भी सरकार की खामियों बारे बोले उसे राष्ट्रविरोधी करार दे दिया जाता था, लेकिन अब देश की 70 फीसद आबादी के प्रतिनिधि उठ खड़े हुए हैं और इसी ने केंद्र की तानाशाही को चुनौती दी है। ‘राष्ट्रविरोधी’ विषय पर सिद्धू ने इसी किसान आंदोलन के दौरान बारी-बारी कई पोस्टें डाली हैं। असल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ दोस्ती की वजह से पुलवामा हमले के बाद से सिद्धू केंद्र की सत्ताधारी भाजपा के नेताओं के निशाने पर आ गए थे। उन्हें कई लोगों द्वारा राष्ट्रविरोधी भी कहा गया था और संभावना है कि सिद्धू अब किसान आंदोलन के मौके पर उन्हीं का जवाब दे रहे हैं।


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