Hospital में नवजात की मौ''त के बाद हंगामा! Doctor साहिबा बोली - कोई बड़ा Issue नहीं...
punjabkesari.in Wednesday, Sep 20, 2023 - 02:37 PM (IST)

अमृतसर (दलजीत): भाई मोहकम सिंह सरकारी सैटेलाइट अस्पताल सकत्तरी बाग में खूब हंगामा हुआ। गर्भवती महिला के परिजनों ने नवजात की मौत के लिए स्टाफ को जिम्मेदार ठहराते हुए काफी घंटे तक रोष जाहिर किया। मामला इतना बढ़ गया कि परिजनों के सामने ही डाक्टर व स्टाफ नर्स एक-दूसरे की जिम्मेदारी तय करते हुए बहसबाजी करने लगे। इसी दौरान मामले की जानकारी सिविल सर्जन को मिली व उन्होंने मौके पर जिला टीकाकरण अधिकारी डा. भारती को भेजना पड़ा। डा. भारती ने दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार जिला गुरदासपुर के कस्बा कलानौर की रहने वाली मोनिका 10 महीने से सरकारी अस्पताल सकत्तरी बाग अपना चैकअप करवा रही थी। प्रसव पीड़ा शुरू होने पर उसके पारिवारिक सदस्यों द्वारा डिलीवरी के लिए उसे अस्पताल में लाया गया। श्री गुरु रामदास अस्पताल में डिलीवरी के समय मृतक बच्चे के जन्म लेने के बाद पारिवारिक सदस्य सदमे में आ गए व उन्होंने सारे मामले की जिम्मेदारी सरकारी अस्पताल के स्टाफ पर डाल दी। इस दौरान पंजाब केसरी की टीम भी मौके पर सरकारी अस्पताल में पहुंच गई। परिजनों की बहसबाजी के बीच में स्टाफ नर्स व डाक्टर एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए दिखाई दिए तथा ड्यूटी पर जिम्मेदारी एक-दूसरे के तय करते हुए दिखाई दिए। उधर, दूसरी तरफ श्री गुरु रामदास अस्पताल में दाखिल प्रसव के बाद महिला की हालत गंभीर बताई जा रही है।
गर्भवती महिला के पति वीरेंद्र कुमार ने बताया कि उसकी गर्भवती पत्नी 10 माह से उक्त सरकारी अस्पताल में डा. रितिका से चैकअप करवा रही थी तथा डाक्टर द्वारा स्पष्ट कहा गया था कि जच्चा बच्चा बिल्कुल तंदुरुस्त है व नॉर्मल डिलीवरी होनी है। वरिंदर कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी को जब डिलीवरी का समय नजदीक आया तो वह प्रसव पीड़ा की शिकायत के संबंध में अस्पताल में दाखिल करवाने आए। मौके पर पहले स्टॉफ ने चैक किया व कहा कि डिलीवरी कुछ समय के बाद नार्मल हो जाएगी, जच्चा बच्चा बिल्कुल ठीक है। उन्होंने कहा कि इसी दौरान उनकी पत्नी को बुखार तेज हो गया, जब वह अस्पताल में मौजूद स्टाफ नर्स से कहने गए कि उनकी पत्नी को बुखार तेज है तो उसने सीधे मुंह बात नहीं की तथा कहा कि दवाई दी है अपने आप बुखार उतर जाएगा, बार-बार न मेरे पास आओ। इस दौरान उनकी पत्नी को दर्द और तेज शुरू हो गया। जब वह फिर गए तो काफी समय के बाद स्टाफ नर्स वहां पर आए तथा उसने ओकअप किया तथा कहा कि उनके बच्चे की धड़कन नहीं पता लग रही, इसलिए उनकी पत्नी को श्री गुरु रामदास अस्पताल में ले जाएं।
वरिंदर ने आरोप लगाया कि जब वह अपनी पत्नी को अस्पताल से अन्य अस्पताल ले जाने लगे तो अस्पताल प्रशासन द्वारा उन्हें सरकारी एंबुलैंस भी नहीं मुहैया करवाई गई तथा इसके बाद वह खुद अपनी प्राइवेट गाड़ी में श्री गुरु रामदास अस्पताल नजदीक शहीदा साहिब में लेकर गए, वहां से अन्य श्री गुरु रामदास अस्पताल वल्ला में उन्हें शिफ्ट कर दिया गया। वहां के डाक्टर द्वारा जब उनकी पत्नी की देर रात अल्ट्रासाउंड करवाई गई तो उन्होंने कहा कि उनके बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई है तथा उसके उपरांत वहां डिलीवरी की गई।
वीरेंद्र कुमार ने कहा कि उनका पहला बच्चा था। सरकारी अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही के कारण उनके बच्चे की मौत हुई है। अस्पताल की महिला डा. रितिका इस सारे मामले में जिम्मेदार है। वह काफी घंटे से अस्पताल में न्याय के लिए आए हैं तथा डॉक्टर से भी बात की है, परंतु डाक्टर ने उनकी बात नहीं सुनी है जिसके बाद सिविल सर्जन द्वारा मौके पर जिला टीकाकरण अधिकारी डा. भारती को भेजा गया है। उन्होंने डा. भारती को अपनी सारी समस्या बताई है तथा इंसाफ की मांग की है। डा. भारती ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी।
डा. रितिका बोली स्टाफ नर्स को : तुझे तेरे बेटे की कस्म लगे सच-सच बोल
जब स्टाफ नर्स तथा डा. रितिका के बीच में बहसबाजी चल रही थी तो पंजाब केसरी की टीम भी मौके पर मौजूद थी। परिजन जब स्टाफ व डा. रितिका से बात कर रहे थे तो तभी डा. रितिका बोली स्टाफ नर्स को कि तूं सच-सच बोल तूने मुझे कब-कब फोन किया है, तुझे तेरे बेटे की कस्म लगे, मैं जिम्मेदारी वाली सीट पर बैठी हूं, सच बोल। इसी दौरान स्टाफ नर्स बोली कि मैंने समय-समय पर मरीज को चैक किया है तथा जिस समय आपने कहा था, उसी समय ही मरीज का निरीक्षण किया है, ठीक है आपके निर्देशों के अनुसार मरीज की जांच हो रही थी।
मौके पर मौजूद स्टाफ नर्स ने कहा कि जब-जब मरीज की हालत खराब हो रही थी, तब तक उसने जानकारी डा. रितिका को दी थी। उसने कहा कि वह समय-समय पर मरीज की जांच करने भी जाती रही हैं, जब बच्चे की धड़कन काफी कमजोर पड़ने लगी तो उसने डाक्टर को सारी जानकारी दी तथा डाक्टर ने कहा कि गर्भवती महिला को रैफर कर दिया जाए। महिला को सरकारी बेबी नानकी अस्पताल में ही रैफर किया गया था।
एक सप्ताह में पारदर्शी ढंग से जांच कर मांगी गई है रिपोर्ट
सिविल सर्जन डा. विजय कुमार ने कहा कि मामला उनके ध्यान में है, जब वहां पर बातचीत चल रही थी तो उन्होंने मौके पर जिला टीकाकरण अधिकारी को भेजा था। उन्होंने डा. भारती को कहा कि मामले की पारदर्शी ढंग से जांच करके एक सप्ताह में रिपोर्ट दी जाए। जो भी रिपोर्ट तथ्य में आएगी, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
डा. रितिका बोली : कोई बड़ा इशू नहीं है
इस संबंध में जब डा. रितिका से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि कोई बड़ा इशू नहीं है, जब उन्हें कहा गया कि एक नवजात बच्चे की दुनिया में आने से पहले गर्भ में मौत हो गई है। यह एक बड़ा इशू है तो उन्होंने कहा कि जच्चा बच्चा पहले बिल्कुल ठीक थे। अचानक बच्चे की धड़कन धीमी पड़ गई जिसके बाद उन्हें रैफर किया गया। जब उनसे पूछा गया कि आपने कौन से सरकारी अस्पताल में रैफर किया तो उन्होंने कहा कि हमने सरकारी अस्पताल में ही रैफर किया था। परिजन खुद ही श्री गुरु रामदास अस्पताल में गर्भवती महिला को लेकर गए थे। इस दौरान स्टाफ द्वारा सरकारी एंबुलैंस भी मौके पर मंगवाई गई थी, परंतु वह अपने प्राइवेट गाड़ी में मरीज को लेकर गए थे। जब अन्य सवालों का जवाब उनसे मांगना चाह तो उन्होंने कहा कि वह अपने सरकारी कार्यालय में कोई जरूरी कार्य कर रहे हैं, बाद में बात करेंगे, परंतु काफी समय इंतजार करने पर उनका फोन नहीं आया।
घटनास्थल पर मौके पर पहुंचे जिला टीकाकरण अधिकारी डा. भारती धवन ने कहा कि दोनों पक्षों के लिखती बयान लिए जाएंगे व मामले की जांच करके रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दी जाएगी। मौके पर आकर उन्होंने पीड़ित परिवार से बातचीत की है तथा उन्हें जांच करने के संबंध में जानकारी दी है।
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