नहीं खत्म हुआ भारत के लिए खतरा! होगी बड़ी तबाही, इस खबर से बढ़ी लोगों की चिंता

punjabkesari.in Monday, Aug 18, 2025 - 03:22 PM (IST)

जालंधर (धवन) : शनि का मीन राशि और राहु का कुंभ राशि में गोचर अत्यंत अशुभ घटनाओं को इंगित कर रहा है। मीन जल राशि है जिस कारण जल से नुकसान तो सामने आ ही चुका है जो अगले 2 वर्षों तक चलता रहेगा। ज्योतिषचार्य इंद्रजीत साहनी के अनुसार शनि की दृष्टियों का प्रभाव पूर्व और उत्तर गोलार्द्ध को विशेष रूप से प्रभावित कर रहा है। यह दोष 30 नवम्बर, 2026 तक मंगल और राहु के प्रभाव के कारण अनेक प्रकार की प्राकृतिक प्रकोपों का योग बना रहा है। अतिचारी और पीडि़त बृहस्पति के कारण ज्यादा न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगेंगे।

उन्होंने बताया कि बृहस्पति से प्रभावित लोगों जैसे तथाकथित संत, महात्मा आदि पर दोषारोपण लगेंगे। जल और अग्नि से संबंधित अनेक घटनाएं होंगी। उत्तर गोलार्द्ध में यह घटनाएं विशेष रूप से फलित होती दिखाई दे रही हैं। शेयर बाजार से ज्यादा लाभ नहीं होंगे। सोना, चांदी और धातुओं के भाव बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि विश्व में कई देश आपस में युद्ध में उलझते हुए दिखाई देंगे। विभिन्न देशों के आपसी संबंध व्यापारिक कारणों से खराब होंगे। कौन सा देश किस ग्रुप के साथ रहेगा इसे लेकर अनिश्चितता बनी रहेगी। ऐसा लगेगा कि ईश्वर मनुष्य को दंड दे रहा है।

अमरीका की मेष राशि जिस पर शनि की साढ़ेसाती आरंभ हो चुकी है। इससे अगले अढ़ाई वर्ष आर्थिक मंदी के रहेंगे और अमरीका इससे पीड़ित दिखाई देगा। साहनी ने कहा कि दूसरी तरफ सितम्बर, 2025 से भारत को चंद्रमा की महादशा समाप्त हो रही है और अग्निकारक मंगल की महादशा का आरंभ होने जा रही है। भारत की कुंडली के हिसाब से मंगल सातवें व बारहवें घरों का मालिक होकर दूसरे घर में बैठा हुआ है जिस पर बृहस्पति की छठे भाव से दृष्टि भी है। इससे बाहरी शक्तियां सक्रिय होंगी और भारत में अंदरुनी कलह क्लेश बढ़ाने का प्रयास करेंगी। भारत को सीमाओं पर सतर्क रहना होगा क्योंकि पड़ोसी देशों द्वारा भी भारत के अंदरुनी मामलों में आतंकी घटनाओं को बढ़ावा दिया जा सकता है। सात वर्षों तक चलने वाली मंगल की महादशा में भारत को युद्धों का सामना भी करना पड़ सकता है और विपक्षी दल भी सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी करते हुए दिखाई देंगे। देश की अर्थव्यवस्था बृहस्पति की दृष्टि के कारण ठीक रहेगी। मंगल की 7वें घर में वृश्चिक राशि पड़ती है जहां पर केतु विराजमान हैं। केतु टुकड़ा कहलाता है, इसलिए देश को तोडऩे वाली शक्तियां सक्रिय रहेगी। मंगल चूंकि कुटुम्ब भाव में बृहस्पति की शुभ दृष्टि में इसलिए कोई दूसरे देश का टुकड़ा भारत में मिल सकता है। यह घटना 2027 में घटित हो सकती है। 2030 का वर्ष देश के लिए काफी खतरनाक रह सकता है।


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Vatika

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